By अंकित सिंह | Dec 21, 2020
किसान आंदोलन के सहारे आम आदमी पार्टी पंजाब में एक बार फिर से खुद को मजबूत करने में जुटी हुई है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ना सिर्फ खुद को स्थापित किया बल्कि वहां सरकार बनाने से चूक गई। हालांकि उस विधानसभा चुनाव के बाद से पार्टी में कई बिखराव देखने को मिले। अब किसान आंदोलन के सहारे आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल को लगता है कि एक बार फिर पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए उनके पास अच्छा मौका है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में जमे किसानों की मदद उनकी पार्टी की तरफ से खूब की जा रही है। इतना ही नहीं, केजरीवाल के विधायक से लेकर मंत्री तक उन किसानों की सेवादारी में वहां मौजूद रह रहे हैं। किसानों के समर्थन में खुद केजरीवाल ने भी 1 दिन का अनशन किया था।
आपको बता दें कि चड्ढा को यह जिम्मेदारी ऐसे समय में दी गई है जब मजबूती से उभरने के बावजूद पंजाब में पार्टी बिखराव की ओर है। कई नेता लगातार बगावत के सुर अपनाते रहते हैं तो कईयों ने बगावत कर दी है। इसके अलावा पंजाब में किसानों की दिक्कतें, महिलाओं की सुरक्षा, युवाओं को नशे की लत और खराब शासन व्यवस्था को लेकर आम आदमी पार्टी वहां अपनी उम्मीदों को धार देने की कोशिश में है।
पर सवाल ये उठता है कि आखिर राघव चड्ढा ही क्यों? राघव चड्ढा को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का काफी करीबी माना जाता है। 2011 में अन्ना आंदोलन के दौरान चड्ढा की मुलाकात अरविंद केजरीवाल से हुई थी। उन्होंने लोकपाल बिल ड्राफ्ट करने में अहम भूमिका निभाई थी। चड्ढा आम आदमी पार्टी के सबसे युवा प्रवक्ता होने के साथ-साथ विधायक हैं और पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं। उन्होंने पार्टी के कोषाध्यक्ष का भी काम संभाला है। वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से उनकी पढ़ाई हुई है। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी पढ़ाई की है। दिल्ली का बजट तैयार करने में राघव चड्ढा का अहम योगदान होता है।