राजनीति और मॉडलिंग (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | May 29, 2024

जनाब थोड़ी देर पहले चुनाव क्षेत्र से लौटे थे। उनके खासमखास में से एक हमारे साथ थे लेकिन पुराने सख्त दरबान ने उन्हें हमारे जैसा हल्का बंदा ही समझा। बताया गया, साहब नहा रहे हैं। उन्हें साहब और सर भी कहा जाता है। अच्छी तरह नहाने के बाद, जनाब, साहब और सर को सूचित किया गया कि बाहर बैठे, दो आम आदमी दर्शन करना चाहते हैं। उनकी मेहरबानी हुई, पहले हमारे साथ वाले अंदर गए, उन्हें तुरंत पहचानकर, आइए बैठिए कहा गया फिर हमें प्रवेश की इजाज़त मिली।

 

हमारे साथ वाले ख़ास ने नकली मुस्कराहट और आंख के सधे हुए इशारे से सूचित किया कि अपने आदमी हैं तो सर ने एहसान जताते हुए बताया कि अभी फील्ड से लौटे हैं, वोटों को पटाए रखना पड़ता है। यह जो सफ़ेद कपडे पहने हैं ऐसे कई जोड़े तैयार रखने पड़ते हैं। बहुत गंदी गंदी जगह पर गरीबों की बस्तियां हैं। कभी कभार ज्यादा सडांध वाले माहौल में भी जाना पड़ता है। कमबख्त बदबू जिस्म के अन्दर तक घुस जाती है, लौटकर तुरंत विदेशी बॉडीवाश से नहाना पड़ता है और कपड़े खुशबू से भरने पड़ते हैं नहीं तो बीमार होने का खतरा रहता है। मुझे उस दिन पता चला कि इन्हें भी बहुत मेहनत करनी पड़ती है। 

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मॉडलिंग और राजनीति में कई चीज़ें समान देखी जा सकती है। वहां कैरियर, दुनिया, देश, प्रांत जिला शहर से मोहल्ले तक चलता है। अलग अलग मंच व मापदंडों पर परखा जाता है तब कहीं बंदा आगे खिसकता है। इसमें बुरा मानने वाली बात कतई नहीं है, राजनीति की तरह वहां भी कहीं कम तो कहीं ज़्यादा नंगा होना पड़ता है। वह अलग बात है कि वहां शालीनता व सलीका साथ रखना होता है, हां, राजनीति के चौगान में नंगई बहुत ज़्यादा है।  अपनी नंगई छिपाई जाती है दूसरे की ढूंढ ढूंढ कर सबको दिखाई जाती है। विश्वास, आत्मविशवास, विश्वासघात, चलने, चाल बदलने का तरीका, बात करने व बात फेंकने का अंदाज़ मॉडलिंग जैसा ही होता है। 


दोनों व्यवसायों में चुनाव जीतने के बाद यह बयान ध्यानपूर्वक दिया जाता है कि देश और समाज के लिए क्या क्या करेंगे। क्या नहीं करना है यह भी लगे हाथ दिमाग में स्पष्ट और सुनिश्चित कर लिया जाता है। फिटनेस का फंडा दोनों जगह है वहां उत्तम स्वास्थ्य ज़रूरी है तो राजनीति में सफल होते ही फिटनेस खुद शरीर में प्रवेश कर जाती है। मॉडलिंग में सम्प्रेषण क्षमता, दूसरों से जुड़ाव, परिधान व व्यक्तित्व ज़रूरी है इधर राजनीति में जाति, धर्म, धन और ताक़त के पीछे सब छिप जाता है। राजनीति तकनीक, डिजायनर नारे, विज्ञापन और भाषण प्रयोग करती है जिन्हें देश के लिए मॉडल बना दिया जाता है। विशेषज्ञ यह काम करके नुमांया हो जाते हैं और राजनीतिज्ञों की जीत के सूत्रधार हो जाते हैं। राजनीति और मॉडलिंग की दोस्ती पक्की होती जाती है।

 

- संतोष उत्सुक

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