चलिए ! देखने के लिए बहुत कुछ है रमणिक दून घाटी में

By डॉ. प्रभात कुमार सिंघल | Feb 06, 2020

देवभूमि उत्तराखण्ड की राजधानी होने का गौरव प्राप्त करने वाला शहर देहरादून दून धाटी के रूप में पहचान बनाता है, एक अद्वितीय एवं खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र है। देहरादून से ही नजर आता है हरियाली ओढ़े मसूरी पर्वत का सौन्दर्य। देहरादून के पूर्व में गंगा नदी तथा पश्चिम में यमुना नदी हिलोरे लेती है। उत्तर-पूर्व में 3 हजार फीट तक की ऊंची कलिंग पहाडि़यां देहरादून की शोभा बढ़ाती हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य समेटे पहाडि़यां, आस्थाधाम मंदिर, पशु-पक्षी प्रेमियां के लिए अभ्यारण्य, राफ्टिंग, ट्रेकिंग व पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेल देहरादून की अपनी शान है। पर्यटन, शिक्षा, संस्कृति एवं प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए पहचान बनाने वाला देहरादून समुद्रतल से 2156 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

 

सहस्त्रधारा

सहस्त्रधारा देहरादून का सर्वप्रिय पर्यटक स्थल पहाड़ों के घने जंगलों के बीच स्थित सहस्त्रधारा है। यहां का मुख्य आकर्षण पहाड़ी के अन्दर प्राकृतिक रूप से तराशी गई छोटी-छोटी गुफाएं हैं जिनसे अविरल बारिश जैसी बौछार होती रहती है। गुफाओं में इस प्रकार जल की धाराओं को बहने के कारण इस स्थल का नाम सहस्त्रधारा रखा गया। पहाड़ी से गिरते हुए जल को प्राकृतिक रूप से संचित किया जाता है। यहां गन्धक युक्त गर्म जल के एवं ठण्डे पानी के कुण्ड भी बनाये गये हैं। घाटी के मध्य होकर ''देव जन्या'' नदी बहती है। स्थानीय निवासियों के लिए एक रमणिक पिकनिक स्पोट है। दुर्लभ प्रकार की वनस्पति तथा कंदराओं की संरचना के आधार पर वनस्पति विज्ञान एवं भू-र्गभ विज्ञान के शोधार्थियों के लिए यह महत्वपूर्ण स्थल है। यहां पहुँचने के लिए देहरादून से नगर बस सेवा एवं अन्य परिवहन साधन उपलब्ध हैं।।          

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टपकेश्वर महादेव

देहरादून में बस स्टैण्ड से 5.5 किलोमीटर दूर तमता नदी के तट पर स्थित है टपकेश्वर महादेव मंदिर गुफा। मंदिर गुफा में स्थित गुफा की छत से टपकता हुआ पानी सीधा शिवलिंग पर गिरता है। मंदिर के चारों ओर झरना बहता है। शिवरात्रि के अवसर पर यहां भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहते हैं।

 

मालसी मृग विहार

देहरादून से 10 किलोमीटर दूर पर मसूरी मार्ग पर स्थित मालसी मृग विहार हिमालियन हिरन के लिए प्रसिद्ध है। पार्क में हिरन के साथ-साथ चीतल, मोर, तेन्दुआ आदि कई जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जो वन्यजीव प्रेमियों को लुभाते हैं। यह पार्क विशेष रूप से बच्चों को आकर्षित कर उनका मनोरंजन करता है। पिकनिक मनाने का भी यह एक प्राकृतिक स्थल है।

 

रामराय दरबार 

देहरादून के मध्य स्थित दरबार श्री गुरूरामराय जी महाराज का स्मारक धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। गुरू जी राय के ज्येष्ठ पुत्र हर राय ने 1676 ई. में यहां ढेरा डाला था। यहां मुगल, राजस्थानी एवं कांगड़ा शैली की पेन्टिंग दीवारों पर देखने को मिलती हैं। पेटिंग्स में कृष्ण लीला, गीता, रामायण, महाभारत के दृश्यों के साथ-साथ हीर-रांझा, लैला-मंजनु, नूरजहां एवं ब्रिटेन निवासियों के चित्र देखने को मिलते हैं। यहां दरबार साहिब का हर वर्ष आयोजित ”झण्डा जी“ मेले में हजारों की संख्या में देश-विदेश से संगतें आकार शामिल होती हैं। यह मेला देहरादून का सबसे बड़ा मेला है। झण्डा जी के ऊपर शनील के गिलाफ चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं को कई वर्ष पूर्व आवेदन करने होते हैं, तब जाकर 20-25 साल बाद गिलाफ चढ़ाने का मौका आता है।

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वन अनुसंधान संस्थान

देहरादून क्लाक से 7 किलोमीटर दूर राज्य का एक मात्र पुराना वन अनुसंधान संस्थान एवं वन महाविद्यालय वनस्पति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है। करीब 450 हैक्टेयर में फैले इस संस्थान में सात संग्रहालयों में वनस्पति विज्ञान से सम्बन्धित वस्तुओं-तत्वों का संग्रह दर्शनीय है। तिब्बत से लेकर सिंगापुर तक सभी प्रकार की वनस्पति यहां पाई जाती है। भवन का निर्माण वास्तुकार एडविन यूटिन्स द्वारा करवाया गया था। यह भवन ग्रीस, रोमन एवं पूर्वी देशों की भवन निर्माण कला का सुन्दर मिश्रण है। एशिया में यह अपने प्रकार का अलग ही भवन है। भवन का निर्माण 2.5 हैक्टयर में 210 खम्बों एवं ऊंची मेहराबों पर किया गया है। इस भवन को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया गया है। इस स्थल के सौन्दर्य के महत्व का अन्दाजा इसी बात से लगया जा सकता है कि यहां फिल्मकारों ने अनेक फिल्मों की शूटिंग की हैं।

 

मनड्रोलिंग मठमनड्रोलिंग मठ 

देहरादून के राजाजी नेशनल पार्क के निकट बनाया गया है। मठ में भगवान बुद्ध की 107 फीट ऊंची अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। मठ की  वास्तुकला आश्चर्य चकित करती है। मसूरी ”पहाड़ों की रानी“ कहे जाने वाला मसूरी पर्वतीय स्थल देहरादून से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खूबसूरत पर्यटक केन्द्र है। हरी-भरी पहाडि़यों के सुन्दर नजारे पूरे मार्ग में देखने को मिलते हैं। ब्रिटिश आर्मी केप्टन यंग ने 1827 ई. में इस स्थल की खोज की थी। यहां का वातावरण शांत एवं स्वच्छ है। मसूरी का सबसे प्रमुख एवं सर्वप्रिय पर्यटक स्थल कैम्पटी फाल है जो मसूरी से 15 किलोमीटर दूर 4500 फीट की ऊँचाई पर एक सुन्दर झरना है।

 

सैन्य अकादमी

सैन्य अकादमी देहरादून में देहरादून-चकराता मार्ग पर 7 किलोमीटर दूर भारतीय सैन्य अकादमी यहां की अपनी विशेषता है। संस्थान का भवन वास्तुकला का विशिष्ट नमूना है। देश का यह एक मात्र ऐसा संस्थान है जहां देश की रक्षा हेतु कैडेट तैयार कर थल सैना में नियुक्ति दी जाती है। यहां भारत के मित्र राष्ट्रों बांग्लादेश, मालदीप, नेपाल, भूटान एवं नाईजीरिया आदि 22 देशों के छात्रों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यहां संग्रहालय, पुस्तकालय, युद्ध स्मारक, गोला-बारूद शूटिंग प्रदर्शन कक्ष एवं गोल्फ कोर्स (18 हॉल) दर्शनीय हैं।

 

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

 

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