राष्ट्रपति ने राज्यपालों से सरकार के लिए ‘मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक’ की तरह काम करने को कहा

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By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 12, 2021

राष्ट्रपति ने राज्यपालों से सरकार के लिए ‘मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक’ की तरह काम करने को कहा

नयी दिल्ली|  राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्यपालों को सरकार के लिए ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ की तरह काम करना चाहिए। वहीं, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के संवैधानिक मूल्यों और अखंडता की रक्षा में राज्यपालों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

राज्यपालों और उपराज्यपालों के एक दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें यह याद रखने के लिए कहा कि वे राज्य के लोगों के कल्याण और सेवा को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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राष्ट्रपति ने कहा कि जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने और राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने को लेकर राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। कोविंद ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि आप सभी राज्यपाल याद रखें कि आप अपने राज्यों के लोगों के कल्याण और सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

राष्ट्रपति ने सम्मेलन में कहा कि इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए यह आवश्यक है कि आप अपने राज्य को अधिक से अधिक समय दें और लोगों के साथ जीवंत संबंध बनाएं।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों, उपराज्यपालों और प्रशासकों के 51 वें सम्मेलन की शुरुआत करते हुए राज्यपालों से अपनी नियुक्ति वाले राज्यों में ‘‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’’ की तरह काम करने का आह्वान किया। सम्मेलन में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिरकत की।

राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान में कहा गया, ‘‘राष्ट्रपति के विचारों से उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने सहमति जताई, जिन्होंने अपने भाषणों में संवैधानिक मूल्यों और देश की अखंडता की रक्षा में राज्यपालों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।’’

उपराष्ट्रपति नायडू ने राज्यपालों से केंद्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं की निगरानी में सक्रिय भूमिका निभाने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि लोगों के कल्याण के लिए इच्छित धन सही उद्देश्य के लिए खर्च किया जाए।

उन्होंने राज्यपालों को उच्च मानकों को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को उठाने में लोगों का विश्वास जीतने की याद दिलाई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राज्यपाल केंद्र और राज्य के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का कार्यालय जीवंत और सक्रिय होना चाहिए और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहिए।

मोदी ने राज्यपालों से राज्य के दूर-दराज के गांवों की यात्रा करने और लोगों की समस्याओं के बारे में जानने तथा पड़ोसी राज्यपालों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने का आग्रह किया। बयान के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले राज्यों या तटीय राज्यों के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से सीमाओं या समुद्री तट के पास के गांवों की यात्रा करने और लोगों के साथ समय बिताने का अनुरोध किया।

प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से अपने राज्यों में काम कर रहे केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ नियमित बातचीत करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विशेष रूप से ‘नमो ऐप’ का जिक्र किया जो देश भर के विकास के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करने के लिए हर सुबह सकारात्मक समाचार देता है।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान नोटों को छापने और इसे खैरात के रूप में वितरित करने के मार्ग का अनुसरण नहीं करने के लिए उन्हें अर्थशास्त्रियों की आलोचना का सामना करना पड़ा था।

राज्यपालों से अपने ‘मन की बात’ रेडियो संबोधन के लिए राज्य भर में यात्रा करने के बाद अपने अनुभव साझा करने के लिए कहते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला किराज्यपाल की संस्था राष्ट्र की अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने उनसे संविधान की भावना के खिलाफ जाने के किसी भी प्रयास के प्रति सतर्क रहने को कहा। इस सम्मेलन में सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने राज्यों में हुई प्रगति के बारे में बताया। पांच राज्यों - गुजरात, असम, उत्तर प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने अपने सर्वोत्तम शासन प्रथाओं पर अलग-अलग प्रस्तुतियां दीं।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कोविड-19 महामारी से निपटने में प्रधानमंत्री मोदी के प्रभावी नेतृत्व का उल्लेख किया और कहा कि भारत ने 100 करोड़ टीकाकरण का महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल कर लिया है और यह अभियान अच्छी गति से आगे बढ़ रहा है।

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शाह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारतीय मूल्यों के साथ शिक्षा की परिकल्पना की गई है और इसे लागू करने में राज्यपालों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। राज्यपालों का पहला सम्मेलन 1949 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। इसकी अध्यक्षता भारत के अंतिम गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने की थी।

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