By अंकित सिंह | Apr 29, 2024
ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश को लेकर अपनी रणनीति में कोई बड़ा बदलाव किया है। तभी तो स्टार प्रचारक के रूप में पार्टी की ओर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने अब तक राज्य में प्रचार में अपनी ताकत नहीं दिखाई है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में वे अपने प्रचार में व्यस्त हैं। दूसरी ओर राज्य के प्रभारी अविनाश पांडे इंडिया गठबंधन के समन्वय पर अपना ध्यान दे रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगभग प्रचार से दूर रहे हैं। दोनों ने दो चरणों के चुनाव के लिए यूपी में सिर्फ एक-एक चुनावी प्रचार किया है।
26 अप्रैल तक तीन हफ्तों में, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 38 रैलियों और प्रबुद्ध सम्मेलनों (बुद्धिजीवियों के सम्मेलन) को संबोधित किया था। वहीं, पीएम मोदी ने 26 अप्रैल तक सात सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया और दो रोड शो का नेतृत्व किया। दूसरी ओर देखें तो एआईसीसी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सहारनपुर में एक रोड शो किया था, जो उन्होंने पार्टी उम्मीदवार इमरान मसूद के लिए आयोजित किया था। इस दौरान राहुल गांधी ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ संयुक्त रूप से कांग्रेस प्रत्याशी दानिश अली के लिए अमरोहा में सिर्फ एक रैली को संबोधित किया। यूपी में पिछले कई चुनावों में कांग्रेस के अभियानों का नेतृत्व दोनों भाई-बहन में से किसी एक ने जरूर किया है।
अब तक अभियान में उनकी अनुपस्थिति महसूस की जा रही है, जबकि पार्टी कैडर शेष चरणों के लिए अपना मनोबल बढ़ाने के लिए अमेठी और रायबरेली से उनके नामों की घोषणा का इंतजार कर रहा है। पश्चिमी यूपी की 26 सीटों में से अब तक दो चरणों में 16 सीटों पर मतदान हो चुका है। बाकी 10 सीटों पर तीसरे चरण में 7 मई को मतदान होगा इंडिया ब्लॉक के हिस्से के रूप में कांग्रेस एसपी के साथ गठबंधन में पूरे यूपी में जिन 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उनमें से छह पश्चिमी यूपी में हैं। इनमें से पांच पर पहले दो चरणों में मतदान हुआ।
कांग्रेस की सहयोगी पार्टी सपा अपना प्रचार अभियान तेज करने की कोशिश कर रही है, जो मुख्य रूप से अखिलेश यादव पर निर्भर है। अखिलेश के चाचा शिवपाल बड़े पैमाने पर अपने बेटे आदित्य यादव के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, जो बदायूँ में पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। 12 अप्रैल को पीलीभीत से अपना चुनावी अभियान शुरू करने वाले अखिलेश पिछले 14 दिनों में केवल आठ सार्वजनिक सभाओं को संबोधित कर पाए हैं, जिनमें बिजनौर, मेरठ, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, मोरादाबाद, गौतम बुद्ध नगर और एटा शामिल हैं।
तीसरा चरण सपा के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि चुनाव में तीन सीटें उसका गढ़ हैं, जिनमें डिंपल यादव मैनपुरी से और अखिलेश के चचेरे भाई अक्षय और आदित्य क्रमशः फिरोजाबाद और बदांयू से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि इंडिया उम्मीदवार अखिलेश और राहुल की संयुक्त रैलियों से लाभ की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पहले दो चरणों में केवल एक की व्यवस्था की जा सकी, वह भी कांग्रेस उम्मीदवार के लिए।
इसके विपरीत, सीएम योगी ने सार्वजनिक बैठकों या प्रबुद्ध सम्मेलनों के माध्यम से कई निर्वाचन क्षेत्रों को दो बार, कुछ को तीन बार भी छुआ है। उन्होंने लगभग चार सप्ताह पहले मथुरा में एक प्रबुद्ध सम्मेलन के साथ शुरुआत की, और मेरठ, गाजियाबाद, शामली, सहारनपुर, बिजनोर, अमरोहा, हाथरस, बुलंदशहर, गौरम बुद्ध नगर, पीलीभीत, बदांयू, बरेली और आगरा में ऐसे सम्मेलनों को संबोधित किया। पिछले दो हफ्तों में, आदित्यनाथ ने मथुरा, बागपत, अलीगढ़, सहारनपुर, बिजनोर, नगीना, रामपुर, हापुड, मुजफ्फरनगर, कैराना, मोरादाबाद, पीलीभीत और गौतम बुद्ध नगर सहित अन्य स्थानों में सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया है। नगीना, बागपत और सहारनपुर जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में, उन्होंने पिछले महीने में दो से अधिक रैलियों को संबोधित किया है।