उतार-चढ़ाव से गुजरे राहुल ने संभाल रखी है विपक्षी पारी, सक्रियता के साथ सरकार से पूछते हैं सवाल

By अनुराग गुप्ता | Jun 19, 2020

नयी दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी इस साल अपना जन्मदिन नहीं मनाने का निर्णय किया है। राहुल गांधी ने ऐसा निर्णय गलवान घाटी में शहीद 20 जवानों के सम्मान में किया है। यूं तो देश का सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के पूर्व अध्यक्ष का जिम्मा संभाल चुके राहुल गांधी ने लॉकडाउन, प्रवासी मजदूर और चीन से जारी टकराव के मुद्दे पर बड़ी बेबाकी के साथ अपना और पार्टी के पक्ष रखा।

कोरोना महामारी के रोकथाम के प्रयास के लिए जारी देशव्यापी लॉकडाउन के फैसलों पर लगातार सरकार से सवाल पूछते रहे और प्रवासी मजदूरों के विषय पर ट्वीट के माध्यम से घेरने का भी प्रयास किया। एक-दो मौके ऐसे भी देखे गए जब राहुल अपने आलीशान बंगले से निकलकर सड़कों पर दिखाई दिए और प्रवासी मजदूरों से बातचीत की। हालांकि राहुल के इस कदम ने सत्तापक्ष को काफी ज्यादा विचलित कर दिया था।

हार के बावजूद बढ़ा राहुल का हौसला 

बीते सालों पर नजर दौड़ाएं तो पाएंगे कि चुनावों में लगातार मिली करारी हार के बावजूद राहुल गांधी का हौसला डगमगाया नहीं बल्कि दिन-प्रतिदिन बढ़ता रहा और इन्हीं हौसलों की बदौलत कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव जीता था। हालांकि फिर बचपन के मित्र और महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल का साथ छोड़ दिया और मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई। 

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2017 में पार्टी अध्यक्ष बने राहुल के नेतृत्व में लड़ा गया 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस बुरी तरह से हार गई और राहुल ने अमेठी सीट भी गवा दी। हालांकि हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल ने अचानक अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया गया और यह साफ कर दिया था कि बहन प्रियंका गांधी को यह जिम्मेदारी देने के बारे में विचार नहीं किया जाए। हालांकि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया था।

19 जून 1970 को जन्में राहुल गांधी के ऐसे समय पर 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं जब कांग्रेस का जनाधार लगातार कम होता जा रहा है। लेकिन इन तमाम चुनौतियों के बावजूद राहुल गांधी खुद को साबित करने में जुटे हुए हैं। 

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सक्रिय भूमिका निभा रहे राहुल

लॉकडाउन के समय से राहुल गांधी अचानक से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हो गए हैं। ऐसा कोई भी विषय या मुद्दा नहीं होगा जिस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज न कराई हो। हालांकि राहुल गांधी पहले भी सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते थे लेकिन इन दिनों वह लगातार सरकार से सवाल पूछते नजर आते हैं। चाहे वो हाल ही में शायराना अंदाज में सरकार पर बरसे हो या फिर तल्ख लहजे में सवाल पूछा हो।

एक तरफ राहुल गांधी ने केंद्र को घेरने का जिम्मा उठाया हुआ है तो दूसरी तरफ उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार उत्तर प्रदेश की सियासत कर रही हैं। दोनों भाई और बहन शायद सुबह का नास्ता करना भूल जाते हो लेकिन ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराना नहीं भूलते होंगे। 

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लॉकडाउन में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से बातचीत करते हुए राहुल गांधी ने सरकार को सुझाव भी दिए। पार्टी ने तो देशवासियों को राहत देने वाले मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज को लोन का मेला बता दिया। जबकि राहुल गांधी लगातार कहते रहे कि सरकार को अभी भी अपने पैकेज में बदलाव करना चाहिए और सीधे जनता के हाथों में पैसे देने चाहिए। राहुल गांधी की मांग थी कि न्याय योजना को लागू किया जाए।

चीनी मुद्दे पर बरसे राहुल

राहुल गांधी ने पहले प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़ा किया और जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान सामने आ गया तो उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को घेरते हुए पूछा कि दुख जताने में आपको दो दिन का समय लग गया क्यों ? हालांकि मोदी सरकार ने राहुल गांधी के हर एक सवाल का जवाब भी दिया। 

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हाल ही में राहुल ने कहा कि यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है कि गलवान घाटी में चीन का हमला पूर्व नियोजित था। सरकार सो रही थी और समस्या से इनकार किया। हमारे शहीद जवानों को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।

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