पसमांदा मुसलमानों को लेकर मोदी-माया आमने-सामने

By अजय कुमार | Jul 01, 2023

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों के लिए फिर से रार शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अपने आप को मुस्लिमों का बड़ा रहनुमा समझती है, इसलिए उन्हें अच्छा नहीं लगता है ओवैसी जैसी पार्टियां उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोटों की नई सौदागर बने और ना ही उन्हें मोदी का मुस्लिम प्रेम रास आता है। इसीलिए मोदी-योगी जब भी मुस्लिमों के हितों की बात करते हैं तो यह दोनों दल छटपटाने लगते है। उन्हें अपना वोट बैंक के खिसकता हुआ नजर आता है। इसीलिए भोपाल में जब मोदी ने पसमांदा समाज की दुर्दशा की बात की तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एकदम से मोदी के खिलाफ आक्रमक हो गई जबकि इन सब बातों से किनारा करते हुए बीजेपी आलाकमान अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले पसमांदा मुस्लिमों को साधने की कवायद में तेजी से लगा हुआ हुआ है।

 

बहरहाल अबकी से मोदी पर हमला बसपा सुप्रीमो मायावती ने बोला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल के एक कार्यक्रम में पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र करते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि कुछ राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए मुस्लिम भाई बहनों को भड़का रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस बयान पर बीएसपी चीफ मायावती ने उन्हें सलाह दी है कि यदि वह ऐसा मानते हैं तो बीजेपी को इनको मिलने वाले आरक्षण का विरोध भी बंद कर देना चाहिए।


मायावती ने आज माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि पीएम मोदी द्वारा भोपाल में बीजेपी के कार्यक्रम में सार्वजनिक तौर पर यह कहना कि भारत में रहने वाले 80 प्रतिशत मुसलमान "पसमांदा, पिछड़े, शोषित" हैं, यह उस कड़वी जमीनी हकीकत को स्वीकार करना है जिससे उन मुस्लिमों के जीवन सुधार हेतु आरक्षण की जरूरत को समर्थन मिलता है। उन्होंने कहा कि अब ऐसे हालात में बीजेपी को पिछड़े मुस्लिमों को आरक्षण मिलने का विरोध भी बंद कर देने के साथ ही इनकी सभी सरकारों को भी अपने यहां आरक्षण को ईमानदारी से लागू करते हुए बैकलॉग की भर्ती को पूरी करके यह साबित करना चाहिए कि वे इन मामलों में अन्य पार्टियों से अलग हैं।

 

गौरतलब हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत के मुसलमान भाई बहनों को ये समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का कर उनका राजनीतिक फायदा ले रहे हैं। हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर ऐसे लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार बार कहा है कि 'कॉमन सिविल कोड' लाओ लेकिन ये वोटबैंक के भूखे लोग... वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने पसमंदों मुसलमानों का शोषण किया है लेकिन उनकी कभी चर्चा नहीं हुई। उन्हें आज भी बराबरी का हक़ नहीं मिलता।

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