हवन के धुंए से बहुत ज़्यादा प्रसन्न होकर इंद्रदेव ने इतना पानी सप्लाई कर दिया कि नदी, नाले और मैदान के साथ साथ छोटे शहर के बाज़ार में भी दो फुट पानी खड़ा हो गया। कुछ दुकानों में तो एक डेढ़ फुट अन्दर तक जाकर वहीं रहने लगा। दुकानदारों ने म्युनिसिपल कमेटी में फोन किया तो राष्ट्रहित में समझाया गया कि सभी कर्मचारी इलाके को हरा भरा बनाने के लिए वृक्षारोपण में अति व्यस्त हैं। अध्यक्ष महाराज को फोन किया तो वे सुन नहीं पाए। पार्षद राजा को किया तो उन्होंने झट काट दिया। काफी देर बाद, दो दर्जन परेशान बंदे मिल कर महाराज के दरबार में हाज़िर हुए, शुक्र है जनाब मिल गए। उन्होंने बड़े अदब से बताया, सरजी मैं तो आदरणीय मंत्रीजी को पौधे पकड़ा रहा था उन्होंने पूरे एक हज़ार एक पौधे लगाए, आपको पता ही है हम सबने मिलकर पर्यावरण को बचाना है। आप खुद समझते हैं कि नई सरकार आते ही नगरपालिका की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है और बदल भी जाती हैं, जैसे टूटी हुई सड़कें, गरीबों के गिरे हुए झोपडों के पास नए मंत्रीजी को पहुंचाना वगैरा, खैर... अब आप सेवा बताएं।
इसे भी पढ़ें: खोदा पहाड़ और निकली... (व्यंग्य)
आम बंदों ने ख़ास बंदे से गुजारिश की, जनाब आप खुद चलकर देखें, बारिश के तीन दिन बाद भी बाज़ार में इस समय दो फुट पानी खड़ा है। ग्राहक गायब, बीमारियां शुरू, लोग हाथ में जूते उठाकर चल रहे हैं। साथ लगते घरों के बाहर से भी पानी की निकासी नहीं हो रही, बच्चे दुखी, घर से निकल नहीं पा रहे खेलने के लिए। समझदार अध्यक्ष बोले, सकारात्मक सोचो मित्रो, कितना आशीर्वाद दिया इंद्रदेवजी ने, आपके घर के बाहर पानी है। अपने बच्चों को बोलो कागज की कश्तियाँ बना कर पानी में तैराएं। इस मौके पर आपको भी अपना बचपन याद आ जाएगा। जनता ने कहा यह संजीदा मामला है, अध्यक्षजी जब भी बारिश होती है पानी ऐसे ही रुक जाता है। छ: साल पहले नगर पालिका ने सीमेंट का फर्श डलवाया था तब से हर साल बरसात के मौसम में पानी दुकानों में घुस जाता है। अध्यक्ष ने स्पष्ट घोषणा की, जब फर्श डाला गया था तब दूसरी पार्टी की सरकार थी और हम भी तो अध्यक्ष न होते थे।
इसे भी पढ़ें: ऊंची नाक का सवाल (व्यंग्य)
घबराएं नहीं, हमने समस्या को गर्दन से अच्छी तरह पकड़ लिया है, जिस पर गहन विचार किया जा रहा है, पानी की ज्यादा बेहतर निकासी के लिए उम्दा योजना बनाई जा रही है। फिलहाल नालियां साफ करने का आदेश दे दिया है। दुकानदारों ने फिर कहा छ: साल से ऐसा ही हो रहा है। पुरानी बातें भूल जाएं, अध्यक्ष महाराज ने कहा, हम समय निकाल कर देखेंगे कि पहले क्या क्या गलत हो चुका है। आपको यह जानकर खुशी होगी, हमने इस मामले को भी राष्ट्रीय स्वच्छ मिशन के अंतर्गत ले लिया है। हम क्षेत्र की साफ सफाई के बारे में बहुत अच्छे तरीके से बैठकें करने जा रहे हैं जिसमें गहन विचार विमर्श किया जाएगा। आपको पता ही है अच्छे काम को अच्छे तरीके से करने में वक़्त तो लगता ही है। यह तो नीली छतरी वाले की ग़लती के कारण बारिश ज़्यादा हो गई, नहीं तो आपको कोई दिक्कत नहीं होती, प्राकृतिक आपदा के सामने किस का बस चलता है। दुकानदारों ने वापिस बाज़ार पहुंच कर देखा तो बच्चे बारिश के पानी में कागज़ की कश्ती से खेल रहे थे, बोले, देखो पापा, आप भी बचपन में ऐसा ही करते थे न ?
- संतोष उत्सुक