By प्रिया मिश्रा | Apr 01, 2022
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और इसी दिन कलश स्थापना भी की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमालय के तप से प्रसन्न होकर आद्यशक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में अवतरित हुई थी। जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करता है उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।
मां शैलपुत्री के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। वे अपनी सवारी नंदी बैल पर संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं। वे सभी वन्य जीवों की रक्षक हैं। उन्हें उमा और वृषोरूढ़ा के नामों से जाना जाता है। मां शैलपुत्री को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना गया है।
मां शैलपुत्री की पूजा करने की विधि
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर और स्नानादि करके साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी मां की पूजा करने के लिए उनकी मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थल पर स्थापित करें। मां शैलपुत्री को सफेद रंग की वस्तुएं प्रिय हैं इसलिए माता को सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाएं। माता को सफेद रंग की मिठाई का भोग भी अवश्य लगाएं। इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा पढ़ें और दुर्गा सप्तशती पाठ करें।
मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए मंत्र
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।
ओम शं शैलपुत्री दैव्ये नमः।
- प्रिया मिश्रा