अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन की तारीख नजदीक आ रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण की भूमि पूजन में शामिल हो सकते हैं। सूत्र दावा कर रहे हैं कि अयोध्या में भूमि पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से 3 और 5 अगस्त की तारीख ही प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई थी। यह माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को अयोध्या जा सकते हैं। लिहाजा इसी दिन राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन का कार्य भी पूरा किया जाएगा। हालांकि अभी तक ना ही प्रधानमंत्री कार्यालय और ना ही उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बात की पुष्टि की है। लेकिन सूत्र यह बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय को 3 और 5 अगस्त की तारीख भेजी गई थी। लेकिन यह कहा जा रहा है कि 5 अगस्त को ही राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन का कार्यक्रम होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 5 अगस्त 2019 को ही जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था। ऐसे में प्रधानमंत्री कार्यालय एक बार फिर 5 अगस्त को ऐतिहासिक बनाने के लिए इसी दिन राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के कार्यक्रम को हरी झंडी दे सकता है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री के अलावा कई और गणमान्य लोगों के भी शामिल हो सकते हैं। राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा 200 से ज्यादा हस्तियां शामिल हो सकती हैं। कार्यक्रम में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को भी आमंत्रित किया जाएगा।
भले ही नरेंद्र मोदी के राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास में शामिल होने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने अभी तक कोई पुष्टि नहीं की है लेकिन इस पर राजनीति तेज हो गई है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि हमें तय करना होगा कि कौन सा काम कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोचते है कि राम मंदिर बनने से कोरोना खत्म हो जाएगा। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि सरकार को लॉकडाउन की वजह से हुए नुकसान की चिंता करनी चाहिए। पवार के बयान पर भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने पलटवार किया है। भारती ने स्पष्ट तौर पर कहा कि शरद पवार का यह बयान पीएम मोदी के खिलाफ नहीं बल्कि भगवान राम के खिलाफ है। इस मामले में शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि अयोध्या से पार्टी का पुराना नाता रहा है। अयोध्या में राम मंदिर बनने में सबसे बड़ी अड़चन शिव सैनिकों के बलिदान से दूर हुई है। राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम में जाने के लिए शिवसेना को किसी के आमंत्रण की जरूरत नहीं है। उधर शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो या बाला साहब ठाकरे की इच्छा थी। अब राम मंदिर बन रहा है तो शिवसेना भी इसमें सहभागी होगी।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का कोई विरोध नहीं कर रहा है लेकिन भाजपा ने न्यास में देश के चारों पीठों के शंकराचार्य को स्थान नहीं दिया और विश्व हिंदू परिषद और BJP के नेताओं को स्थान दिया। ये न्यास को राजनीतिक ढंग से डील कर रहे हैं हम इसका विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को नरेंद्र मोदी जी अगर शिलान्यास कर रहे हैं तो उसमें हमारे धर्मगुरू और चारों पीठों के शंकराचार्य, रामानंद संप्रदाय के स्वामी रामनरेशाचार्य जी सबको आमंत्रित किया जाना चाहिए और न्यास में शामिल किया जाना चाहिए। उधर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद हुसैन दलवई ने भी राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में पीएम मोदी के शामिल होने की खबरों पर बड़ा बयान दिया है। दलवई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए। वह एक धर्मनिरपेक्ष देश के प्रधानमंत्री हैं अगर वह शामिल होते हैं तो इससे गलत संदेश जाएगा। उन्होंने इस बात को भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री रहते हुए जवाहरलाल नेहरू भी सोमनाथ मंदिर के निर्माण कार्य में शामिल नहीं हुए थे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आजकल सब शामिल होते हैं तो वह अगर शामिल होते हैं तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए।
आपको बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अयोध्या में तीन या पांच अगस्त (दोनों शुभ तिथियां) को भव्य राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए आमंत्रित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पांच फरवरी को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी। एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, उच्चतम न्यायालय के पिछले वर्ष नौ नवम्बर को फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ था। ट्रस्ट के सदस्यों की अयोध्या में शनिवार को हुई एक बैठक में मंदिर की आधारशिला रखने की संभावित तिथि के बारे में फैसला लिया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य कामेश्वर चौपाल ने बताया कि बैठक में राम मंदिर की ऊंचाई के मुद्दे पर चर्चा की गई। मंदिर की ऊंचाई 161 फुट होगी और इसमें पांच गुंबद होंगे।