Chai Par Sameeksha: टल सकते हैं तो टालें विधानसभा चुनाव क्योंकि जान है तो जहान है

By अंकित सिंह | Jan 01, 2022

इस साल के शुरुआत में उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है। सभी राजनीतिक दलों अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि क्या चुनाव होंगे भी या फिर नहीं होंगे? दरअसल हाल में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोनावायरस महामारी को देखते हुए चुनाव टालने की अपील की थी। हालांकि इस सप्ताह चुनाव आयोग की ओर से इस बात को भी साफ कर दिया गया कि तय समय पर ही चुनाव होंगे। चाय पर समीक्षा में भी हमने इसी विषय को उठाया। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे से सीधा सवाल किया कि क्या जिस तरीके से कोरोनावायरस का खतरा देश में तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे हालात में चुनाव होना चाहिए? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि वाकई जिस तरीके से देश में कोरोनावायरस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है, वह चिंताजनक है। लेकिन चुनाव आयोग में सभी पार्टियों के साथ बैठक की है और सब ने चुनाव को समय पर कराने की ही मांग की है। ऐसे में अब सारा का सारा दारोमदार चुनाव आयोग के ऊपर ही आ जाता है।

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बिहार चुनाव का उदाहरण देते हुए नीरज दुबे ने कहा कि वहां निर्वाचन आयोग ने जबरदस्त तरीके से चुनाव को कोविड-19 काल में भी संपन्न कराए थे। लेकिन जिस तरीके से 2021 के चुनाव के दौरान देखा गया वह वाकई परेशान करने वाला था। देश में अफरा-तफरी का माहौल था और पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में चुनाव कराए जा रहे थे। मामले तो बढ़ ही रहे थे साथ ही साथ आंकड़े भी बढ़ रहे थे। चुनाव आयोग की तैयारियां कोरोनावायरस के प्रसार में फ्लॉप साबित हुई और हमने देखा किस तरीके से 2021 के चुनाव में कोरोनावायरस महामारी का खतरा लगातार पैर पसारता गया। यही कारण रहा कि चुनाव आयोग पर चेन्नई हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी कर दी थी। हालांकि अभी तक Omicron विदेशों की तुलना में भारत में नियंत्रित है, नये Corona Variant की भयावहता के बारे में अभी तक चिकित्सा वैज्ञानिक स्पष्ट कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं सिवाय इसके कि यह पिछले स्वरूपों के मुकाबले तीन गुणा अधिक गति से फैलता है। इसे देखते हुए ही Election Commission ने Health Ministry से मन्त्रणा की है लेकिन संकेत दिया है कि चुनाव समय पर ही होंगे। दरअसल कोरोना का मुद्दा राजनीति से हट कर है और इस पर किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसलिए अगर संक्रमण के मामले बढ़ते हैं तो चुनाव कुछ समय के लिए टालने पर भी विचार करना चाहिए। 


हमने यह भी जानना चाहा कि चुनाव आयोग के साथ बैठक में तो सभी पार्टियों ने समय पर चुनाव कराने की वकालत कर दी है। लेकिन जिस तरीके से मामले बढ़ रहे हैं कहीं ना कहीं आने वाले दिनों में यही पार्टियां चुनाव आयोग और सरकार पर महामारी के दौर में चुनाव कराने को लेकर हमलावर रहेंगे। इस पर नीरज दुबे ने कहा कि चुनाव आयोग के साथ बैठकों में सभी पार्टियों ने एक सुर में चुनाव कराने को कहा है और कोई भी पार्टी यह नहीं चाहती है कि चुनाव टाला जाए। अगर चुनाव टलता है तो सभी पार्टियों को अपने अपने स्तर पर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अगर इससे मामले बढ़ेंगे तो सरकार पर और चुनाव आयोग पर विपक्ष की पार्टियां जबरदस्त तरीके से हमलावर रहेंगे जैसा कि हमने 2021 में भी देखा था। कुल मिलाकर देखें तो लोकतंत्र में चुनाव बेहद ही महत्वपूर्ण है। समय पर चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। लेकिन जिस तरीके से कोरोनावायरस महामारी का खतरा लगातार बढ़ रहा है उसी हिसाब से चुनाव आयोग को अपनी तैयारियां करनी चाहिए।


समय पर विधानसभा चुनाव चाहते हैं सभी राजनीतिक दल: मुख्य निर्वाचन आयुक्त


मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दल समय पर राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव संपन्न कराना चाहते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि पिछले दिनों उनके साथ बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने उनसे कहा है कि राज्य में कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए समय से चुनाव होने चाहिए। यह बयान इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हाल के उस आग्रह के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण माना जा सकता है, जिसमें उसने कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के विधानसभा चुनाव को कुछ समय के लिए टालने पर विचार करने को कहा गया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त की अगुवाई में चुनाव आयोग का एक दल लखनऊ के तीन दिवसीय दौरे पर थे और उसने अगले साल के शुरू में होने वाले विधानसभा चुनाव के सिलसिले में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के अलावा चुनाव से संबंधित तमाम अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें की थी

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राज्य की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 14 मई 2022 को समाप्त हो जाएगा। चंद्रा ने बताया कि कुछ राजनीतिक दलों ने कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन किए बगैर हो रही चुनावी रैलियों पर चिंता जताते हुए रैलियों की संख्या को भी नियंत्रित करने की मांग की। उन्होंने बताया कि इसके अलावा कुछ दलों ने प्रशासन के कुछ लोगों तथा पुलिस के पक्षपाती रवैये के बारे में भी शिकायत की। उन्होंने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने नफरत भरे भाषणों और ‘पेड न्यूज’ को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए मुद्दों से अवगत है और वह मतदान प्रक्रिया को और अधिक सुगम, सहज, सरल और प्रलोभन मुक्त बनाने के लिए तत्पर है। उन्होंने बताया कि आगामी पांच जनवरी को निर्वाचक नामावली अंतिम रूप से प्रकाशित की जाएगी। उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन तक मतदाता अपने दावे और आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अभी तक मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ दो लाख से अधिक है और अंतिम प्रकाशन तक मतदाताओं के वास्तविक आंकड़े स्पष्ट होंगे। दलों को दी जाएगी और वीडियोग्राफी की टीम उनके घर जाएगी। 


उत्तर प्रदेश में पड़ रहे छापों से सियासत में आरोप-प्रत्यारोप का दौर

आयकर विभाग ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सहित कुछ इत्र व्यापारियों से जुड़े कई परिसरों और अन्य स्थानों पर कर चोरी की जांच के तहत छापेमारी की। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले की गई कार्रवाई की वजह से इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। सपा ने आरोप लगाया है कि तलाशी अभियान ‘‘भाजपा सरकार’’ द्वारा शुरू किया गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा कि इन्‍होंने राजनीति को दूषित किया है और ये नफरत की दुर्गंध फैलाने वाले लोग हैं। भाजपा पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग नफरत फैलाने वाले लोग हैं और इन्होंने राजनीति को दूषित किया है, ये नफरत की दुर्गंध फैलाने वाले लोग हैं, ये सौहार्द और सुगंध को कैसे पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि नफरत की दुर्गंध फैलाने वाले भाजपा के लोग हैं जानबूझकर समाजवादी पार्टी को बदनाम करना चाहते हैं, ये कन्नौज को भी दुनिया भर में बदनाम करने में लगे हैं। यादव ने एक नारा दिया अब इत्र का इंकलाब होगा, 22 में बदलाव होगा। 


भारतीय जनता पार्टी का पैसा नहीं 

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां से छापेमारी में बरामद करीब 200 करोड़ रुपये की नकदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नहीं है। उनसे विपक्ष के आरोपों के बारे में सवाल किया गया था। विपक्षी दलों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश के कन्नौज में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के यहां से बरामद 197.49 करोड़ रुपये भाजपा का धन है और कर अधिकारियों ने जैन के यहां छापेमारी ‘भूलवश’ कर दी और अब उन दूसरे जैन व्यापारी के यहां छापेमारी की जा रही है जिनके यहां वास्तव में छापेमारी पहले की जानी चाहिए थी। कार्रवाई का बचाव करते हुए सीतारमण ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव छापेमारी से ‘घबरा’ गए हैं। उन्होंने कहा कि आपको कैसे पता कि यह पैसा किसका है? क्या आप उसके साझेदार हैं? क्योंकि केवल साझेदारों को ही पता होता है कि किसका पैसा रखा गया है। छापेमारी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगर ऐसा होता तो आय कर अधिकारी कार्रवाई के बाद खाली हाथ लौटते। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को छापेमारी की जो कार्रवाई की जा रही है वह भी पुख्ता सूचनाओं के आधार पर ही की जा रही है।


- अंकित सिंह

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