पंजाब विवि: छात्रों को पीटने की घटना पर केंद्र ने मांगी रिपोर्ट

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 12, 2017

पंजाब विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों को कथित तौर पर पीटे जाने का मुद्दा आज राज्यसभा में एक सदस्य ने उठाया जिस पर सरकार ने कहा कि हालांकि यह विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है लेकिन घटना के संबंध में सरकार ने रिपोर्ट मांगी है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज राज्यसभा में कहा कि सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय की फीस में वृद्धि नहीं की है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की एक अलग पहचान है और वह केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है।

शून्यकाल में जावड़ेकर ने कहा ‘‘हमने पंजाब विश्वविद्यालय की फीस नहीं बढ़ाई है। यह केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है और इसकी अलग पहचान है।’’ उन्होंने कहा कि वहां कथित फीस वृद्धि के विरोध में हो रहे आंदोलन के बारे में संज्ञान लेते हुए उन्होंने वहां छात्रों को पीटे जाने की घटना तथा विश्वविद्यालय को मिलने वाले वित्तीय अनुदान के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। फीस वृद्धि के बारे में जावड़ेकर ने कहा कि यह राज्य सरकार का मामला है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि केंद्र ने विश्वविद्यालय के लिए राशि मुहैया कराई है। जावड़ेकर ने यह बात कांग्रेस सदस्यों द्वारा पंजाब विश्वविद्यालय में फीस बढ़ाने का मुद्दा उठाए जाने पर कही। शून्यकाल में कांग्रेस की छाया वर्मा ने पंजाब विश्वविद्यालय तथा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित गुरू घासीदास विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि किए जाने का मुद्दा उठाया था।

 

छाया वर्मा ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की संख्या अधिक है और उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। उन्होंने कहा कि फीस वृद्धि से परेशान इन छात्रों ने जब विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करनी चाही तो उनके साथ मारपीट की गई, एक छात्र को जातिसूचक शब्द भी कहे गए और छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई जिसके बाद विश्वविद्यालय परिसर में तनावपूर्ण माहौल है। छाया ने सरकार से मांग की कि फीस वृद्धि वापस ली जाए तथा छात्रों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की जाए।

 

इस मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि वह जानकारी हासिल करेंगे। स्कूलों मे एनसीईआरटी की किताबों के मुद्दे पर जावड़ेकर ने कहा कि जब उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का प्रभार संभाला था तब पहली ही बैठक में उन्हें, एनसीईआरटी की किताबों के मनमाने दाम लिए जाने के बारे में बताया गया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्कूलों को अपनी जरूरत के अनुसार, किताबों की सूची दिए जाने को कहा जिसके बाद 2000 स्कूलों ने अपनी मांग भेजी और उन्हें एनसीईआरटी की किताबों की आपूर्ति की गई। यह बात जावड़ेकर ने माकपा सदस्य के के. रागेश द्वारा, एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को सभी सीबीएसई स्कूलों में अनिवार्य बनाए जाने की मांग पर कही। रागेश ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि निजी स्कूल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं और कुछ निजी स्कूल तो अभिभावकों को कुछ प्रकाशकों की किताबें मनमाने दामों में खरीदने के लिए बाध्य करते हैं।

 

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