धर्मशाला । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को तिब्बतियों के अध्यात्मिक नेता दलाईलामा से उनके आवास पर मैक्लोडगंज में मुलाकात की। इस दौरान कोविड नियमों का पूरी तरह पालन किया गया। जिला कांगड़ा के पांच दिवसीय दौरे पर आए भागवत ने अपने प्रवास के अंतिम दिन दलाईलामा से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब एक घंटे तक चली। धर्मगुरु दलाईलामा के साथ हुई इस बैठक में भारत तिब्बत सहयोग मंच के मार्गदर्शक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार भी मौजूद रहे।
हालांकि दलाई लामा और आरएसएस के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत का खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन बताया जा रहा है। कि बैठक में तिब्बत मामले को लेकर भी चर्चा हुई। मोहन भागवत ने तिब्बत के प्रति चीन के रुख को लेकर बातचीत की। वहीं दलाई लामा ने अफगानिस्तान, सीरिया और ईराक में हो रहे मानवीय मूल्यों के हनन पर विचार साझा किए। इस मुलाकात के बाद विमान से सरसंघचालक मोहन भागवत लौट गए। कांगड़ा के दौरे के दौरान मोहन भागवत कई बैठकों में शामिल हुए। उन्होंने चीन और पाकिस्तान पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशान साधा।
देश की सुरक्षा का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि भारत अपने दुश्मनों को हल्के में न लें। वर्तमान में दलाईलामा की उम्र करीब 86 वर्ष है। दलाईलामा ने जनवरी 2020 में कोरोना संक्रमण फैलने के चलते अपने निवास स्थान मैक्लोडगंज से बाहर निकलना बंद कर दिया था। जनवरी से वह अपने निवास से दुनिया भर में ऑनलाइन तरीके से कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। धर्मगुरु सप्ताह में दो बार पब्लिक मीटिंग के जरिये समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करते थे। अभी पब्लिक मीटिंग को नहीं खोला गया है। निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने कुछ दिन पहले दलाई लामा से मुलाकात की थी। जिसके बाद उन्हें चार दिन आइसोलेशन में रहना पड़ा था।
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग ने माना कि यह मुलाकात में दोनों नेताओं में सामान्य मुद्दों के अलावा मानवता के बड़े हित के बारे में बात की होगी।“ इस बीच,मीडिया से बातचीत में मुलाकात के बारे में बोलते हुए श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि दलाई लामा ने उनसे कहा कि भारत धार्मिक सद्भाव का मॉडल है और भारत को इसे दुनिया को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत ने भी तिब्बत को भारत का समर्थन व्यक्त किया।