राहुल हैं कि मानते नहीं, बार-बार कर रहे एक ही भूल

By अंकित सिंह | Jun 08, 2019

लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद अगर सबसे ज्यादा कोई खामोश है तो वह है कांग्रेस नेतृत्व का राष्ट्रीय खेमा। चुप्पी और खामोशी का सबसे बड़े कारणों में से एक यह भी है कि अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले पर राहुल गांधी अड़े हुए हैं। इसके अलावा परिवारवाद पर भी वह मुखर हो गए हैं और जिन वरिष्ठ नेताओं के पुत्र इस बार चुनावी मैदान में थे उन्हें भी राहुल की फटकार सुननी पड़ी है। कांग्रेस भी फिलहाल सत्ता पक्ष के ताजा निर्णयों पर ध्यान लगाए हुए है। हालांकि पार्टी में पंजाब के भीतर आपसी भिड़ंत देखने को मिल रही है तो वहीं कई राज्यों के प्रमुखों ने भी राहुल के बाद चुनावी हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना-अपना इस्तीफा आलाकमान को सौंप दिया हैं। चुप्पी का आलम तो यह है कि पार्टी ने चैनलों पर अपने प्रवक्ताओं को भी भेजना बंद कर दिया है। 

कांग्रेस को कवर करने वालें पत्रकार यह भी बताते हैं कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल को मनाने के अलावा जिस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया गया वह यह है कि पार्टी सरकार के खिलाफ कुछ दिनों तक शांत रहेगी और खासकर प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करने से बचेगी। हो भी यही रहा था। पर कुछ दिनों तक खामोश रहने के बाद राहुल गांधी ने खुद इस निर्णय का उल्लंघन कर दिया। शुक्रवार को राहुल केरल दौरें पर थे और वह मोदी पर हमला तो ऐसे कर रहे थे जैसे कि वह किसी चुनावी सभा को संबोधित कर रहे हो। चलिए सबसे पहले आपको यह बताते है कि उन्होंने कहा क्या है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने वायनाड लोकसभा क्षेत्र में एक रोड शो के दौरान कहा कि भाजपा द्वारा फैलाई गई नफरत और असहिष्णुता का जवाब प्यार और स्नेह से दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी के पास बहुत धन हो सकता है। मीडिया उनके साथ हो सकता है और यह भी संभव है कि उनके अमीर दोस्त उनके साथ हों। 

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राहुल अपने भाषण में भाजपा के लिए प्यार और स्नेह की बात करते हुए यह भी कह रहे थे कि कांग्रेस पार्टी मजबूत विपक्ष बनकर उभरेगी और गरीबों की आवाज उठाएगी। वायनाड लोकसभा सीट पर बड़े अंतर से हुई अपनी जीत के बाद क्षेत्र के मतदाताओं का शुक्रिया अदा करने के लिए किए गए राहुल ने अपने काफिले को वहां की संकरी गलियों से गुजारते हुए सड़क के दोनों ओर उमड़ी भीड़ का अभिवादन भी कर रहे थे। वायनाड लोकसभा सीट से करीब 4.31 लाख वोटों से राहुल ने जीत हासिल की है। यह आपको बताने की जरूरत नहीं कि राहुल ने गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली अमेठी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ा था, लेकिन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा। राहुल केरल से चनाव लड़े तो उनकी पार्टी ने भी वहां अच्छा प्रदर्शन किया। जलजमाव के बावजूद लोगों को सड़कों की दोनों तरफ खड़े होकर धैर्यपूर्वक राहुल के दीदार का इंतजार करते देखा गया। अपने नए सांसद के स्वागत के लिए कई लोग छतों और बालकनियों में भी खड़े नजर आए।भीड़ भरी सड़क से जब कांग्रेस अध्यक्ष का वाहन गुजर रहा था, तो उत्साहित पार्टी कार्यकर्ता तिरंगा झंडा और राहुल की तस्वीर वाले पोस्टर लेकर नाचने लगे। वे ‘‘हम आपके साथ हैं’’ का नारा लगा रहे थे। ड्रम बजाते हुए वे जोर-जोर से ‘‘राहुल, राहुल’’ भी कह रहे थे। 

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अफसोस राहुल के लिए यह प्यार अब अमेठी की जनता में नहीं रहा और शायद राहुल के मन में भी अमेठी के लिए वह पुराना वाला प्यार नहीं रहा। खैर, राहुल अभी केरल में हैं और वहां बुरे तरीके से हारने के बाद भी भाजपा लगी हुई है और शायद यही कारण है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली यात्रा के तहत केरल पहुंचे। पीएम मोदी केरल के त्रिसूर के गुरुवयूर मंदिर में पूजा-अर्जना की। जिसके बाद गुरुवायूर श्रीकृष्ण एचएस मैदान में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जो सबसे अहम बात कही वह यह है कि जो हमें जिताते हैं वे भी हमारे हैं, जो इस बार हमें जिताने में चूक गए हैं, वे भी हमारे हैं। केरल भी मेरा उतना ही है, जितना मेरा बनारस है।" अपने आप में राहुल को मोदी का यह जबाव उन्हें राजनीति में आगे बहुत फायदा पहुंचा सकता है। कांग्रेस यह मानती है कि उसने जब-जब मोदी पर सीधा प्रहार किया है तो उसे नुकसान हुआ है। कांग्रेस को सबसे ज्यादा 'चौकिदार चोर है' का नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में कांग्रेस और खासकर राहुल वहीं गलती दोबरा दोहराते हैं तो पार्टी को फिर बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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