By अभिनय आकाश | Aug 24, 2024
देश की राजनीति में कास्ट पॉलिटिक्स का दबदबा एक बार फिर से बढ़ने लगा है। लोकसभा चुनाव के वक्त विपक्ष ने एक नैरेटिव चलाया था कि बीजेपी सत्ता में आई तो संविधान बदल कर आरक्षण खत्म कर देगी, और ये बात चुनावी मुद्दा बन गई। विपक्ष के नेता राहुल गांधी लगातार दोहरा रहे हैं कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की वो हर कीमत पर रक्षा करेंगे। ये बात राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री पर केंद्र सरकार के कदम पीछे खींचने के बाद कही है - मतलब, ये मामला और भी आगे ले जाया जाने वाला है। एक तरफ जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी जाति की राजनीति के सहारे बीजेपी से पार पाने की जुगत में लगे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस शासित राज्य के एक मुख्यमंत्री कहते सुनाईआ पड़ रहे हैं कि शिक्षित लोग अधिक संख्या में जातिवादी होते जा रहे। इसे एक त्रासदी तक बता रहे हैं।
राहुल गांधी के नाना यानी देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू अपने नाम के साथ पंडित लगाते थे। मौका पड़ने पर अपना जनेऊ भी दिखाते थे। इंदिरा हो या राजीव खुद को ब्राह्मण ही मानते हैं। राहुल गांधी ने तो पुष्कर में खुद को कश्मीरी कौल का ब्राह्मण बताते हुए अपना गौत्र दत्तात्रेय बताया था। वहीं लगातार वो लोकसभा चुनाव के बाद जाति जगगणना की मांग करते संसद में दिख जाते हैं। जाति जनगणना की बात करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। हालत यह है कि जाति जनगणना के ध्वजवाहक रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू यादव और अखिलेश यादव को भी राहुल ने पीछे छोड़ दिया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि यह एक त्रासदी है कि शिक्षित लोग अधिक संख्या में जातिवादी होते जा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कि समाज को धर्म और जाति के नाम पर विभाजित किया जा रहा है जिससे असमानता बढ़ेगी। सिद्धरमैया ने कहा कि जाति व्यवस्था के कारण बहुत से लोग शिक्षा से वंचित रह गए जिससे असमानता बढ़ी है। यह एक त्रासदी है कि शिक्षित लोग अधिक संख्या में जातिवादी होते जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जातिगत असमानता के पोषकों ने महात्मा गांधी की हत्या की।