देश का भविष्य बनाने के लिए देश का भविष्य निर्माता होने जा रहे, राजनीतिक पालनहार अपनी इच्छापूर्ति के लिए मंदिर, मस्जिद, बाबाओं व अन्य धार्मिक स्थलों की पावन शरण में हैं। आम मतदाता के दरबार में हाथ जोड़े उपस्थित हैं, ज़बान पर मन भरमाते बढ़िया आश्वासन, चेहरे पर सच्चा निवेदन चस्पाँ कर, हाथ जोड़े, नकली प्यार से सबको गले लगाते, जानवरों को भी भरमाते चौखट चौखट, गली गली घूम रहे हैं। करोड़ों समझदार मतदाता जिन्हें न अपना भविष्य पता है न उनका, राजनीतिक सामंजस्य के मैदान में फुटबाल, बास्केटबाल, हॉकी, क्रिकेट व कुश्ती को मिलाकर ‘मुद्दा मुद्दा’ नाम का खेल रहे हैं। सही मुद्दे या जुमले अपनी ज़मीन न पकड़ सकें, ठीक ऐसे सुविधामय समय में सिद्धहस्त, माहिर, यशस्वी, विराट व्यक्तित सकारात्मक माहौल उगाने वाली भविष्यवाणियाँ कर रहे हैं।
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पिछले दिनों देश के अनंत प्रबुद्ध नेता ने फरमाया कि सन 2025 के बाद पाकिस्तान भारत का हिस्सा होगा और भारतवासी कराची, लाहौर और रावलपिंडी सहित आसपास के शहरों में बस सकेंगे और वहां अपना हर तरह का कारोबार भी कर सकेंगे। यह एक ऐसी भविष्यवाणी मानी जा सकती है जिसमें विश्व बंधुत्व मजबूत होने का दावा देखा जा सकता है। इससे भी बड़ी दूसरी भविष्यवाणी, दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के इतिहास में पहली बार की गई है। जिस देश में कहीं न कहीं चुनाव होता ही रहता है उस देश के चुनाव आयुक्तों को यह वाणी बहुत राहत देने वाली है। अपने उदाहरणात्मक, ऐतिहासिक ब्यानों के लिए हमेशा प्रसिद्ध साक्षी रहे राजनीतिक महाराज ने भविष्यवाणी की है कि सन 2024 में देश में चुनाव नहीं होंगे।
आने वाली संसद संभवत ऐसे उत्कृष्ट कानून का निर्माण कर दे कि संसद पूर्ण संवैधानिक तरीके से सभी कार्यों का निष्पादन कर रही है इसलिए अगली बार चुनाव की ज़रूरत नहीं है। संविधान में संशोधन कौन बड़ी बात है। ऐसा होने के बाद तो निश्चय ही देश का करोड़ों रुपया बचेगा जो ज़रूरी सामाजिक कार्य जैसे गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा और बेरोजगारी दूर करने में प्रयोग हो सकेगा। ऐसा न करना चाहें तो पर्यटन बढ़ाने के लिए विशाल मूर्ति का निर्माण किया जा सकता है। चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता का अंतराल भी घोषित नहीं करना पड़ेगा और कितने ही विकास कार्य रोकने नहीं पड़ेंगे। देश के लाखों कर्मचारियों व अधिकारी आम जनता की सेवा में निरंतर उपलब्ध रहेंगे। लेकिन, लेकिन, एक बार फिर लेकिन, बेचारी उन 464 राजनीतिक पार्टियों का क्या होगा जिन्होंने 2014 के आम चुनावों में लोकसभा की 543 सीटों के लिए तन, मन, धन और कई वस्तुओं समेत भाग लिया था। इस साल होने वाले चुनाव में लगता नहीं कि पार्टियां कम हुई होंगी। यह मानकर चलना होगा कि सही राजनीतिक गणना करने के उपरांत ही यह सकारात्मक भविष्यवाणियाँ की जा रही है।
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उम्मीद करनी चाहिए कि इन भविष्यवक्ताओं से प्रेरित हो दूसरी बुद्धिमान प्रतिभाएँ भी अपनी ‘ज्योतिषीय गणना’ के आधार पर कुछ और नई घोषणाओं से, बुद्धिजीवियों से लदे इस देश को नवाजेंगे। उनकी गणना, यंत्र या तंत्र या मंत्र यह भी बता सकेगा है कि हमारे देश से गरीबी नाम की सुंदरी किस साल वैरागी हो जाएगी। बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता खत्म करने के लिए कोई महापुरुष कब अवतार लेगा। नारी सम्मान की योजना कब व्यावहारिक रूप से लागू हो सकेगी। कौन सी योजना की घोषणा से रोजगार उपलब्धता का प्रतिशत आसमान पहुंचेगा, पढे लिखे नौजवानों को नौकरी प्राप्त करने के लिए कौन से नए ग्रहों की पूजा करनी पड़ेगी। क्या अब पारंपरिक ज्योतिषियों के संभलने का वक़्त भी आ गया है।
संतोष उत्सुक