By अंकित सिंह | Nov 29, 2023
केंद्र की मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को 1 जनवरी 2024 से अगले 5 वर्षों के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। 2024 चुनाव से पहले केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का यह बड़ा फैसला है। इस फैसले से 81 करोड लोगों को मुफ्त में अनाज अगले 5 सालों तक मिलती रहेगी और कहीं ना कहीं इसका चुनाव पर भी एक बड़ा असर पड़ेगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया गया है...इससे 81 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा...इसमें 11 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का खर्च भारत सरकार करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ की एक रैली में इस योजना को आगे बढ़ाने को लेकर एक संकेत दिया था। उन्होंने दुर्ग जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए देश की जनता से वादा किया कि कोविड-19 के दौरान शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अगले पांच वर्ष के लिए बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि जब कोरोना का संकट आया तब गरीब की सबसे बड़ी चिंता थी कि वह अपने बच्चों को खाना क्या खिलाएंगे...तब मैंने तय किया किसी गरीब को मैं भूखे नहीं सोने दूंगा इसलिए भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की.. यह योजना दिसंबर में पूरी हो रही है ...देश के गरीब भाई बहनों को दुर्ग की धरती से बताना चाहता हूं कि मैंने निश्चय कर लिया है कि देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन देने वाली योजना को भाजपा सरकार अगले पांच साल के लिए और बढ़ाएगी।
वर्तमान में देखें तो पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का माहौल है। मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मतदान समाप्त हो चुके हैं जबकि तेलंगाना में 30 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इन्हीं चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने अलग-अलग राज्यों में मुफ्त राशन योजना को अगले 5 साल बढ़ाने का ऐलान किया था। कहीं ना कहीं इससे भाजपा को चुनावी राज्यों में लाभ मिलने की उम्मीद है। आज जब सरकार की ओर से इसे आधिकारिक तौर पर बताया गया है तो उसके ठीक अगले दिन तेलंगाना में वोट डाले जाने हैं। ऐसे में कहीं ना कहीं तेलंगाना चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही मुफ्त राशन योजना को अगले 5 साल तक बढ़ाने की घोषणा आज की गई है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा के बड़े कदम के तौर पर देख रहे हैं। उनका मानना है कि भले भाजपा ने इसे विधानसभा चुनाव के दौरान बढ़ाने की घोषणा की है लेकिन उसका असली मकसद लोकसभा चुनाव 2024 में जीत हासिल करना है।
इसे कोरोना महामारी के दौरान अप्रैल 2020 में 3 महीने के लिए लाया गया था। जुलाई में इसे नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था। यह वही दौर था जब बिहार में विधानसभा के चुनाव होने थे। प्रधानमंत्री ने कहा था कि माता-बहनों को छठ पूजा में कोई दिक्कत ना हो, इसलिए इस योजना को विस्तृत दिया जा रहा है। इसका फायदा बिहार में एनडीए को मिला भी था। वहीं, इसे 2021 और 2022 में भी समय-समय पर बढ़ाया गया है। इसका फायदा भाजपा ने असम, बंगाल, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव के दौरान लेने की कोशिश भी की है। कई जगह पार्टी को इसका फायदा भी हुआ है। खास बात यह भी है कि इस योजना की वजह से भाजपा को महिला मतदाताओं का लगातार समर्थन मिलता रहा है। यही कारण है कि महिला मतदाताओं को देखते हुए मोदी सरकार की ओर से इस योजना को लोकसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले अगले 5 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया गया है।
देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री मोदी के इस दांव का विपक्ष के पास क्या काट है। लेकिन इतना तो है कि इस देश में राजनीतिक दल और उनके नेतृत्व वाली सरकारें चुनावी नफा-नुकसान को देखते हुए ही कोई फैसला लेती हैं और उसका असर सीधा चुवन पर भी पड़ता है। हालांकि, राजनीतिक दलों के इस दांव को समझते हुए ही जनता अपना फैसला लेती हैं। यही तो प्रजातंत्र है।