युद्ध से बुद्ध की ओर...लड़ते-लड़ते थक गए पुतिन, या मोदी की 'वो' बात समझ में आ गई

By अभिनय आकाश | Sep 06, 2024

रूस और यूक्रेन युद्ध पर पूरी दुनिया की उम्मीदें खत्म होती जा रही थी कि आखिर ये युद्ध कैसे खत्म हो सकता है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का पहले रूस दौरा और उसके बाद यूक्रेन दौरा हुआ। 23 अगस्त 2024 की वो तारीख जब पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री यूक्रेन गया। ये दौरा ऐसे वक्त में हुआ जब रूस और यूक्रेन में जंग नए दौर में पहुंच गई। लगातार ये कहा गया कि भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। सियासी तौर पर इसका अलग अलग विश्लेषण हुआ इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने जंग के बीच शांति का संदेश ले जाने का जोखिम उठाया। जिसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भारत को लेकर जो भरोसा जताया उस पर पुतिन ने मुहर लगाया। 

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23 अगस्त को ही यूक्रेन के राष्ट्रपति ये कहते हैं कि इस जंग को केवल भारत ही रुकवा सकता है। क्योंकि पुतिन पर भारत का काफी प्रभाव है। यूक्रेन के राष्ट्रपति भारत के वर्चस्व की तारीफ करते हुए कहा था कि आप एक बड़े देश हैं, आपका प्रभाव बहुत बड़ा है और आप पुतिन को रोक सकते हैं और उनकी अर्थव्यवस्था को रोक सकते हैं और उन्हें वास्तव में उनकी जगह पर ला सकते हैं। इस बयान के करीब 15 दिनों के भीतर पुतिन ने भारत को लेकर बड़ा बयान दे दिया। जिससे रूस और यूक्रेन के बीच शांति की कोशिशें शुरू हो सकती हैं। रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि वो जंग के बीच यूक्रेन से बातचीत को तैयार हैं। व्लादिमीर पुतिन ने ये कहा कि यूक्रेन के साथ बातचीत को वो तैयार हो सकते है। मध्यस्थता के लिए उन्होंने तीन देशों के नाम भारत, चीन और ब्राजील लिए। यानी पीएम मोदी की तरफ से जो कोशिशे की गई थी, उसे पुतिन की मध्यस्थता के इस विकल्प से बल मिलता है। भारत बुद्ध की विरासत वाली धरती है जो युद्ध नहीं शांति की नीति पर चलता है। पीएम मोदी विभिन्न मंचों से साफ कर चुके हैं कि ये युद्ध का युग नहीं है। 

भारत की भूमिका अहम

अमेरिका ने कहा है कि भारत यूक्रेन-रूस जंग को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है। व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिका ऐसे किसी भी देश का स्वागत करता है जो यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने में मदद करने का प्रयास करना चाहता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल में रूस की यात्रा के बाद यूक्रेन की यात्रा की थी। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मोदी से फोन पर बात की। किर्बी से बुधवार को पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि भारत युद्ध को समाप्त करने में भूमिका निभा सकता है? किर्बी ने कहा, 'हम ऐसी उम्मीद करते हैं कि भारत शांति कायम करने में भूमिका निभा सकता है।

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रूस यूक्रेन युद्ध के भयावह आंकड़े 

रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, 24 फरवरी 2022 से 31 जुलाई 2024 तक के जो आंकड़े ऑफिस ऑफ द हाई कमिश्नर ऑफ ह्यूमन राइट्स (OHCHR) ने जारी किए हैं, वे मासूमों पर जुल्म की दास्तां बताते हैं। इनके मुताबिक, 35160 लोग या तो मारे गए या घायल हुए। इस दौरान 11520 मारे गए लोगों में 633 बच्चे थे, जबकि 23640 घायल आम नागरिकों में बच्चों की संख्या 1551 थी। OHCHR ने यह भी कहा कि असल संख्या कहीं अधिक हो सकती है। सबसे ज्यादा 3900 कैजुअलटी मार्च 2022 में देखी गई। यूनिसेफ की 26 अप्रैल 2024 को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में पिछले साल की तुलना में इस साल 40% अधिक बच्चे मारे गए।

बातचीत ही रास्ता 

गौतम बुद्ध और भावित होती महात्मा गांधी के देश के तौर पर भारत हमेशा ही शांति और अहिंसा का पक्षधर रहा है। गांधी और बुद्ध के विचार हमें सतत याद दिलाते रहते हैं कि संघर्ष और हिंसा के बजाय अहिंसा और बातचीत के रास्ते से ही हम शांति की मंजिल पा सकते हैं। यह बताते हुए कीव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी यूक्रेन और रूस से महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध की राह अपनाने की अपील की। इस यात्रा के दौरान वह युद्ध के दौरान मारे गए बच्चों की याद में बनाए गए मेमोरियल भी गए थे और वहां जाकर भावुक हो गए। पीएम मोदी ने मासूमों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सभ्य समाज में जहां लोग मानवता पर विश्वास करते हैं, निर्दोष बच्चों की मौतें अस्वीकार्य हैं। मोदी ने कहा कि वह बच्चों के खिलाफ हिंसा से बहुत दुखी हैं। इसके साथ ही पीएम ने यह भरोसा दिलाया कि भारत इस क्षेत्र में शांति कायम करने के लिए अपने प्रयास करता रहेगा। उन्होंने शांति के लिए एक दोस्त के तौर पर व्यक्तिगत रूप से अपना योगदान करने का आश्वासन दिया।

शांति का दूत भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूक्रेन दौरे को पूरी दुनिया उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत से आह्वान किया कि वह रूस के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों का उपयोग करके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में अपने अवैध युद्ध को समाप्त करने के लिए कहे। चाहे रूस और यूक्रेन हों या अमेरिका और अन्य यूरोपीय देश, भारत किसी के भी दबाव में आए बगैर अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप स्वतंत्र और संतुलित नीति पर कायम है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी आज भी यह उम्मीद बनाए हुए है कि दोनों देशों से करीबी की बदौलत भारत शांति प्रयासों को अंजाम तक पहुंचाने में विशेष भमिका निभा सकता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घनिष्ठता जग जाहिर है और अगर वह अपने दोस्त को युद्धविराम के लिए सहमत करने में कामयाब हो सके तो इतिहास में अमर हो जाएंगे। पीएम मोदी ही नहीं, समूची दुनिया इस इलाके में जल्द से जल्द शांति का सूरज उगते देख सके।

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