By अभिनय आकाश | Mar 14, 2023
राहुल गांधी बीते दिनों लंदन यात्रा पर नजर आए और एक-एक दिन बीजेपी और आरएसएस पर हमलावर नजर आए। राहुल गांधी ने बीजेपी की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करते हुए आरएसएस को सीक्रेट सोसाइटी बताया। मिस्त्र में खून की नदियां बहाकर सत्ता में आने वाला मुस्लिम ब्रदरहुड की कहानी सुनकर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और उनकी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना करते हुए, राहुल ने भाजपा के वैचारिक माता-पिता आरएसएस के बारे में भी बात की। उन्होंने इसे फासीवादी संगठन करार दिया। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि मुस्लिम ब्रदरहुड क्या है जिसकी तुलना राहुल आरएसएस से कर रहे हैं। सीक्रेट सोसाइटी किसे कहते हैं?
राहुल गांधी ने क्या कहा?
यूके में अपनी टिप्पणियों में बीजेपी को निशाने पर लिया है। राहुल ने आरएसएस को एक फासीवादी सीक्रेट सोसायटी बताया। राहुल ने कहा, ‘आरएसएस एक सीक्रेट सोसाइटी है। इसका निर्माण मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर हुआ है और इनका मानना है यह है कि सत्ता में आने के लिए लोकतांत्रिक चुनाव का इस्तेमाल करो और बाद में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को तबाह कर दो।’ इससे पहले उन्होंने आरोप लगाए थे कि सरकार उन्हें सदन में बात भी नहीं करने देती है। उन्होंने कहा था, ‘लोकतांत्रिक चुनावों के हाल पूरी तरह बदल गए हैं और इसकी एक वजह एक कट्टर, फासीवादी संगठन आरएसएस है। जिसने भारत की लगभग सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे देश की अलग-अलग संस्थाओं पर कब्जा करने में उनकी सफलता देख मुझे हैरानी होती है। प्रेस, न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग सभी खतरें में हैं और किसी न किसी तरह से नियंत्रण में हैं।’
मुस्लिम ब्रदरहुड क्या है?
मुस्लिम ब्रदरहुड इजिप्ट का एक इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन है, जिस पर कई देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है। बहुत सारे मुस्लिम देश भी इसे एक आतंकवादी संगठन मानते हैं। इनमें इजिप्ट के अलावा बहरीनस सीरिया, सउदी अरब और यूएई जैसे देश प्रमुख हैं। ऑस्ट्रिया और रूस में भी मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। ब्रदरहुड की स्थापना 1928 में मिस्र में स्कूली शिक्षक हसन अल-बन्ना ने की थी। थिंक टैंक काउंटर एक्सट्रीमिज्म प्रोजेक्ट (सीईपी) के अनुसार, संगठन शरिया नामक इस्लामिक कानून द्वारा शासित एक वैश्विक इस्लामिक राज्य की स्थापना करना चाहता है। मुस्लिम ब्रदरहुड एक अंतर्राष्ट्रीय सुन्नी इस्लामवादी आंदोलन है जो एक वैश्विक खिलाफत के तहत शरीयत (इस्लामी कानून) को लागू करना चाहता है। बन्ना मुसलमानों में धर्मनिरपेक्षता और पश्चिमी संस्कृति का उदय समाज के लिए बड़ा खतरा मानते थे। इस खतरे का मुकाबला करने के लिए बन्ना ने स्कूलों, मस्जिदों और कॉफी हाउसों में दावा (धर्मांतरण) शुरू किया, अपनी पैन-इस्लामवादी विचारधारा का प्रसार किया और शरीयत में लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस्लामवाद उन विश्वासों की श्रेणी को संदर्भित करता है जो राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्लामी प्रतीकों और ग्रंथों का उपयोग करते हैं। विद्वान जोर देते हैं कि इस्लाम और इस्लामवाद समान नहीं हैं। वाशिंटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी के लिए लिखते हुए सोनर कैगप्टे लिखते हैं कि इस्लामवाद इस्लाम नहीं है बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा है जो अपने उद्देश्यों के लिए इस्लामी धर्म का दुरुपयोग करती है।
राहुल ने आरएसएस को फासीवादी क्यों कहा?
फासीवाद एक राजनीतिक विचारधारा है जो 20वीं शताब्दी में यूरोप में विकसित हुई थी जो मोटे तौर पर एक अधिनायकवादी शासन की कल्पना करती है जहां 'राष्ट्रीय हित' व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वतंत्रता पर हावी हो जाता है। 1919-45 के दौरान इटली और जर्मनी फासीवाद से ग्रस्त थे और यह द्वितीय विश्व युद्ध में उनके गठबंधन में परिलक्षित हुआ था। यही कारण है कि द्वितीय विश्व युद्ध दुनिया के दो अलग-अलग दृष्टिकोणों का युद्ध था -एक स्वतंत्र दुनिया का और दूसरा एक फासीवादी दुनिया का जो अधिनायकवादी और अंतर्निहित नस्लवादी है।
सीक्रेट सोसाइटी क्या है?
युद्ध, आतंकी हमला, हत्याकांड, सरकारी योजनाएं जब-जब मानवीय जीवन में कोई महत्वपूर्ण घटना घटित हुई है तो बहुत सारी कॉन्सपिरेसी थ्योरी बाहर आई है। एक पौराणिक सभ्यता होने की वजह से भारत के पास कॉन्सपिरेसी थ्योरी का भंडार है। सीक्रेट सोसायटी एक ऐसा संगठन है जिसकी गतिविधियों, घटनाओं, आंतरिक कामकाज या सदस्यता को छुपाया जाता है। सीक्रेट सासाइटी ऑफ स्कल एंड बोन्स इस लिस्ट में पहला नाम है। 1832 में बनी येल यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स की कम्युनिटी आज एक सीक्रेट सासाइटी है। ऐसा भी माना जाता है कि सीआईए जो विश्व की सबसे बड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी है उसके फाउंडर मेंबर इस सीक्रेट सोसाइटी के सदस्य थे। इसके सदस्यों में तीन अमेरिकी राष्ट्रपति विलियम हॉवर्ड टैफ़्ट, जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश और जॉर्ज डब्ल्यू बुश के नाम होने का भी दावा किया जाता है।