41 हत्याएं करने वाला सीरियल किलर पुलिस से क्यों करने लगा लड़की और मुर्गी की डिमांड

By अभिनय आकाश | Jan 08, 2021

दहशत केवल वही नहीं होती कि कोई आए, अंधाधुंध गोलियां चलाए और अगले पल आदमी ढेर हो जाए। दहशत केवल वह भी नहीं होती कि खचाखच भरी भीड़, बसों, दुकानों में बम रख दिए जाएं और धमाके के साथ पूरी जिंदगी ही हमेशा के लिए खामोश हो जाए। दहशत का एक नाम ऐसा भी रहा जिसने करीब 93 महिलाओं को मौत के घाट उतार दिया। सैमुअल लिटिल नाम के इस किलर ने 19 राज्यों में हत्या की घटनाओं को दिया अंजाम। सैमुअल ने जिन महिलाओं की हत्या की उनमें ज्यादातर ड्रग एडिक्ट, सेक्स वर्कर और बेघर महिलाएं थी। साल 2014 में सैमुअल को गिरफ्तार किया गया और अभी वो कैलिफोर्निया जेल में अपने किए की सजा भुगत रहा है। दुनिया में कई खतरनातक सीरियल किलर हुए हैं, जिन्होंने अपने सनकपन में बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारा है। लेकिन आज एक ऐसे सीरियल किलर की कहानी सुनाऊंगा  जिसने 40 से ज्यादा लोगों को रात के अंदेरे में गुम कर दिया। फिर उनकी लाशें दबा दी या फिर छुपा दी। अफवाह उड़ी की कोई सुपरपावर है। किसी ने बिल्ली को भागते देखा तो किसी ने परिंदे को उड़ते। इस खौफनाक हत्यारे के भय से पूरी मुंबई खौफजदा थी। मगर जब ये सीरियल किलर पकड़ा गया तो पुलिस के सामने उसने इकबालिया बयान में रौंगटे खड़े करने वाले खुलासे किए। कुछ साल पहले फिल्म डायरेक्टर अनुराग कश्यप एक फिल्म लेकर आए थे रमन राघव 2.0 जो इसी सीरियल किलर पर थी। अब आते हैं इस सीरियल किलर की असल कहानी पर। कहानी 60 के दशक में बाहरी मुंबई के इलाके में एक के बाद एक 40 से ज्यादा हत्याएं करने वाले रमन राघव की।

लेकिन इस कहानी की शुरूआत से पहले आपको इस रमन राघव को लेकर पुलिस महकमे की टिप्पणी के बारे में बताते हैं। मुंबई पुलिस कमिश्नर ईएस मोडक ने कहा था कि राघव जैसी दहशत इससे पहले दुनिया में सिर्फ दो ही लोगों की रही- जैक द रिपर और बोस्टन स्ट्रेंग्लर की। जैक रिपर ने लंदन में 1881 में नवंबर के महीने में सात महिलाओं को मौत के घाट उतारा था। लेकिन न तो कभी वो पकड़ा गया और न ही उसकी कोई फोटो मिली। लेकिन इसकी दहशत से लंदन मेट्रोपोलिटन कमिश्नर सर चार्ल्स की कुर्सी उस वक्त जरूर चली गई थी। वहीं बोस्टन स्ट्रेंगल ने जुलाई 1962 से 1964 के बीच 13 महिलाओं की हत्या की। वह भी कभी पकड़ा नहीं गया। लेकिन रमन राघव तो पकड़ा गया था और पुलिस के सामने ही कर डाली थी उसने अजीबो-गरीब मांग। 

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1929 में छोटे से शहर में जन्म लेने वाले राघव ने कभी स्कूली शिक्षा नहीं ली। चोरी की आदत बचपन से ही थी। वह एक मनोरोगी था जो क्रानिक पैरेनाइक सेजोफेनिया नामक बीमारी से पीड़ित था। पुलिस रिकाॅर्ड के मुताबिक उसने अपनी बहन का रेप कर उसे घायल कर दिया था। जिसके बाद लूट और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा। मुंबई में दहशत का सितम ढाहने से पहले उसकी अपराध की सीमाएं पुणे तक ही थी। लेकिन उसने मुंबई में भी वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। रमन ज्यादातर हत्याएं उन लोगों की करता था जो झोपड़ियों में रहते थे या फुटपाथ पर सोते थे। बिना धार वाले हथियार से सो रहे लोगों पर लगातार प्रहार करके लोगों को मौत की नींद सुला देता था। उस वक्त रमन के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। एक-एक कर खून का सिलसिला चलता गया और अफवाह उड़ी कि ये सब एक सुपरपाॅवर की करनी है। किसी ने बिल्ली या पक्षी वाली थ्योरी भी दी कि हत्या के बाद जानवर का रूप धरने वाली सुपरपाॅवर। लोगों की हत्या करने की इसी श्रृंखला में 1965-66 में एक ऐसा मामला सामने आया जब एक साथ 19 लोगों पर जानलेवा हमला हुआ। जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई और 10 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों में एक महिला ने पुलिस को उस शख्स के बारे में बताया जिसकी पहचना रमन राघव के रूप में हुई। रमन राघव डकैती केस में पांच साल की सजा काट चुका था और खुद की बहन से रेप के केस का रिकाॅर्ड भी पुलिस के पास था। लेकिन हत्या के पर्याप्त सबूत न होने के आधार पर रमन ठूट गया। फिर 1968 मे रमन घूम-घूमकर हत्याओं को अंजाम देता रहा। उसी वक्त क्राइम ब्रांच के हेड बने रमाकांत कुलकर्णी बड़ी संख्या में लोगों की धरपकड़ शुरू की और घेराबंदी में रमन राघव पकड़ में आया। रमन के पकड़े जाने की खबर तेजी से फैल गई। पुलिस स्टेशन के बाहर करीब दो हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जमा हो गई। 

गिरफ्तारी के वक्त रमन के पास से चश्मा, दो कंघी, एक कैंची, गणित के निशान बने मिले। इसके साथ ही उसकी शर्ट और पैंट पर खून के धब्बे भी थे। रमन के कातिल के रूप में पहचान उसके ऊंगलियों के निशान से हुई। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद रमन के मनोरोगी होने का भी दावा किया गया। हालांकि पुलिस ने डाॅक्टरों के तर्क को मानने से इनकार कर दिया। 

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चिकन खाने के बाद दिए सवालों के जवाब

रमन राघव गिरफ्तार तो हो गया था, लेकिन उससे जुर्म कैसे कबूलवाया जाए ये एक बड़ा सवाल था। तमाम दांव पेंच पुलिस की ओर से अपनाए जाते रहे। फिर एक दिन वो बोल पड़ा कि ठीक है, मैं अपना जुर्म कबूल कर लूंगा लेकिन इसके लिए मेरी एक शर्त है। पुलिस ने कहा बताओ। उसके कहा मुझे मुर्गा और चावल खाना है। उसकी शर्त मान ली गई। इसके बाद पुलिस ने पूछा और कुछ मांगता है? तो जवाब में रमन ने कहा एक लड़की के साथ सोना मांगता है। रमन की ये बात सुन पुलिस अधिकारी ने कहा कि ये पुलिस थाना है कोई चकला घर नहीं। इसके अलावा और कुछ चाहिए तो बोलो। फिर उसने नारियल का तेल, कंघी और एक शीशा मांगा। जिसके बाद नारियल का तेल लगाकर, बांलों को संवारते हुए खुद को शीशे में कुछ देर देखने के बाद उसने बोला कि पूछो क्या पूछना है। पुलिस ने कहा कि वही जो पूरे मर्डर तूने किए हैं उसका पूरा हिसाब। 

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रमन पुलिस से कहता है 'मरदार' चलो बताता है। 41 लोगों को मारा, कैसे, कब और कहां ये ,सब बताता है। तुमको हथियार मांगता है? जिसके बाद रमन राघव पुलिस टीम को ह्त्याओं के इलाकों में लेकर गया। चाकू, हथौड़े आदि सामान पुलिस को दिखाएं जिससे उसने हत्याओं की झड़ी लगाई। इसके बाद राघव ने अपना जुर्म भी कबूल किया। पुलिस द्वारा हत्या करने का कारण पूछे जाने पर वह बोला कि सब गलत लोग थे। भगवान ने मुझे सभी को मारने को कहा। सभी भगवान की कुदरत के खिलाफ था। रमन के खिलाफ कोर्ट में केस चला और बचाव पक्ष के वकील ने उसके मनौरोगी होने की बात कही। साथ ही कहा कि मर्डर करने के बाद क्या अंजाम होगा ये नहीं पता था। जिसके बाद उसे डाॅक्टर के पास भेजा गया। लेकिन डाॅक्टर ने उसके दिमाग को दुरूस्त पाया। 

रमन को मौत की सजा सुनाई गई। मुंबई हाईकोर्ट ने कहा कि तीन मनौवैज्ञानिकों की टीम बनाकर ये तय किया जाए कि रमन पागल है या नहीं। मनौवैज्ञानिकों की टीम ने रमन से लंबी बातचीत की। 

रमन के हिसाब से दो तरह की दुनिया थी- एक जिसमें कानून रहता है और दूसरी- जिसमें बाकी लोग।

पूरी बातचीत में वो 100 प्रतिशत पुरुष होने की बात पर जोर देता रहा।

रमन के हिसाब से देश में तीन सरकारें थी- अकबर की सरकार, ब्रिटिश सरकार और कांग्रेस की सरकार और ये सभी उसके खिलाफ साजिश रच रही थीं। 

इस रिपोर्ट के बाद रमन राघव की सजा को कन करके उसे आजीवन कारावास कर दिया गया। 1995 में ससून अस्पताल में राघव की किडनी की बीमारी से मौत हो गई।- अभिनय आकाश

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