By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 12, 2022
ईटानगर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को विविधता से भरे पूर्वोत्तर राज्यों की चुनौतियों से निपटने और सतत विकास हासिल करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार किए जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदायों और स्थलाकृति संबंधी विशेषताओं की बहुलता महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं लेकिन पूर्वोत्तर की विविध शक्तियों से उनकी भरपाई होती है। लोकसभा अध्यक्ष ने पूर्वोत्तर की ताकत को रेखांकित करते हुए कहा कि चुनौतियों से मुकाबला करने के लिए इस क्षेत्र के लोगों के परिश्रम, मेहनती लोकाचार और उनकी प्रतिभा का उपयोग किया जा सकता है।
वह यहां राज्य विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत क्षेत्रीय जोन 3 के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इसके बाद भी विभिन्न कारणों से बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और संपर्क (कनेक्टिविटी) के क्षेत्र में खाई हैं, जिनके समाधान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के जरिए पूर्वोत्तर के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयास किए हैं तथा प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों को अपने बजट का दस प्रतिशत पूर्वोत्तर के लिए खर्च करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें इस बात पर विचार करना होगा कि जनभागीदारी और सहयोग से क्षेत्र के लिए विकास योजनाएं कैसे तैयार की जाएं जिससे जातीय विरासत, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए रोजगार सृजित हों और समृद्धि सुनिश्चित की जा सके। बिरला ने जोर दिया कि अगर सरकार नीतियां बनाते समय लोगों के विचारों को ध्यान में रखती है और उनकी आकांक्षाओं के अनुसार शासन करती है, तो लोगों में कोई असंतोष नहीं पैदा होगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बिजली, जलापूर्ति, स्वास्थ्य शिक्षा, पर्यटन और संपर्क जैसे क्षेत्रों में तेजी से काम चल रहा है तथा इनसे लोगों के लिए विकास और समृद्धि के एक नए युग की शुरुआत होगी।