By अंकित सिंह | Jan 03, 2024
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा। यही कारण है कि अब सीएए को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि यह हाशिए पर रहने वाले समुदायों, खासकर मुसलमानों के लिए गंभीर अन्याय होगा। उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में पारित कानून "संविधान विरोधी" था क्योंकि यह धर्म के आधार पर बनाया गया था। उन्होंने कहा कि सीएए संविधान विरोधी है। सीएए को एनपीआर-एनआरसी के साथ पढ़ा और समझा जाना चाहिए जो इस देश में आपकी नागरिकता साबित करने के लिए शर्तें तय करेगा।
ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि यदि ऐसा हुआ तो यह घोर अन्याय होगा, खासकर मुसलमानों, दलितों और भारत के गरीबों के साथ, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों। सीपीआई(एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने दावा किया कि केंद्र लोकसभा चुनाव से पहले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है। इतने वर्षों तक...इन नियमों (सीएए) को अधिसूचित नहीं किया गया...स्पष्ट रूप से, वे चुनावों से ठीक पहले इन नियमों को अधिसूचित करना चाहते हैं ताकि इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करके चुनावों में लाभ उठाने के लिए एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह कुछ चुनावी लाभ के लिए नियमों और घोषणाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के नियमों को लोकसभा चुनाव की घोषणा से "काफी पहले" अधिसूचित किया जाएगा। पदाधिकारी ने कहा, "हम जल्द ही सीएए के लिए नियम जारी करने जा रहे हैं। एक बार नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।" नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए सीएए के नियमों का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों - जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं - को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
पिछले महीने, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोहराया था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। कोलकाता में एक सभा को संबोधित करते हुए शाह ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा सीएए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया था। टीएमसी नेता इस कानून के आने के बाद से ही इसका विरोध कर रहे हैं। बहुप्रतीक्षित सीएए को लागू करने का आश्वासन पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनावी एजेंडा था।