राजस्थान सरकार को बंद हो चुके स्कूल के शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 07, 2021

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान सरकार को 2011 में बंद हुए सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के शिक्षकों के वेतन का 70 प्रतिशत हिस्सा चार सप्ताह के भीतर उन्हें देने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने शिक्षकों को वेतन के 70 प्रतिशत हिस्से के भुगतान के अपने 2019 के आदेश का पालन नहीं करने के लिए राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई अवमानना ​​की कार्यवाही को बंद कर दिया। पीठ ने कहा कि स्कूल चलाने वाले ट्रस्ट ने संस्थान के शिक्षकों को छठे वेतन आयोग के अनुसार 52.26 लाख रुपये का भुगतान किया है और अदालत के आदेश के अनुसार, राज्य को संस्थान को इस राशि के 70 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति करनी थी।

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पीठ ने कहा, राज्य ने संस्थान को कुल राशि के 30 प्रतिशत हिस्से यानी 10.41 लाख रुपये का भुगतान किया। कुल राशि का 70 प्रतिशत यानी 41.85 लाख रुपये बकाया है। राज्य को चार सप्ताह की अवधि के भीतर इसका भुगतान करना है। अवमानना ​​कार्यवाही बंद की जाती है। हमने यह आदेश पक्षों के बीच पूर्ण न्याय करने के लिए किया है। याचिकाकर्ता ट्रस्ट प्रबंधन समिति बिशंभर लाल माहेश्वरी एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने अदालत को बताया कि शीर्ष अदालत के 2019 के आदेश का अभी भी राज्य सरकार पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि 30 सितंबर, 2019 का आदेश शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी पूर्ण शक्ति को लागू करते हुए पारित किया था और राज्य को इसका पालन करने की आवश्यकता है। पीठ ने 2019 के अपने आदेश को नोट किया और कहा कि राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर उसके निर्देश का पालन करना है। मई में, शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था कि 2011 में बंद हो चुके स्कूल के शिक्षकों को 70 प्रतिशत वेतन भुगतान के 2019 के आदेश का पालन न करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए?

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राजस्थान गैर-सरकारी शिक्षा संस्थान अधिनियम 1989 के प्रावधान के अनुसार, एक सहायता प्राप्त संस्था ट्रस्ट को राज्य सरकार से सहायता अनुदान का 70 प्रतिशत प्राप्त हो रहा था। याचिका में कहा गया है कि छात्रों की संख्या में भारी कमी के साथ-साथ घाटे से उबरने कारण, राज्य सरकार द्वारा एक अप्रैल 2008 से अनुदान सहायता रोक दी गई। स्कूल के शिक्षकों ने बकाया के साथ भुगतान के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया, जिसने स्कूल प्रबंधन को एक अप्रैल 2008 से 30 अप्रैल 2011 तक पूरे वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया था।

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