By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 07, 2022
धर्माशाला (हिमाचल प्रदेश| दलाई लामा बुधवार को 87 साल के हो गए। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिब्बत के आध्यात्मिक नेता को फोन पर शुभकामनाएं दीं। वहीं उनके समर्थकों ने यहां एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों से लेकर जन प्रतिनिधि शामिल हुए।
लामा के जन्मदिन के मौके पर धर्मशाला में एक पुस्तकालय एवं एक संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। धर्मशाला में ही तिब्बत की ‘निर्वासित सरकार’ का मुख्यालय है और यहीं पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित आध्यात्मिक नेता का आवास है। विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने दिल्ली में ब्यूरो ऑफ दलाई लामा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
मुख्य कार्यक्रम मैक्लॉडगंज के बौद्ध मंदिर परिसर में आयोजित किया गया जहां बड़ी संख्या में उनके अनुयायियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हिस्सा लिया जिनमें हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री प्रकाश पठानिया, स्थानीय विधायक विशाल नेहरिया, अभिनेता-कार्यकर्ता रिचर्ड गेरे, पूर्व राजनयिक एवं तिब्बत प्रशासन के पदाधिकारी शामिल थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज फोन पर दलाई लामा से बात कर उन्हें 87वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। हम उनके लंबे जीवन और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं।’’
प्रधानमंत्री ने पिछले साल भी फोन कर दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी। किरेन रिजिजू और नितिन गडकरी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी दलाई लामा को शुभकामानएं दीं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि ठाकुर ने शिमला से डिजिटल तरीके से धर्मशाला में आयोजित समारोह में शिरकत की।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का धर्मशाला में आध्यात्मिक गुरु के जन्मदिन समारोह में व्यक्तिगत रूप से भाग लेने का कार्यक्रम निर्धारित था, लेकिन खराब मौसम की वजह से उन्होंने डिजिटल तरीके से इसमें शिरकत की। इस दौरान उन्होंने उस ऊर्जा और समर्पण के बारे में बात की जिसके साथ दलाई लामा मानवता और आध्यात्मिकता के लिए कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक नेता ने तिब्बत के लोगों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया है। उन्होंने कहा कि तिब्बत के मुद्दों को सुलझाने के लिए दलाई लामा के अहिंसक प्रयास दुनिया के लिए एक उदाहरण हैं।
दलाई लामा का जन्म छह जुलाई 1935 को उत्तरी तिब्बत में आमदो के एक छोटे से गांव तकछेर में एक कृषक परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम ल्हामो दोनडुब था। उन्हें 1989 में शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।