By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | Apr 20, 2021
कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में पहली बार एक दिन में दो लाख 73 हजार नए संक्रमण के मामले आये हैं तो 24 घंटों में 1619 संक्रमितों की मौत दिल दहलाने वाली है। ब्राजील के बाद अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नंबर पर हम आ गए हैं। कमोबेस देश के सभी राज्यों में स्थिति बेकाबू होती जा रही है। ऐसें में राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा कोरोना महामारी के इस दौर से निपटने में जनभागीदारी तय करने का जो नायाब नुस्खा निकाला गया है उसका बिना किसी आलोचना-प्रत्यालोचना के स्वागत किया जाना चाहिए। इससे पहले कोरोना के पहले दौर में कोरोना से निपटने के लिए अपनाया गया भीलवाड़ा मॉडल भी देश में ही नहीं विदेशों तक में सराहा जाता रहा है। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जहां राज्यों को लॉकडाउन लगाने या ना लगाने का निर्णय स्वविवेक पर करने को कहा है वहीं राजस्थान की सरकार ने 19 अप्रैल से 3 मई तक जन अनुशासन पखवाड़ा मनाने का निर्णय किया है। यह इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि अन्य प्रदेशों की तरह राजस्थान में भी हालात गंभीर होते जा रहे हैं। रविवार को ही प्रदेश में 10 हजार नए रोगी और 42 मौत की सूचनाएं आई हैं।
जब सारी दुनिया यह मान चुकी है कि कोरोना से बचाव का सर्वाधिक कारगर उपाय आम आदमी के हाथ में ही है और उसे कोरोना प्रोटोकाल के नाम से बच्चा-बच्चा जानने लगा है। वह है दो गज की दूरी-मॉस्क जरूरी। बार-बार हाथ धोना और सैनेटाइजर का उपयोग। यह सब जानते हुए भी पिछले दिनों जो लापरवाही आमजन द्वारा बरती गई है उसके दुष्परिणाम सामने हैं। कुछ दिनों पहले जब अस्पताल में गिने चुने कोरोना संक्रमित ही दिखने लगे थे एकाएक अप्रैल माह में इसमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है और संक्रमितों की संख्या ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। देश में पहली बार ऑक्सीजन की कमी देखी जा रही है। ऐसे में राजस्थान सरकार लॉकडाउन का जो नया रूप लेकर आई है वह अपने आप में इस मायने में अनूठा हो जाता है कि लॉकडाउन के प्रावधान भी हैं, सख्ती भी है, उद्योगों को बचाने का प्रयास भी है, आवश्यक सेवाओं को अनवरत चालू रखने का संकल्प भी है तो लोगों को आम जरूरत की आवश्यक वस्तुएं यथा दवा, राशन सामग्री, खाने-पीने का सामान, फल, साग-सब्जी, दूध, यहां तक कि मिठाई आदि की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है।
बस इसके साथ जोड़ा गया है तो वही जो आम आदमी जानता भी है और अपनी बुद्धिमानी का परिचय देते हुए थोक के भाव वाट्सएप पर प्रचारित भी कर रहा है। आम आदमी जो कर नहीं रहा है वह है दूसरों को दिये जा रहे ज्ञान की स्वयं द्वारा पालना। इसी को ध्यान में रखते हुए 19 अप्रैल से 3 मई तक के लॉकडाउन को जन अनुशासन पखवाड़ा नाम दिया जाना इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि लोगों में कम से कम समझ तो आएगी। अनावश्यक रूप से लोग घर से नहीं निकलेंगे। ऑफिसों व बाजार में जमावड़ा नहीं होगा। अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़कर मॉल्स व अन्य प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। अनावश्यक आवागमन नहीं होगा। लोग घर में रहेंगे तो कोरोना संक्रमण रुकेगा। अब यह भी माना जाने लगा है कि कोरोना संक्रमित के हवा में सांस छोड़ने के साथ ही यह वायरस हवा के माध्यम से तेजी से फैल रहा है। अब तो एकमत से यह स्वीकारा जा रहा है कि पहले सख्ती की गई होती या कोरोना प्रोटोकाल खासतौर से मास्क का सही उपयोग, सोशल डिस्टेंसिंग आदि की पालना आम आदमी द्वारा की जाती रहती तो आज कोरोना की यह दूसरी लहर इस भयावहता के साथ नहीं देखनी पड़ती। यही कारण है कि सरकार ने लॉकडाउन को भी गांधीवादी जामा पहनाते हुए स्व पर अनुशासन का संदेश दिया है। इसीलिए इसे जन अनुशासन पखवाड़ा नाम दिया गया है।
खास बात यह है कि एक और कोरोना प्रोटोकाल की सख्ती से पालना का संदेश दिया है वहीं उद्योग धंधों को कोरोना प्रोटोकाल की पालना करते हुए चालू रखने का निर्णय कर मजदूरों के पलायन को रोकने का सार्थक प्रयास किया गया है। लॉकडाउन की संभावनाओं व अफवाहों के चलते देश के कई हिस्सों से प्रवासी श्रमिकों के पलायन की सिलसिला शुरू होने लगा है। बिहार और यूपी के श्रमिक अपने यहां लौटने लगे हैं। साल भर पहले के प्रवासी श्रमिकों के हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुए अपने घर लौटने के रोंगटे खड़े करने वाली तस्वीरें सामने हैं। ऐसे में राजस्थान की सरकार ने उद्योगों को चालू रखने का निर्णय कर श्रमिकों में विश्वास पैदा किया है। इसी तरह से राजमार्गों पर ढाबों, रिपेयरिंग की दुकानों व ट्रांसपोर्ट वाहनों के निर्बाध आवागमन की व्यवस्था की है। हां, समय की मांग व आवश्यकता को देखते हुए ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए जीवन रक्षा के लिए उद्योगों के स्थान पर अस्पतालों को उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ऑक्सीजन के अभाव में लोगों के दम तोड़ने के समाचार आम होते जा रहे हैं। पहली बार ऑक्सीजन सिलेण्डरों की देशव्यापी कमी देखी जा रही है। इस सबके साथ ही सरकार ने टीकाकरण की निरंतरता बनाए रखने की व्यवस्था की है। जन अनुशासन पखवाड़े में टीकाकरण निर्बाध रूप से जारी रहेगा।
कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए बिना किसी आलोचना प्रत्यालोचना के केन्द्र व राज्य सरकारों को एकजुट होकर संक्रमण को फैलने से रोकने के समग्र प्रयास करने होंगे। लॉकडाउन के स्थान पर जन अनुशासन के नाम पर लोगों में समझ आती है तो इसे सकारात्मक माना जाना चाहिए। लोगों को निज पर शासन यानी कि अनुशासन यानी कि स्वपालना पर जोर देना होगा। यदि हम घर से शुरुआत करते हैं और मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंस, बार-बार हाथ धोने, सैनेटाइज करने जैसे सहज उपायों को अपनाते हैं तो इस कोरोना रूपी राक्षस से आसानी से बच सकते हैं। यही संदेश है और इसी का पालना हमें दूसरों को शिक्षा देने के स्थान पर अपने स्तर पर करनी है।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा