मध्य प्रदेश हमेशा से अपने टाइगर यानि बाघों के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ के राष्ट्रीय उद्यानों में टाइगर देश के अन्य राज्यों से कहीं अधिक हैं। प्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान तो कम क्षेत्रफल में सबसे अधिक टाइगरों के लिए प्रसिद्ध है। कान्हा, सतपुड़ा, पेंच और अब तो मध्य प्रदेश की राजधानी के पास रातापानी वन्य अभ्यारण में भी टाइगर देखे जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही एक मादा टाइगर अपने दो बच्चों के साथ कैमरे में कैद हुई थी। ये दो शवक आगे चलकर रातापानी के जंगलों में अपना प्रभुत्व जमाएगें और शासन करेंगे तथा मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या में इजाफा करेंगे। हालंकि अत्याधिक शिकार के चलते टाइगर को संरक्षित वन्य प्राणी की सूची में रखा गया है। लेकिन टाइगर एक ऐसा वन्य प्राणी है जो अपने शिकार करने के तरीके और श्रेष्ठता के चलते पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। कुछ साल पहले सलमान खान अभिनीत फिल्म एक था टाइगर आई और दर्शकों ने इसे खूब सराहा जिसके बाद इस फिल्म की उत्तर-कृति यानि सिक्वल आया नाम था टाइगर जिंदा है...।
मध्य प्रदेश में डेढ़ साल पहले भारतीय जनता पार्टी को 15 साल राज्य करने के बाद सत्ता सिंहासन से उतरना पड़ा। प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने सत्ता स्थापित की और 13 साल तक एक छत्र राज्य करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विपक्ष में बैठने को मजबूर कर दिया। लेकिन शिवराज सिंह चौहान कहां शांति से बैठने वाले थे। उन्होंने जब 13 साल बाद मुख्यमंत्री निवास छोड़ा तो वहाँ अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने कहा कि टाइगर अभी जिंदा है....।
इधर गुटों में बटी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 महीनें में ही राज्य से विदा हो गई। दिग्विजय, कमलनाथ और सिंधिया गुटों में विभाजित कांग्रेस में भी विभाजन की स्थिति बन गई और अंत में सिंधिया गुट यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने समर्थकों सहित पार्टी छोड़नी पड़ी और वह अपनी दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया द्वारा स्थापित पार्टी की सदस्यता लेकर अपने समर्थकों सहित शामिल हो गए। सिंधिया के साथ छोड़ने का मतलब ही था कि अब प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता खत्म और बीजेपी एक बार फिर सत्ता पर काबिज। मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर शपथ ली और कोरोना काल में सिंधिया के जिन समर्थकों की बदौलत भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई थी उन्हें साधने के साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने राज्यसभा भेज दिया। कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद पहली बार जब सिंधिया प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुँचे तो बीजेपी ने उनका आद्वितीय स्वागत किया। वही दूसरी बार जब वह अपने समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शपथ लेते देखने आए तो उन्होनें भारतीय जनता पार्टी के मंच से पूर्व मुख्यमंत्रियों दिग्विजय सिंह और कमलनाथ को चेतावनी देते हुए सलमान खान की फिल्म का टाइटल बोला जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डेढ़ साल पहले सत्ता जाने के बाद बोल चुके थे टाइगर जिंदा है...।
सिंधिया का यह बोलना था कि उनके समर्थकों ने राजधानी में टाइगर के साथ ज्योतिरादित्य के पोस्ट बैनर लगवा दिए। यही नहीं सिंधिया के इस संवाद से कांग्रेस नेता भी इतने सक्रिय नज़र आए जैसे उन्हें कोई राजनीतिक मुद्दा हाथ लग गया हो। कांग्रेस कार्यकर्ता सिंधिया की इस संवाद अदायगी पर वीडियो बनाने लगे तो वही जिन्हें सिंधिया ने संवाद के जरिए चेताया था उन्होनें भी ट्वीट कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तब मैं और श्रीमंत माधवराव सिंधिया जी शेर का शिकार किया करते थे। इंदिरा जी ने वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन एक्ट लाने के बाद से मैं अब सिर्फ शेर को कैमरे में उतारता हूँ। तो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक सभा में कहा कि मैं महाराजा नहीं हूँ, समझ गए न, मैं मामा नहीं हूँ, मैंने चाय नहीं बेंची, मैं कमलनाथ हूँ…। और कभी कहते है मैं टाइगर हूँ, मैं न टाइगर हूँ न पेपर टाइगर हूँ। वही दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते हुए कहा कि जब एक जंगल में दो शेर आ जाते है, उसमें एक ही रह पाता है दो नहीं रह पाते टेरोटोरियल फाइटस होती है। अभी थोड़े बहुत और भी आएगें बयान देने वाले टाइगर जिंदा है...।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि टाइगर जिंदा है जुमला बन चुका है। शिवराज सिंह चौहान भी कहते है, टाइगर जिंदा है...ये भी कहते है टाइगर जिंदा है...राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट के जरिए सीधे तौर पर तो नहीं पर अपनी राजनीतिक भाषा में यह कह दिया कि किस तरह इंदिरा गांधी ने राजनीतिक प्रतिबंध लगाकर स्वर्गीय माधवराव सिंधिया को कांग्रेस में शामिल होने पर मजबूर कर दिया था जबकि वह जनसंघ से जुडे नेता थे। वही भाजपा में भी शिवराज सिंह चौहान पहले से टाइगर है तो दूसरा टाइगर कैसे रह पाएगा ! लेकिन कांग्रेस नेताओं के इन बयानों के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का जोश कम नहीं हुआ और उन्होंने भाजपा यानि खुद की शिवराज सरकार के 100 दिन पूरे होने पर वर्चुअल रैली में एक बार फिर कहा कि कांग्रेस नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि टाइगर अभी जिंदा है...।
बहरहाल मध्य प्रदेश की राजनीति में टाइगर एक बार प्रासांगिक हो चला है। यहाँ यह समझने वाली बात होगी कि यह टाइगर राजनीतिक टाइगर है जो अपनी सुविधा के अनुसार जिंदा होता है। यह राजनीति बाघ या टाइगर प्रदेश की राजनीति में कब तक संरक्षित रह पाता है यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस संवाद ने राज्य की राजनीति में एक बार फिर हलचल पैदा कर दी है। और यह हलचल प्रदेश की 24 विधान सभाओं में होने वाले उप चुनाव में जिंदा रहेगी। जैसे कि पिछले चुनाव में माफ करो महाराज, हमारा नेता शिवराज था अब वही सिंधिया द्वारा बोला गया यह संवाद चुनावी नारा बनकर पूरे प्रदेश में गूंजने वाला है कि टाइगर जिंदा है...।
- दिनेश शुक्ल