By दीपक कुमार त्यागी | Jun 04, 2021
कोरोना वायरस की दूसरी प्रचंड लहर ने भारत में शहर से लेकर गांव तक जमकर तांडव मचाया है। इस लहर ने भारत में उपलब्ध चिकित्सा क्षेत्र को ध्वस्त करके रख दिया है। हाल के दिनों की कठिन परिस्थितियों ने देश में चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी है। हमारे देश के नीति-निर्माताओं को आज के इस हालात से सबक लेकर भविष्य के लिए चिकित्सा क्षेत्र को बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर में असमय काल का ग्रास बने लोगों की जलती चिताओं ने अधिकांश देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है, वो भविष्य में अब इस तरह की आपाधापी वाली भयावह स्थिति को बिल्कुल भी देखना नहीं चाहते हैं। देश-विदेश के कोरोना विशेषज्ञ भी भारत में भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचाव के लिए हालात का लगातार गहन अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन देश में जिस तरह से वर्ष 2020 में कोरोना की पहली लहर में वायरस ने बुजुर्गों को अपना ज्यादा शिकार बनाया था, वहीं वर्ष 2021 में कोरोना की दूसरी ताकतवर लहर जो देश में अभी चल रही है वह युवाओं को अपना सबसे ज्यादा शिकार बना रही है। वायरस के इस व्यवहार को देखकर विशेषज्ञ कोरोना की तीसरी लहर आने का आशंका व्यक्त करते हुए उसमें बच्चों को इसका अधिक शिकार बनने का अनुमान लगा रहे हैं। वह सरकार व सिस्टम को इस तरह के हालात उत्पन्न होने पर उसे निपटने के लिए तैयारी करने के लिए लगातार चेता रहे हैं।
वैसे भी कुछ दिन पहले मई माह में ही केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक प्रेस वार्ता के दौरान भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने कहा था कि जिस तरह से देश में संक्रमण फैला हुआ है, उसे देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर का आना तय है, उन्होंने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि तीसरी लहर कब और किस स्तर की होगी, लेकिन हमें बीमारी की नई लहरों के लिए तैयारी करनी चाहिए।
भारत में कोरोना के मामलों को नजदीक से देख रहे विशेषज्ञों में से अधिकतर का मानना है कि देश में कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर इसी वर्ष 2021 के सितंबर के बाद शायद आ सकती है। इसके लिये कोरोना वायरस में होते तेजी से म्यूटेशन जिम्मेदार हैं, म्यूटेशन का अर्थ वायरस में होने वाला बदलाव होता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि दुनिया में इस घातक कोरोना महामारी की शुरुआत से अभी तक इस जानलेवा वायरस के कई म्यूटेशन सामने आए हैं। इनमें से कुछ म्यूटेशन तो लोगों के जीवन के लिए बेहद घातक साबित हुए हैं, जैसे की आजकल "बी.1.617" स्ट्रैन ने अपना कहर बरपा रखा है। कोरोना वायरस के तेजी से म्यूटेशन की क्षमता को देखते हुए ही विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि देश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर हमारे देश के भविष्य बच्चों पर होगा। भारत के लिए यह चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि यहां 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की एक बहुत बड़ी आबादी निवास करती है, 18 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों की हमारे देश में आबादी 32 करोड़ के लगभग है। वैसे भी हमारे देश में अभी 18 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के लिए कोई भी कोरोना का टीका उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में भविष्य में कोरोना वायरस के संक्रमण का देश में हमारे बच्चे सबसे आसान शिकार बन सकते हैं।
हालांकि संतोष देने वाली बात यह है कि बच्चों पर तीसरी लहर के संभावित प्रभाव पर एक सवाल का जवाब देते हुए एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि कोविड-19 की आगामी लहर में बच्चों में काफी संक्रमण फैलेगा या उनमें ज्यादा मामले आएंगे इसके कोई भी साक्ष्य नहीं मिले हैं, उनके अनुसार पहले और दूसरे चरण के आंकड़ों से पता चलता है कि बच्चे सामान्य तौर पर कोविड-19 से सुरक्षित हैं और अगर उनमें संक्रमण हो भी रहा है तो यह मामूली है।
वैसे तीसरी लहर के संदर्भ में मैं कहना चाहता हूँ कि देश में कोरोना की संभावित तीसरी लहर आये ही नहीं और विशेषज्ञों के साथ-साथ अन्य लोगों के भी आकलन गलत साबित हो जायें, देश व समाज के लिए यह सबसे अच्छा है। लेकिन फिर भी देश को समय रहते बच्चों को कोरोना के प्रकोप से बचाने के लिए ठोस कदम धरातल पर जल्द से जल्द दूसरी लहर से लड़ते हुए ही उठाने होंगे। कोरोना की पहली लहर के बाद हमारे देश के चंद जिम्मेदार पदों पर बैठे राजनेताओं व सिस्टम को चलाने वाले अधिकारियों ने दूसरी लहर से लड़ने की तैयारी के बारे में जो बड़ी-बड़ी बातें की थीं, अब उन सब बातों की पोल खुल चुकी है, समय रहते बचाव के लिए सही ढंग से प्रभावी कदम ना उठाये जाने की वजह से देश में कोरोना की दूसरी लहर ने तांडव मचाते हुए सभी चिकित्सा व्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है। इसलिए हमारे देश के कर्ताधर्ता व सिस्टम को कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए समय रहते धरातल पर कार्य करने शुरू कर देने चाहिए, क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर में अगर संक्रमण बड़े पैमाने पर बच्चों में होने लगा, तो आज के हालात में देश में बच्चों के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर अस्पतालों में जरूरत के मुताबिक पुख़्ता इंतज़ाम उपलब्ध नहीं हैं।
वैसे भी हाल के दिनों में उत्तराखंड में बच्चों में बढ़ते तेजी से कोरोना संक्रमण के मामलों ने सभी की चिंताएं बढ़ा दी हैं, मई माह के मात्र 15 दिनों में लगभग 1700 बच्चे कोरोना की चपेट में आ गये हैं, राज्य में लगभग 5 हजार से अधिक बच्चे अभी तक कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वहीं राजस्थान के दो जनपदों में बच्चों में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों ने सभी को चिंतित कर दिया है, दौसा में एक मई से 21 मई के तक 18 साल से कम उम्र के 341 बच्चे कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। उधर डूंगरपुर में भी बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं, डूंगरपुर में 12 मई से 22 मई तक 255 बच्चे संक्रमित हो चुके हैं। मध्य प्रदेश से भी चिंतित करने वाली खबरें आ रही हैं। सागर जिले में पिछले 1 माह में लगभग 302 बच्चे कोरोना से संक्रमित मिले हैं। देश में अलग-अलग जगहों पर बच्चों में कोरोना जैसे हलके-फुलके लक्षण देखने के लिए मिल रहे हैं। इसलिए समय रहते ही तीसरी लहर से निपटने के लिए हमको यह मानकर दिन-रात काम करना होगा कि कोरोना के प्रकोप से लड़ने के लिए नये सिरे से देश में बच्चों के लिए चिकित्सा क्षेत्र को बड़े पैमाने पर तैयार करना है, समय रहते सिस्टम को बच्चों के इलाज से जुड़े जटिल मसलों के समाधान करने के बारे में मौजूदा परिस्थितियों में ही सोच कर उसका निदान करना होगा, क्योंकि अगर बच्चों में भविष्य में कोरोना का प्रकोप बढ़ता है तो संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए धरातल पर बहुत सारी गंभीर समस्याएं हैं, उनका निदान समय रहते जल्द से जल्द करना बेहद आवश्यक है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस संदर्भ में देश के शीर्ष बाल अधिकार निकाय राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कहा है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों को बच्चों एवं नवजातों को बचाने के लिए तैयारियां तेज करनी चाहिए।
वैसे भी देश में मौजूदा समय में बच्चों के इलाज लिए शहर-शहर अलग से कोविड़ अस्पताल तैयार करना बहुत बड़ी चुनौती है, बेहतर परिणाम के लिए उनको सभी प्रकार के आधुनिक चिकित्सा संसाधनों युक्त एनआईसीयू, पीडियाट्रिक आईसीयू बेड्स, स्पेशल पीडियाट्रिक केअर यूनिट, वेन्टीलेटर, ऑक्सीजन प्लांट, दवाई व इंजेक्शन आदि से युक्त करना बेहद आवश्यक है। अभी की स्थिति में बच्चों के इलाज के लिए हमारे देश में "चाइल्ड स्पेशलिस्ट" डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ की संख्या बहुत कम है, उसके निदान के लिए बड़े पैमाने पर अन्य डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ को समय रहते बच्चों के इलाज के हिसाब से प्रशिक्षण देना बहुत आवश्यक होगा, भविष्य में विकट से विकट परिस्थिति से लड़ने के लिए सरकार को बच्चों के इलाज करने के लिए डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ को प्रशिक्षित करके बड़े पैमाने पर स्टैंडबाई रखने की तैयारी करनी होगी, जो देश में कहीं भी हालात खराब होने पर उस क्षेत्र में जाकर युद्धस्तर पर इलाज की व्यवस्था तुरंत शुरू कर सके।
देश के कर्ताधर्ता व सिस्टम में बैठे सभी ताकतवर लोगों को यह समझना होगा कि बच्चे परिवार के साथ देश का उज्ज्वल भविष्य होते हैं, इसलिए उनसे जुड़े किसी भी मसले में लापरवाही बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए, उन्हें कोरोना की तीसरी लहर के संभावित खतरे से बचाने के लिए हमें समय रहते हर संभव कदम उठाने होंगे। बच्चों के इलाज से संबंधित एक सबसे बड़ी गंभीर समस्या यह है कि बड़ों का इलाज तो कोविड़ अस्पताल में अकेले हो जाता है, लेकिन बच्चों के इलाज के मामले में उसके साथ एक अटेंडेंट का रहना आवश्यक होगा, सिस्टम के सामने बच्चे को कोरोना संक्रमण से मुक्त करने की चुनौती के साथ-साथ उसके अटेंडेंट को कोरोना संक्रमण से बचाएं रखने की बड़ी चुनौती होगी, उसके लिए सरकार को बच्चों के युवा अभिभावकों को कोरोना से संक्रमित होने से बचाने के लिए जल्द से जल्द दोनों डोज के साथ टीकाकरण करना होगा। बच्चों के हित में सरकार के सामने कुछ महीनों में करोड़ों की संख्या में युवा अभिभावकों को टीका लगा कर उन्हें सुरक्षित करने की एक बहुत बड़ी चुनौती होगी।
सरकार को यह भी तैयारी करनी होगी कि बच्चों की समय पर कोरोना जांच होने में कोई समस्या ना हो, टेस्ट की रिपोर्ट जल्द मिल जाये, जिससे उनका इलाज समय रहते शुरू हो जाये और संक्रमण का स्तर खतरनाक लेवल पर ना पहुंच पाये। उनके लिए ऑक्सीजन कम ना पड़े, दवाई व इंजेक्शनों की कोई कमी ना रहे, कालाबाजारी करने वाले दानवों को लूट-खसोट करने का मौका ना मिल पाये। बच्चों के इलाज के हिसाब से अभी से ही दवाई व इंजेक्शनों आदि जरूरतमंद आवश्यक वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जाये। खैर कुछ भी हो कोरोना की दूसरी प्रचंड लहर की तरह आपधापी व मारामारी वाले हालात से अब देश को बचाते हुए सरकार व सिस्टम को तीसरी लहर से बच्चों के साथ-साथ सभी को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी कदम समय रहते उठाने चाहिए, ब्लैक फंगस के बच्चों में संभावित खतरे पर भी अभी से अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि देश की जनता अब किसी भी हाल में अपनों के खोने के जख्मों को झेलने की परिस्थिति में नहीं है, इसलिए समय रहते हर प्रकार के संभावित खतरे से लड़ने की युद्धस्तर पर तैयारी देश व समाज के हित में बेहद जरूरी है।
-दीपक कुमार त्यागी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं)