चंद्रयान-2 (कविता)

By प्रतिभा तिवारी | Sep 07, 2019

‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ का चांद पर उतरते समय जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। सपंर्क तब टूटा जब लैंडर चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था। ऐसे में इसरो के वैज्ञानिक पूरी तरह से भावुक हो गए। इस कविता में कवयित्री ने वैज्ञानिकों की मन:स्थिति का बखूबी वर्णन किया है।

इसरो मुख्यालय
चंद्रयान 2 मिशन का
कौतूहल और कोलाहल
इस हलचल के बीच
सभी की थम गई धड़कन
जब चंद्रयान की सतह से
महज कुछ क्षण पहले
लैंडर से संपर्क टूटा
तो..करोड़ों देशवासियों और
सालों से मेहनत कर रहे
हमारे वैज्ञानिकों का
जैसे सच हुआ
एक सपना टूटा
बेचैनी और उत्सुकता के साथ
उम्मीदें पूरी होने का
था पूर्ण विश्वास
गर्व है हमें इसरो पर
1.51 पर थम गया था
हम सबका उल्लास
पर 1.52 से ही हमने
फिर से लगा ली आस
हमें अपने वैज्ञानिकों की
मेहनत और काबिलियत पर
है पूर्ण विश्वास
तो एक बार या बार बार
हम करते रहेंगे प्रयास
रात बीत गई
सुबह ने एक बार फिर से
उम्मीद की किरणें बिछाई है
हम जल्द ही चांद को छू लेंगे
हमारे वैज्ञानिकों की कोशिश को
बहुत बहुत बधाई है
प्रश्न का उत्तर मिलेगा
असफलता सफलता में बदलेंगे
साथ है करोड़ों हिन्दुस्तानियों का
दृढ़ निश्चय और मन की शक्तियां
हिम्मत और ताकत मिलती है
पढ़कर अटल जी की
ये प्रेरणा भरी पंक्तियां
"धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान,
एक दिन, अवश्य ही
रुद्ध द्वार खोलेगा।

प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा" 

 

- प्रतिभा तिवारी 

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