सर पर मैला ढोने की प्रथा जारी रहने का मुद्दा राज्यसभा में उठा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 19, 2017

सर पर मैला ढोने की प्रथा अब तक जारी रहने पर आज राज्यसभा में विभिन्न दलों के सदस्यों ने चिंता जताई और सरकार से मांग की कि न केवल इस प्रथा पर तत्काल रोक लगाई जाए बल्कि तीन दिन पहले दिल्ली में सैप्टिक टैंक की सफाई के लिए उतरे चार दलितों की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत होने सहित ऐसे सभी मामलों में समुचित मुआवजा भी दिया जाए। सरकार की ओर से कहा गया इस तरह की कोई भी घटना घटने पर वह राज्य सरकार से संपर्क कर तत्काल कार्रवाई करती है और इस संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का अक्षरक्ष: पालन करने का प्रयास कर रही है।

 

शून्यकाल में आज जदयू के अली अनवर अंसारी ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि एक ओर जहां चंद्रमा पर जाने की बात की जाती है वहीं दूसरी ओर सर पर मैला ढोने की प्रथा पर अब तक रोक नहीं लग पाई है। पूरे देश भर में यह प्रथा जारी है और यह शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में गत शनिवार को सैप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए उतरे चार दलितों की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत हो गई। उन्होंने दावा किया कि बीते ढाई साल में देश भर इसी तरह करीब ढाई हजार दलितों की जान गई है। लेकिन एक भी मामले में न तो मुकदमा दर्ज किया गया और न ही पीड़ितों के परिवारों को कोई मुआवजा दिया गया।

 

सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाते हुए अंसारी ने कहा कि दलितों के विकास की बात तो की जाती है लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जाती। उन्होंने कहा ‘‘सर पर मैला ढोने की प्रथा आज तक इसलिए जारी है क्योंकि सरकार की संवेदना खत्म हो चुकी है।’’ उन्होंने सरकार से इस प्रथा पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। विभिन्न दलों के सदस्यों ने अंसारी के इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

 

इस पर सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि यह सच है कि सर पर मैला ढोने की प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले दिल्ली में सैप्टिक टैंक की सफाई के लिए उतरे चार दलितों की जहरीली गैस के संपर्क में आने से मौत होने के मामले में राज्य सरकार से संपर्क कर कार्रवाई की जाएगी जैसा कि इस तरह के मामलों में किया जाता है। गहलोत ने कहा कि वर्ष 2014-2015 के बाद से इस तरह की घटनाएं होने पर पीड़ितों के परिवारों को राज्य सरकारों की ओर से मुआवजा दिया गया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने ऐसे मामलों में दस लाख रूपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया था जिसका अक्षरक्ष: पालन करने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही गहलोत ने आश्वासन दिया कि इस तरह के मामले उनके संज्ञान में लाए जाने पर वह अवश्य कार्रवाई करेंगे।

 

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