सोनिया तो रायबरेली हो आईं, राहुल गांधी अमेठी जाएंगे या नहीं ?

By अजय कुमार | Jun 14, 2019

बात बहुत पुरानी नहीं है जब गांधी परिवार रायबरेली और अमेठी संसदीय सीट को लेकर बड़ी−बड़ी बातें किया करता था। इन दोनों सीटों के वाशिंदों के साथ अपने भावनात्मक लगाव का ढिंढोरा गांधी परिवार सदियों से पीटता चला आ रहा है। हाल के लोकसभा चुनाव में भी प्रचार के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने रायबरेली और अमेठी को सोनिया और राहुल की कर्मभूमि भी बताया था। इस क्षेत्र की जनता के प्रति विश्वास ऐसा था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने यहां नामांकन के बाद चुनाव प्रचार के लिए समय ही नहीं दिया। बड़े−बड़े राजनैतिक पंडित भी कह रहे थे कि यूपी में कांग्रेस को दो सीटें (रायबरेली−अमेठी) मिलना तय है, लेकिन जब ईवीएम खुली तो कांग्रेस हक्का−बक्का रह गई, जो अमेठी राहुल के लिए अजेय मानी जा रही थी, वहां बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी की मेहनत रंग लाई और कांग्रेस का यह मजबूत 'सियासी किला' ध्वस्त हो गया तो उधर रायबरेली से सोनिया गांधी की जीत का अंतर काफी कम हो गया। भला हो उन कांग्रेसियों का जिन्होंने हवा का रूख पहले से ही पहचान लिया था और राहुल गांधी का केरल के वायनाड से भी नामांकन करा दिया था, वर्ना राहुल गांधी संसद की सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाते।

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खैर, हार−जीत लगी रहती है। इंदिरा गांधी हों या फिर अटल बिहारी वाजपेयी जैसे तमाम दिग्गजों को भी समय−समय पर हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इन नेताओं ने कभी हार का बदला जनता से नहीं लिया। बल्कि इसे जनादेश मानकर पूरा सम्मान दिया, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से मिली हार को पचा नहीं सके। उन्होंने एक ही झटके में अमेठी से 15 वर्ष के पुराने रिश्ते से दूरी बना ली। राहुल वायनाड के मतदाताओं का आभार व्यक्त करने के लिए तीन दिनों तक वायनाड में रूके रहे, लेकिन अमेठी आने का समय उन्हें आज तक नहीं मिला है, जबकि उम्मीद यही जताई जा रही थी कि राहुल गांधी कम से कम उन वोटरों का तो आभार जताने आएंगे ही जिन्होंने राहुल के पक्ष में मतदान किया था। ऐसे वोटरों की संख्या लाखों में है। एक तरफ राहुल गांधी ने अमेठी से दूरी बना ली तो दूसरी तरफ सोनिया गांधी ने भी रायबरेली आने में काफी देरी कर दी। चुनाव के नतीजे आने के करीब बीस दिनों के बाद सोनिया का प्रियंका वाड्रा के साथ रायबरेली आगमन हुआ, लेकिन अमेठी को अभी भी राहुल का इंतजार है।

 

बहरहाल, ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार अपने सियासी गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी से दूरी बनाकर चल रहा है, लेकिन कम से कम गांधी परिवार का रायबरेली में तो आगमन हुआ। सोनिया−प्रियंका के रायबरेली दौरे के बाद चर्चा यह हो रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष जल्द ही अमेठी जाएंगे और हार के बावजूद वहां की जनता का धन्यवाद करेंगे। गांधी परिवार की इन दोनों सीटों पर हार के बाद नाराजगी को इस बात से समझा जा सकता है कि सोनिया गांधी रायबरेली में अपनी जीत का सर्टिफिकेट लेने भी नहीं गयीं।

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असल में कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि अगर राहुल अमेठी नहीं जाते हैं तो जनता की नाराजगी कांग्रेस के प्रति और ज्यादा बढ़ेगी और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अमेठी में और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अमेठी की पांच विधानसभा सीटों में से एक पर ही कांग्रेस के प्रत्याशी ने 2017 के चुनाव में जीत हासिल की थी। लिहाजा अपने गढ़ को बचाने के लिए राहुल गांधी अमेठी जाएंगे और जनता का धन्यवाद करेंगे। इसके जरिए वह जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करेंगे। कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि अगर रायबरेली और अमेठी से यूं ही दूरी बनाकर रखी तो आने वाले दिनों कांग्रेस को राजनैतिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ेगा।

 

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रियंका गांधी ने प्रयागराज का दौरा किया था, लेकिन वह रायबरेली और अमेठी नहीं गयी, जबकि चुनाव के दौरान यूपी का पूरा जिम्मा प्रियंका के कंधे पर ही था। 07 जून को ही राहुल गांधी केरल के वायनाड गए थे। जहां से उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता है। कांग्रेस को लगता है कि वायनाड जाने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष को अमेठी और रायबरेली में जाकर जनता का धन्यवाद करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो जनता में पार्टी के प्रति नाराजगी और ज्यादा उभरेगी। ऐसा माना जा रहा है कि मजबूरी में बेमन से ही सही, लोकभा का सत्र शुरू होने से पहले राहुल गांधी अमेठी आ सकते हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका ने अमेठी को राहुल गांधी की कर्मभूमि बताया था। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस का बड़ा नेता खासतौर से गांधी परिवार का कोई व्यक्ति अमेठी नहीं गया।

 

-अजय कुमार

 

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