भाजपा की किरकिरी का कारण बनीं प्रज्ञा ठाकुर, जान तो लो कितने पानी में हैं?

By अंकित सिंह | Nov 28, 2019

जब-जब हिन्दुत्व वादी राजनीति की चर्चा होगी, तब तब भाजपा और उसके कदमों की समीक्षा की जाएगी। हर चुनाव से पहले पार्टी कैसे हिन्दुत्व की लहर को हवा देने के लिए इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाती है। 2019 के आम चुनाव में भी पार्टी ने राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व को बड़ा मुद्दा बनाते हुए चुनावी समर में उतरने का फैसला किया था। इसी कड़ी में 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में गिरफ़्तारी से चर्चा में आईं प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भाजपा ने भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह से खिलाफ उतारकर बड़ा दांव खेला। वो दिग्विजय ही थे जिन्होंने भगवा आतंक का जमकर शोर मचाया था। प्रज्ञा को उनके खिलाफ उतारकर भाजपा ने एक मास्टर कार्ड खेला। पर इसके बाद भाजपा कहीं ना कहीं प्रज्ञा ठाकुर को लेकर बैकफुट पर रहीं। प्रज्ञा के बयान पार्टी के लिए सिरदर्द साबित होने लगे। ताजा उदाहरण ही देख लीजिए। प्रज्ञा लोकतंत्र के मंदिर में भी नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त बताने से पीछे नहीं हटीं। उन्होंने यह तब किया जब कुछ दिन पहले ही उन्हें रक्षा मंत्रालय के संसदीय समिति में शामिल किया गया था। हालांकि यह पहले मौका नहीं है जब वह पार्टी के लिए किरकिरी का कारण बनीं हों। इससे पहले भी कई मौकों पर पर पार्टी की किरकिरी करवा चुकी हैं। 

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भोपाल से लोकसभा का टिकट पाते ही प्रज्ञा भाजपा के लिए मुसीबत बन गई। जिन 26/11 के शहीदों की शहादत को मुद्दा बनाकर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर रहती थी, उन्हीं शहीदों में से एक हेमंत करकरे को लेकर प्रज्ञा ठाकुर ने विवादित बयान दिया था। हेमंत करकरे पर प्रज्ञा ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने मेरे साथ काफी गलत तरीके से व्यवहार किया था और गलत तरीके से फंसाया था। साध्वी यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने आगे कहा कि मैंने उसे कहा था तेरा सर्वनाश होगा, उसने मुझे गालियां दी थीं। जिस दिन मैं गई तो उसके यहां सूतक लगा था और जब उसे आतंकियों ने मारा तो सूतक खत्म हुआ। बीच चुनाव में साध्वी के इस बयान ने भाजपा के खिलाफ विपक्ष को बड़ा हथियार दे दिया। पार्टी बैकफुट पर आकर अपना बचाव करने लगी। हालांकि साध्वी के बहाने पार्टी हिन्दुत्व के मुद्दे को काफी ज्वलंत रखा। 

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लेकिन साध्वी कहां चुप रहने वाली थी। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के पहले एक बार फिर से साध्वी के बिगड़े बोल मीडिया के सुर्खियों में रहने लगे। इस बार का बयान ऐसा था जो पार्टी को अर्श के फर्श पर पहुंचा सकता था। साध्वी ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताते हुए कहा कि वो देशभक्त थे और रहेंगे भी। उन्होंने कहा कि नाथूराम गोडसे को आतंकवादी कहने वाले लोग पहले अपने गिरेबां में झांकें। साध्वी ने दावा किया कि ऐसे लोगों को इन चुनावों में जवाब मिल जाएगा। साध्वी के इस बयान के बाद भाजपा की जमकर आलोचना होने लगी। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल इसे मुद्दा बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पुछने लगे। पार्टी के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा था। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह हों या फिर मध्य प्रदेश में भाजपा के बड़े चेहरे शिवराज सिंह चौहान, सभी उनके बयानों से कन्नी काटते दिखे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रज्ञा के बयान पर कहा कि भले पार्टी माफ कर दे, लेकिन वह मन से माफ नहीं कर पाएंगे। इसके बाद भाजपा की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस का क्या हुआ, प्रज्ञा ने क्या जवाब दिया, यह किसी को पता नहीं क्योंकि चुनावी नतीजें आने के बाद यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने भाजपा सांसदों की बैठक में प्रज्ञा से दूरी बनाने की कोशिश जरूर की। 

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प्रज्ञा ठाकुर ने भी चुनाव जीता और भोपाल सीट से अपने प्रतिद्वंदी दिग्विजय सिंह को बड़े अंतर से हराया। भोपाल के लोगों ने अपनी सेवा और क्षेत्र के विकास के लिए ही प्रज्ञा को सांसद चुना होगा पर उन्हें क्या पता कि प्रज्ञा शर्तों के साथ उनके लिए काम करेंगी। मध्य प्रदेश के सीहोर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान प्रज्ञा ने किसी काम को लेकर कार्यकर्ता के आए फोन का जिक्र करते हुए कहा कि आपको एक फोन नंबर सहजता से मिल गया और आपने (मुझे) लगा दिया। हम किस परिस्थिति में हैं? क्या कर रहे हैं ? इससे किसी को कोई मतलब नहीं। प्रज्ञा ने आगे कहा कि ध्यान रखो, हम नाली साफ करने के लिए नहीं बने हैं। ठीक है ना। हम आपके शौचालय साफ करने के लिए बिलकुल नहीं बनाये गये हैं। हम जिस काम के लिए बनाये गये हैं, वह काम हम ईमानदारी से करेंगे। यह हमारा पहले भी कहना था, आज भी कहना है और आगे भी कहेंगे। प्रज्ञा के इस बयान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान के खिलाफ माना गया। पार्टी तो नाराज हुए ही, विपक्ष भी पुछने लगा कि क्या प्रधानमंत्री ने मन से माफ कर दिया है। 

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प्रज्ञा ठाकुर बार-बार भाजपा के लिए किरकिरी का कारण बनीं पर पार्टी सीधी कार्रवाई करने से बचती रही। हालांकि संसद में दिए बयान के बाद पार्टी ने तत्काल एक्शन लेते हुए रक्षा मंत्रालय के संसदीय समिति से बाहर का रास्ता दिखाया ही, पार्टी की संसदीय बैठकों से भी दूर रहने को कहा है। ऐसा लगता है इस बार भाजपा प्रज्ञा ठाकुर को कड़े कार्रवाई करने के मूड में है। 

 

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