By शुभम यादव | Oct 06, 2020
आंध्र प्रदेश की सत्ता पर काबिज वाईएसआर कांग्रेस के एनडीए गठबंधन में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है, हाल ही में आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करते हुए सियासी हलचल और बढ़ा दी है। YSR कांग्रेस की NDA में शामिल होने को लेकर जो पेंच फंस रहा है वो दरअसल आंध्र प्रदेश को अभी तक न मिलने वाला पूर्ण राज्य का दर्जा है। वाईएसआर के प्रमुख नेताओं में से एक श्रीकांत रेड्डी ने मीडिया को दिए बयान में इस बात का जिक्र साफ-साफ कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार यदि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देती है तभी एनडीए गठबंधन में शामिल होने की चर्चा शुरु की जा सकती है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने पानी के मुद्दे पर एपेक्स काउंसिल की मीटिंग में हिस्सा लेंगे वहीं प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करेंगे।
आंध्र प्रदेश सरकार का गठबन्धन केन्द्र की एनडीए से इन हालातों में संभव
वर्तमान में आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी YSRCP है जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से जुड़ने को सशर्त तैयार है, ऐसे में केन्द्र सरकार और एनडीए के मुखिया प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के प्रमुख नेता एक और सियासी किला फतह करने की कोशिशों पर जोर देंगे। किसी भी तरह वाईएसआर का गठबन्धन एनडीए में हो जाता है तो मोदी सरकार के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि होगी। ऐसे समय में जब बिहार की राजनीतिक गतिविधियों में भूचाल आया हुआ है उस समय एनडीए में एक और दल की एन्ट्री होना बिहार के विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकता है। लेकिन जितनी मीठी खीर YSRCP को एनडीए गठबन्धन में लाना लग रहा है उससे ज्यादा टेढ़ी खीर उसकी मांगों को मानना होगा। यदि मोदी सरकार ने शर्त मंजूर करते हुए YSRCP की मांगों को पूरा कर दिया तो बात बन सकती है।
क्या है YSRCP के प्रमुख नेताओं की मांग?
जैसा कि वरिष्ठ YSRCP नेता श्रीकांत रेड्डी ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि आंध्र प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की शर्त को मंजूर कर लेने पर ही एनडीए गठबन्धन से जुड़ी तमाम चर्चाओं पर विचार किया जा सकता है। इसके साथ ही 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग हुए तेलंगाना राज्य पर जिस अधिनियम को बनाया गया उसके अनुरूप किए गये सभी वादों पर मुहर न लगने तक गठबन्धन की कोई चर्चा नहीं की जा सकती है।
क्या है आंध्र प्रदेश अधिनियम एक्ट 2014?
इस अधिनियम को तेलंगाना अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है, 2014 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश को विभाजित करते समय भारतीय संसद ने एक अधिनियम बनाया जिसे आंध्र प्रदेश अधिनियम का नाम दिया गया मुख्यतः इसे तेलंगाना अधिनियम के रूप में भी जाना गया। इस अधिनियम में सीमाओं, संपत्तियों, लेनदारियों और देनदारियों का बंटवारा किया गया। आंध्र प्रदेश से अलग एक राज्य तेलंगाना का निर्माण कर उसकी राजधानी के रूप में हैदराबाद को चुना गया वहीं अस्थायी राजधानी के रूप में हैदराबाद को आंध्र प्रदेश की राजधानी चुना गया। इसी अधिनियम और भी कई प्रमुख वादे सम्मिलित रहे जिन्हें आज तक पूरा नहीं किया गया।
इसी विशेष परिस्थिति को अपना मानदंड मानकर चल रही YSR कांग्रेस अपनी मांगों को लेकर निश्चिंत है और राज्य को विशेष श्रेणी के दर्जे के साथ ही अधिनियम में युक्त प्रमुख बातों पर पुनर्विचार करने की बात कही है।
लेकिन ये तमाम कयास केवल YSRCP के मुखिया जगन मोहन रेड्डी के प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के कारण लगाए जा रहे हैं, अभी तक किसी भी प्रकार का प्रस्ताव न तो YSR कांग्रेस की तरफ से एनडीए में शामिल होने के लिए लाया गया है और न ही किसी भी प्रकार का आमंत्रण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से वाईएसआर कांग्रेस को दिया गया है।
- शुभम यादव