रवि प्रदोष व्रत से प्राप्त होता है स्वस्थ्य तथा दीर्घायु जीवन

By प्रज्ञा पाण्डेय | Nov 23, 2019

शास्त्रों में प्रदोष व्रत को बहुत महत्व दिया गया है। रविवार को आने प्रदोष को रवि प्रदोष कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत से न केवल शंकर जी प्रसन्न होते हैं बल्कि व्यक्ति के पाप भी नष्ट होते हैं तो आइए हम आपतो रवि प्रदोष की पूजा-विधि और कथा के बारे में बताते हैं। 

 

जानें रवि प्रदोष के बारे में

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। उत्तर भारत में इसे प्रदोष व्रत तथा दक्षिण भारत में प्रदोषम कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। प्रदोष का हमेशा अलग-अलग दिन पड़ता है। सप्ताह के विभिन्न दिनों पर पड़ने के कारण प्रदोष का महत्व भी बदल जाता है। इस बार प्रदोष रविवार को पड़ रहा है इसे रवि प्रदोष या भानु वारा प्रदोष कहते हैं। 

इसे भी पढ़ें: यदि आपकी कुंड़ली में चल रही राहु की दशा तो इन उपायों से पाएं मुक्ति

24 नवंबर को पड़ने वाला रवि प्रदोष व्रत इस वर्ष का आखिरी रवि प्रदोष व्रत है। इसके बाद अप्रैल 2020 में रवि प्रदोष बनेगा। रवि प्रदोष के दिन शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी विशेष आराधना की जाती है।


रवि प्रदोष का महत्व 

मनुष्य के जीवन रवि प्रदोष का खास महत्व है। रवि प्रदोष व्रत करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और वह दीर्घायु तथा सुखी जीवन व्यतीत करता है।  

 

कैसे करें पूजा 

रवि प्रदोष व्रत विशेष मनोकामना की पूर्ति हेतु खास होता है। अगर आप स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों से परेशान है तो यह व्रत अवश्य करें। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें। इस दिन अन्न न खाएं केवल फलाहार लें। साथ ही रवि प्रदोष के दिन नमक न खाना भी आपके लिए फायदेमंद होगा। इस व्रत से न केवल मनुष्य निरोगी होता है बल्कि सभी प्रकार के पापों से भी मुक्ति मिलती है। 

 

पूजा करने के लिए मंदिर को साफ करें और एक कलश में जल भर लें। उसके बाद थाली में सफेद फूल, धतूरा, फल और बेल पत्र रखें। इसके बाद दिन भर ऊं नमः शिवाय का जाप करें। फिर शाम को सूर्यास्त के बाद दुबारा स्नान करके शिव जी षोडषोपचार पूजन करें। ध्यान रखें कि रवि प्रदोष की पूजा शाम 4.30 से 7 बजे के बीच में करें। 

इसे भी पढ़ें: शुक्ल पक्ष में शुरू करें गुरुवार का व्रत, मिलेगा मनचाहा लाभ

रवि प्रदोष से जुड़ी कथा 

रवि प्रदोष से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। उस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ रहता था। एक बार वह गंगा स्नान के लिए जा रहा था तभी लुटेरे उसे मिल गए उन्होंने उसे पकड़ लिया और पूछा कि तुम्हारे पिता ने गुप्त धन कहां छुपा रखा है। इससे बालक डरकर बोला कि वह बहुत गरीब है उसके पास कोई धन नहीं है । तब लुटेरों ने उसे छोड़ दिया। वह घर वापस आने लगा कि तभी थकने के कारण पेड़ के नीचे सो गया और राजा के सिपाहियों ने उसे लुटेरा समझ कर पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। इधर गरीब ब्राह्मणी ने दूसरे दिन प्रदोष का व्रत किया और शिव जी से अपनी बालक की वापसी की प्रार्थना करते हुए पूजा की। 

 

शिव जी ब्राह्मणी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर राजा को सपने में बताया कि वह बाल जिसे तुमने पकड़ा है वह निर्दोष है उसे छोड़ दो। दूसरे दिन राजा ने बालक के माता-पिता को बुलाकर न केवल बालक को छोड़ दिया बल्कि उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए उन्हें पांच गांव भी दान में दे दिए। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से न केवल ब्राह्मण का बेटा मिला बल्कि उनकी गरीबी भी दूर हो गयी। 

 

प्रज्ञा पाण्डेय

 

प्रमुख खबरें

Elon Musk-Jeff Bezos के अलावा इन अरबपतियों को Donald Trump की जीत से हुआ बड़ा फायदा

नकली या असली संविधान? लाल किताब लेकर चल रहे राहुल गांधी, पन्ने खाली, बीजेपी ने उठाए सवाल, कांग्रेस ने किया पलटवार

Hema Committee Report: केरल HC ने महिला नीति के लिए नियुक्त किया न्याय मित्र, 26 प्राथमिकी में जांच में प्रगति का संकेत दिया गया

Yasin Malik की पाकिस्तानी पत्नी Mushaal Hussein ने Rahul Gandhi से मांगी मदद, Smriti Irani ने किया कटाक्ष