By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 30, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने पर भाला फेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल को बधाई दी और कहा कि उनका ऐतिहासिक प्रदर्शन युवाओं को प्रेरित करेगा। अंतिल ने सोमवार को पुरूषों की एफ64 स्पर्धा में विश्व रिकार्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक जीता। हरियाणा के सोनीपत के 23 साल के सुमित ने अपने पांचवें प्रयास में 68.55 मीटर दूर तक भाला फेंका जो एक नया विश्व रिकार्ड है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हमारे खिलाड़ियों का पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन जारी है। देश को सुमित अंतिल के रिकार्ड तोर्ड प्रदर्शन पर गर्व है। प्रतिष्ठित स्वर्ण पदक जीतने पर उन्हें बधाई और भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।’’ बाद में प्रधानमंत्री ने अंतिल से फोन पर बात की और उन्हें ढेर सारी बधाई दी। अधिकारियों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने अंतिल से कहा, ‘‘आपने देश का नाम रौशन किया है।’’ उन्होंने अंतिल की खेल भावना की भी सराहना की और कहा कि देश के युवा उनसे प्रेरित होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतिल ने अपने शानदार प्रदर्शन से अपने पूरे परिवार को भी गौरवान्वित किया है। अंतिल ने वर्ष 2015 में एक मोटरबाइक दुर्घटना में अपना बायां पैर घुटने के नीचे से गंवा दिया था। दुर्घटना के बाद उनके बायें पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा। इस दुर्घटना से पहले वह पहलवान थे। एफ64 स्पर्धा में एक पैर गंवा चुके एथलीट कृत्रिम अंग (पैर) के साथ खड़े होकर हिस्सा लेते हैं।
स्वर्ण जीतने के बाद अंतिल ने कहा- यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था
पांच बार विश्व रिकॉर्ड तोड़कर तोक्यो पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने के बावजूद भारतीय पैरा भालाफेंक खिलाड़ी सुमित अंतिल ने कहा कि यह उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था और वह इससे बेहतर करके दिखायेंगे। कुश्ती से भालाफेंक में आये सुमित ने पुरूषों की एफ64 स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर भारत की झोली में दूसरा पीला तमगा डाला। उन्होंने कहा ,‘‘ यह मेरा पहला पैरालम्पिक था और प्रतिस्पर्धा कड़ी होने के कारण मैं थोड़ा नर्वस था।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैं सोच रहा था कि 70 मीटर से अधिक का थ्रो जायेगा। शाायद मैं 75 मीटर भी कर सकता था। यह मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं था लेकिन विश्व रिकॉर्ड तोड़कर मैं खुश हूं।’’ मोटरसाइकिल दुर्घटना में बायां पैर गंवाने से पहले सुमित एक पहलवान थे। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं बहुत अच्छा पहलवान नहीं था। मेरे इलाके में परिवार आपको पहलवानी में उतरने के लिये मजबूर करता है। मैने सात आठ साल की उम्र में ही कुश्ती खेलना शुरू का दिया था और चार पांच साल तक खेलता रहा। मैं इतना अच्छा पहलवान नहीं था।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ हादसे के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। मैं 2015 में लोगों से मिलने स्टेडियम गया तो मैने पैरा एथलीटों को देखा। उन्होंने कहा कि तुम्हारी कद काठी अच्छी है तो अगला पैरालम्पिक खेल सकते हो। कौन जानता है कि चैम्पियन बन जाओ।’’ और ऐसा ही हुआ। उन्होंने कहा ,‘‘ यह सपना सच होने जैसा है। मैं अपनी भावनायें व्यक्त नहीं कर पा रहा हूं।