वन मंत्री राकेश पठानिया ने हिम वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवा परियोजना का किया शुभारंभ

By विजयेन्दर शर्मा | Sep 03, 2021

शिमला । वन, युवा सेवा एवं खेल मंत्री राकेश पठानिया ने आज शिमला के  पीटरहॉफ में  वन विभाग के माध्यम से GiZ पोषित HIMFES (हिम वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवा ) परियोजना का शुभारम्भ किया गया । कार्यक्रम में मुख्य सचेतक विक्रम जरयाल विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे ।

 

 

 इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश ने अभूतपूर्व सर्वांगीण विकास किया है और उन्हें यह सूचित करते हुए गर्व महसूस हो रहा है  कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे का विकास और गरीबों का उत्थान के क्षेत्रों में असाधारण प्रगति हासिल की है।

 

 

 

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारा राज्य पर्यावरण और वनों की सुरक्षा के लिए प्रासंगिक नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में अग्रणी रहा है, जो  जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश वन विभाग 2030 तक कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत वन आवरण  लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक बूटा बेटी के नाम, वन समृद्धि जन समृद्धि, सामुदायिक वन संवर्धन योजना और विद्यार्थी मित्र योजना जैसी कई योजनाओं को लागू कर रहा है।

 

 

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश वन विभाग का वन क्षेत्र में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वित्त पोषण एजेंसियों के साथ परियोजना को लागू करने का एक लंबा इतिहास रहा है। बाहरी सहायता प्राप्त परियोजना वन प्रबंधन में वर्तमान चुनौतियों का सामना करने वाले दृष्टि कोणों और मॉडलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परियोजना पश्चिमी हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड  में लागु होगी। परियोजना की लागत 3.85 मिलियन यूरो होगी, जो लगभग 33 करोड़ रुपये के बराबर है। हिमाचल प्रदेश में यह परियोजना कांगड़ा, चंबा और मंडी जिले की चयनित पंचायतों में लागू की जाएगी।

 

 

कार्यक्रम के दौरान राकेश पठानिया ने हिमाचल प्रदेश वन विभाग की नई वेबसाइट भी लॉन्च की, जिसे GiZ के सहयोग से नया रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परियोजना द्वारा सतत वन प्रवंधन को वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के रूप में लागू किया जायेगा और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए वनों के प्रबंधन पर पिछली परियोजना के दौरान सीखे गए सबक उत्तराखंड के साथ साझा किए जाएंगे। उनके अनुसार परियोजना जल सेवाओं के लिए वनों के प्रबंधन के उद्देश्य से संसाधनों और क्षमताओं के अभिसरण की तलाश के लिए अन्य सम्बंधित विभागों, बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं , निजी क्षेत्र और पंचायती राज संस्थाओं  के साथ जुड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी।

 

 

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अतिरिक्त मुख्य सचिव वन  निशा सिंह ने  संबोधित करते हुए कहा कि यह परियोजना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होगी और आशा व्यक्त की कि राज्य में ग्रामीण समुदाय की मदद के लिए परियोजना से सीख को लागू किया जाएगा।

 

 

प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन  डॉ0 सविता ने मुख्यातिथि का स्वागत करते हुए कहा कि वन विभाग में विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं , जिनके फल स्वरूप भारतीय  वन सर्वेक्षणं की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वर्षों में प्रदेश भर में 333.52 वर्ग  किलो मीटर वन अववरण में वृद्धि आंकी गयी।   उन्होंने राज्य में लागू की जा रही विभिन्न बाहरी परियोजनाओं की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परियोजना अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम होगी, जिसमें परियोजना क्षेत्रों के वन क्षेत्र के माध्यम से जल संसाधनों को फिर से जीवंत करने के लिए मॉडल के विकसित करने के अतिरिक्त परियोजना स्थलों के समुदायों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

 

 

बैठक में डॉ0 बसु सूद, योजना निदेशक,  रविंदर सिंह, निदेशक, इंडो-जर्मन जैव विविधता कार्यक्रम, हिमाचल प्रदेश वन विभाग और GiZ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ उस क्षेत्र की पंचायतों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया, जहां योजना लागू की जाएगी।

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