By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 20, 2022
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पर राज्य सरकार के कामकाज में लगातार ‘हस्तक्षेप’ करने का आरोप लगाया। मान ने यह आरोप पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के कुलपति को हटाने के लिए कहे जाने के दो दिन बाद लगाया है। पुरोहित ने मंगलवार को मान से कहा था कि वह विश्वविद्यालय के कुलपति सतबीर सिंह गोसल को पद से हटाएं। पुरोहित का कहना था कि कुलपति को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मानदंडों के अनुपालन के बैगर और कुलाधिपति की मंजूरी के बिना नियुक्त किया गया था।
पुरोहित को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को कहा कि गोसल को कानून के अनुसार नियुक्त किया गया था। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि कैसे राज्यपाल ने पिछले महीने विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी वापस ले ली थी और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपति के रूप में प्रसिद्ध हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. गुरप्रीत सिंह वांडर की नियुक्ति को मंजूरी देने से भी इनकार कर दिया था।
मान ने राज्यपाल को भेजे पत्र में कहा है, ‘‘पिछले कुछ महीनों से आप सरकार के कामकाज में लगातार दखल दे रहे हैं, जो व्यापक जनादेश के साथ सत्ता में आई है। पंजाब के लोग इससे बहुत परेशान हैं।’’ मान ने लिखा, ‘‘पहले आपने पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाने में अवरोध पैदा किया, उसके बाद आपने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपति की नियुक्ति रद्द कर दी और अब आपने पीएयू की नियुक्ति निरस्त करने आदेश दिया है।’’
मुख्यमंत्री ने पुरोहित से यह भी पूछा है कि आखिर उन्हें इस तरह के ‘गलत और असंवैधानिक’ काम करने के लिए कौन कह रहा है और वह ऐसा करने के लिए क्यों सहमत हुए। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आपसे कई बार मुलाकात की है। आप बहुत ही अच्छे और शिष्ट व्यक्ति हैं। आप अपने बूते इस तरह का कार्य नहीं कर सकते। आपसे इस तरह के गलत और असंवैधानिक कार्य करने को किसने कहा है? आप उनसे सहमत क्यों हुए? वे आपकी पीठ पीछे छुपे हैं और आप (बेकार) बदनाम हो रहे हैं।’’ मान ने कहा, मैं आपसे हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि उनकी बात न सुनें।
आपसे गलत काम करवाने वाले लोग स्पष्ट रूप से पंजाब का कल्याण नहीं चाहते हैं। आप कृपया चुनी हुई सरकार को काम करने दें। मान ने राज्यपाल को बताया कि कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति हरियाणा और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 1970 के तहत की जाती है। मुख्यमंत्री ने लिखा है, ‘‘कुलपति की नियुक्ति पीएयू बोर्ड द्वारा की जाती है। इसमें मुख्यमंत्री या राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है।’’
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में बलदेव सिंह ढिल्लों और एम. एस. कांग की पिछली नियुक्तियों का उदाहरण दिया था। मान ने कहा कि किसी भी पूर्व कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल की मंजूरी नहीं मांगी गई थी। उन्होंने कहा कि इसलिए डॉक्टर सतबीर सिंह गोसल को भी कानून के तहत नियुक्त किया गया है, जैसा पहले किया जाता रहा है।