लखनऊ। लोकतंत्र में सरकार की नीतियों या किसी संगठन के मनमानी रवैये के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिये धरना-प्रदर्शन एक आम बात है। तमाम ऐसे धरने भी होते हैं जिसमें दूर दराज से लोग भाग लेने आते हैं, लेकिन ऐसे आदोलनों पर तब प्रश्न चिन्ह लग जाता है जबकि प्रदर्शनकारी बिना टिकट लिये ट्रेनों या सरकारी बसों में सवार हो जाते हैं। इससे सरकार को करोड़ों रूपये का नुकसान होता है। कभी कभी तो इन धरना प्रदर्शन में इतनी बढ़ी संख्या में आंदोलकारी पूरे देश से आ जाते है जिसके चलते कई बार तो यह धरना प्रदर्शन ऐतिहासिक हो जाता है। सरकार तक चली जाती है।
बहरहाल, प्रदर्शनकारियों का बिना टिकट रेल यात्रा करने के खिलाफ अब रेलवे ने तमाम किसान व अन्य सगठनों को पत्र लिखकर चेताया है। प्रयागराज रेल डिवीजन ने उत्तर प्रदेश की एक किसान यूनियन को पत्र लिखकर कहा है कि अगर वे दो से चार अक्टूबर तक अपने प्रस्तावित कार्यक्रमों के लिए बिना टिकट ट्रेन में यात्रा करते हैं तो रेलवे अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। बता दें अखिल भारतीय किसान यूनियन (एबीकेयू) एक एटा जिसने दो अक्टूबर से लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा है। उधर, रेलवे के इस पत्र के खिलाफ एबीकेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रेलवे को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि किसान यूनियन के पदाधिकारी अपने प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए ट्रेन में यात्रा करेंगे और वह भी पहले की तरह बिना टिकट।
बता दें रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 55 के तहत कोई भी व्यक्ति बिना टिकट या रेलवे अधिकारी की अधिकृत अनुमति के बिना ट्रेन में यात्रा नहीं कर सकता। चूंकि बिना टिकट यात्रा करना दंडनीय अपराध है, इसलिए उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा यदि रेलवे को वित्तीय या संपत्ति का कोई नुकसान होता है या कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए भी आप जिम्मेदार होंगे और रेलवे अधिनियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।