By अभिनय आकाश | Sep 26, 2022
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई जिसके कारनामों से देश का कोई भी राज्य अछूता नहीं है। आतंक का दूसरा नाम पीएफआई बन चुका है जिसने देश के हर कोने में अपनी जड़ें जमा ली हैं। उन जड़ों पर एनआईए ने फाइनल प्रहार करते हुए 15 राज्यों के 100 से ज्यादा शहरों में छापेमारी की है। जिसमें पीएफआई के 106 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया। एनआईए की रिमांड कॉपी से बड़ा खुलासा हुआ है। पीएफआई का मकसद नौजवानों को बरगलाना और युवाओं के लश्कर, एक्यूआईएस और आईएसआईएस से जोड़ना था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी और प्रवर्तन निदेशालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। 22 सितंबर को पीएफआई पर नकेल कसने के बाद एनआईए और ईडी ने देश भर की कई अदालतों में अपनी रिमांड रिपोर्ट पेश की।
उन्होंने दावा किया कि पीएफआई आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देकर भारत में इस्लामी शासन स्थापित करना चाहता था और मुस्लिम युवाओं को आतंकी समूहों में शामिल होने के लिए भी प्रोत्साहित करता था। ईडी ने यह भी दावा किया कि पीएफआई ने 12 जुलाई को पीएम मोदी की पटना रैली में गड़बड़ी पैदा करने की साजिश रची थी। केंद्रीय एजेंसी ने केरल में काम कर रहे पीएफआई के सदस्यों और कैडरों पर "विभिन्न धर्मों और समूहों के सदस्यों के बीच दुश्मनी पैदा करके सद्भाव बनाए रखने के प्रतिकूल, सार्वजनिक शांति को बाधित करने और भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने के इरादे से अवैध गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाया।
एनआईए ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने युवाओं को "भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने" के उद्देश्य से लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) सहित आतंकवादी समूहों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। 22 सितंबर को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संगठन ने हिंसक जिहाद के हिस्से के रूप में आतंकवादी कृत्य करके भारत में इस्लामी शासन स्थापित करने की साजिश रची।