पुतिन को अब तक का सबसे बड़ा नुकसान, रूस का गुरूर कहा जाने वाला मोस्‍कवा ब्लैक सी में डूबा

By अभिनय आकाश | Apr 15, 2022

रूस और यूक्रेन की जंग के 50 दिन गुजर चुके हैं। लेकिन हर दिन के साथ जंग और गहरी होती जा रही है। यूक्रेन के इलाकों में रूसी हमले बंद नहीं हुई है। इस जंग में अब तक पांच मिलियन यूक्रेनी देश छोड़कर जा चुके हैं। डोनेत्स्क में 24 फरवरी से 238 नागरिक मारे जा चुके है। लेकिन 51वें दिन में प्रवेश कर चुके रूस-यूक्रेन युद्ध में व्लादिमीर पुतिन को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है। खबर है कि ब्लैक सी में तैनात रूसी नेवी फ्लिट का सबसे ताकतवर जंगी जहाज मोस्कवा तबाह हो गया है। ये वही जंगी जहाज है जो ब्लैक सी में मौजूद रहकर यूक्रेन के ओडिशा इलाके में लगातार मिसाइलें बरसा रहा था। 

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13 अप्रैल की शाम को खबर आई की मोस्कवा अब ब्लैक सी में डूब रहा है। इस खबर की जानकारी खुद रूस के रक्षा मंत्रालय ने दी। हालांकि रूसी पक्ष का कहना था कि इस जहाज में लदे गोला बारूद में अचानक आग लगने की वजह से जहाज डूब रहा है। इसमें मौजूद सभी 500 से ज्यादा रूसी सैनिकों को बचा लिया गया है। 

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यूक्रेन का दावा है कि रूस का गुरूर कहा जाने वाला ये खतरनाक और जंगी जहाज उसकी एंटी शिप मिसाइल नैपच्यून का निशाना बना है। यूक्रेन का कहना है कि ब्लैक सी में उसकी सेना ने मोस्कवा जहाज पर दो नैपच्यून मिसाइल दागी। जिससे उस शिप पर आग लग गई और फिर आग वहां तैनात विस्फोटकों को भी अपने निशाने पर ले लिया। 

फॉकलैंड युद्ध में इस आकार का जहाज डूबा था

फ़ॉकलैंड द्वीप युद्ध के दौरान 2 मई, 1982 को ब्रिटिश परमाणु-संचालित पनडुब्बी एचएमएस कॉनक्योर ने अर्जेंटीना के क्रूजर जनरल बेलग्रानो पर टारपीडो से हमला किया और उसे डूबा दिया था। जनरल बेलग्रानो और मोस्कवा समान आकार के थे। दोनों ही जहाज लगभग 600 फीट (182 मीटर) लंबा और और 12,000 टन वजनी थे। - हालांकि जनरल बेलग्रानो पर सवार लगभग 1,100 के चालक दल के सदस्य मौजूद थे। जबकि मोस्कवा पर 500 चालक दल के लोग थे।  

मोस्कवा के डूबने का क्या मतलब है?

सबसे ज्यादा असर रूस के मनोबल पर पड़ सकता है। रूस के काला सागर बेड़े के प्रमुख के रूप में, मॉस्को युद्ध यूक्रेन युद्ध में इसकी सबसे अधिक दिखाई देने वाले एसेट के रूर में था। हालाँकि मास्को रूस में युद्ध के बारे में समाचारों को बेहद सावधानी बरतते हुए मैनेज कर रही हो। इतने बड़े जहाज की अचानक अनुपस्थिति को छिपाना कठिन होगा। युद्धपोत लंबी दूरी की 16 मिसाइलें ले जाने की क्षमता रखता था। जानकारों का कहना है कि युद्धपोत के डूबने से काला सागर में रूस की सैन्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, यह घटना पहले से ही एक बड़ी ऐतिहासिक भूल के रूप में देखे जाने वाले यूक्रेन युद्ध में रूस की प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका भी है। 

 

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