संघ की टोपी पहनकर गर्व के साथ लोकसभा पहुंचे रवि किशन

By अंकित सिंह | Jul 26, 2019

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के आवास पर गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भाजपा सांसदों के लिए 'गुरु दक्षिणा दिवस' का वार्षिक आयोजन किया। यह कार्यक्रम आरएसएस के सह सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) कृष्ण गोपाल के देख-रेख में हुआ और सांसदों को उन्होंने संबोधित भी किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भाजपा में नव-शामिल सदस्यों और पहली बार सांसद बने सदस्यों को आरएसएस की विचारधारा और इसके मूल्यों से अवगत कराना था। संघ के इस कार्यक्रम में मंत्री हों या फिर सांसद, सभी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सभी सांसदों ने ध्वज प्रणामऔर संघ की पार्थना नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे भी गाया। 

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उपस्थित लोगों में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, संतोष गंगवार, किरेन रिजिजू, जी किशन रेड्डी, प्रताप सारंगी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के बारे में बात करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हम सभी स्वयंसेवक हैं। मैंने पटना में राष्ट्रवाद पर अपना पहला पाठ तब सीखा जब मैं बाल स्वयंसेवक बन गया और उस वक्त मैं तीसरी कक्षा में था। उन्होंने कहा कि राष्ट्र पूजा और राष्ट्र सेवा वही है जो संघ ने हमें सिखाया है। रविशंकर प्रसाद के अलावा सभी मंत्रियों ने भी संघ के कामों को जमकर सराहा। भाजपा के टिकट पर पहली बार सांसद बने पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और अभिनेता रवि किशन के अलावा पार्टी के कई और भी सांसद कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह रही कि सभी नेता संघ की पारम्परिक टोपी में नजर आये। 

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इस कार्यक्रम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में रहे गोरखपुर से सांसद रवि किशन। रवि किशन ने संघ की पारम्परिक टोपी को ना सिर्फ कार्यक्रम में पहना बल्कि वह संसद में भी टोपी पहने पहुंच गए। रवि किशन ने कहा, "मुझे अपने जीवन में ऐसा ज्ञान पहले कभी नहीं मिला। मैंने सीखा कि संसद सदस्य या राजनेता में सेवा और समर्पण की भावना होनी चाहिए।" रवि किशन ने यह भी कहा कि हमें भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं से सीखना चाहिए जिन्होंने एक सरल जीवन व्यतीत किया और राष्ट्र को निस्वार्थ सेवा दी। 

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संघ के इस कार्यक्रम से एक बात तो जाहिर होती है कि यह संगठन हमेशा लोगों को जोड़ने का काम करता है। अगर हम गौतम गंभीर और रवि किशन की ही बात करें तो यह समझ में आ जाएगा। दोनों अलग-अलग क्षेत्रों में महारथ हासिल करने के बाद राजनीति में आए हैं। इनका संघ से कोई लेना-देना नहीं था पर इनके सार्वजनिक जीवन में आने के बाद जिस तरह से संघ ने इन्हें प्रभावित किया वह वह अपने-आप में काबिले तारीफ है। रवि किशन द्वारा कही गई बात यह भी बताता है कि संघ सिर्फ अपने विचारधारा से जुड़े महापुरुषों की हीं नहीं बल्कि सभी तरह से विचारधारा वाले लोगों को भी अपने शिक्षा का हिस्सा बनाता है जो विपक्ष के आरोपों पर एक करारा जवाब है। 

 

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