By अंकित सिंह | Jun 17, 2023
समान नागरिक संहिता का मुद्दा देश में एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। 22वें विधि आयोग ने इसको लेकर विभिन्न धार्मिक संगठनों से राय मांगी है। इसके बाद लगातार यूसीसी को लेकर चर्चा हो रही है। इन सबके बीच कांग्रेस की ओर से भी इस पर प्रतिक्रिया आई है। कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा सिर्फ 2024 चुनाव जीतना चाहती है इसलिए यूसीसी के मुद्दे को हवा देने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने सरकार पर ध्रुवीकरण के एजेंडे को भी लागू करने का आरोप लगा दिया।
कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने यूसीसी को लेकर कहा कि यदि सच्चे मन से राष्ट्रहित में कोई कानून लाने की चर्चा होगी तो हम उस पर विचार करेंगे। हम इसका स्वागत कर सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि समान नागरिक संहिता का मुद्दा देश में एकरूपता लाने के लिए नहीं बल्कि तीसरी बार सत्ता में आने के लिए उठाया जा रहा है...यूसीसी का खाका तैयार नहीं है। इसलिए, मुझे लगता है कि बीजेपी इस मुद्दे को हवा देना चाहती है और 2024 का चुनाव जीतना चाहती है... यह एक चतुर पार्टी है और इसकी पहेली को समझना आसान नहीं है। इससे पहले पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि विधि आयोग को अपनी विरासत का ध्यान रखना चाहिए और यह भी याद रखना चाहिए कि देश के हित भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग होते हैं।
विधि आयोग ने बताया है उसने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा ‘समान नागरिक संहिता’ (यूसीसी) पर लोगों तथा मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित कर नये सिरे से परामर्श की प्रक्रिया बुधवार को शुरू कर दी। इससे पहले, 21वें विधि आयोग ने मुद्दे की पड़ताल की थी और समान नागरिक संहिता पर दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे। उसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था। 22वें विधि आयोग को हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है। इसने कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है। नोटिस में कहा गया है, ‘‘बाइसवें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है।’’