जयपुर।
राजस्थान में सियासी संकट के बीच
भाजपा विधायक मदन दिलावर ने मंगलवार को उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर कीं। इसमें उन्होंने बसपा के छह विधायकों के
कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ उनकी शिकायत खारिज करने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी है। दिलावर के वकील ने बताया कि सोमवार को विधानसभा सचिवालय से मिले पत्र के खिलाफ पहली याचिका आज सुबह में दाखिल की गयी। इस पत्र में कहा गया कि शिकायत पर फैसला हो चुका है और विधानसभा अध्यक्ष ने इसे खारिज कर दिया। वकील ने बताया, ‘‘(शिकायत खारिज होने के बारे में) विधानसभा अध्यक्ष का विस्तृत आदेश हमें आज मिला। विस्तृत आदेश को चुनौती देते हुए हमने दूसरी याचिका दाखिल की है।’’
दिलावर ने मार्च में विधानसभा अध्यक्ष के पास अपनी शिकायत दर्ज करायी थी और 24 जुलाई को उन्होंने मामले में कार्रवाई नहीं होने पर उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिलावर की याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी कि यह अब निरर्थक हो गयी है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी शिकायत पर आदेश पारित कर दिया था। दिलावर ने मंगलवार को दायर नई याचिका में उनकी शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष के 24 जुलाई को दिए आदेश की वैधता और सटीकता को चुनौती दी है। भाजपा विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में संविधान की 10वीं अनुसूची के पैरा दो के तहत बसपा के सदस्यों को विधानसभा की सदस्यता के लिये अयोग्य घोषित करने का अनुरोध किया था। दिलावर ने आरोप लगाया है कि अध्यक्ष ने फैसला सुनाते समय उनकी बात नहीं सुनी।
विधायक ने सोमवार को आदेश की प्रति की मांग करते हुए विधानसभा सचिव के कक्ष में धरना दिया था। मंगलवार को उनको विस्तृत आदेश थमाया गया। उल्लेखनीय है कि 2018 के चुनाव में संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा बसपा के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने पिछले साल 16 सितंबर को कांग्रेस में एक समूह के रूप में विलय के लिए अर्जी दी थी। विधानसभा अध्यक्ष ने अर्जी के दो दिन बाद आदेश जारी कर घोषित किया कि इन छह विधायकों से कांग्रेस के अभिन्न सदस्य की तरह व्यवहार किया जाए। इस विलय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार को मजबूती मिली और 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या बढ़कर 107 हो गई।