बिहार सरकार द्वारा राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार का सलाहकार नियुक्त करने के फैसले को उच्चतम न्यायालय ने हरी झंडी दिखाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री सभी मुद्दों के विशेषज्ञ नहीं हैं और लोक महत्व के मामलों पर सलाहकार रख सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अपने सलाहकार नियुक्त करने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि वह विशेषज्ञ नहीं हैं तथा लोक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर सुझाव मांगने के लिए सलाहकार नियुक्त कर सकते हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘वह (नीतीश) मुख्यमंत्री हैं। वह लोक महत्व के विभिन्न विषयों पर परामर्श मांग सकते हैं। वह किसी को अपना सलाहकार बना सकते हैं और उसी के अनुसार भुगतान कर सकते हैं। मुख्यमंत्री विशेषज्ञ नहीं हैं जो सबकुछ जानते हों। नियुक्ति में कुछ भी गलत नहीं है।’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल भी शामिल थे।
किशोर नीतियों और कार्यक्रम क्रियान्वयन पर बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार तथा राजनीतिक रणनीतिकार हैं। वह सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ हैं और आठ साल संयुक्त राष्ट्र में काम कर चुके हैं। न्यायालय राजेश कुमार जायसवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें किशोर की नियुक्ति निरस्त करने की मांग की गई थी।