By अभिनय आकाश | Jul 26, 2021
लद्दाख। करगिल दिवस पर पीएम मोदी ने पिछले साल की मन की बात के अंश को साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा कि कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले जवानों के बलिदानों को हम याद करते हैं। हमें उनकी कीमत याद है। पीएम ने कहा कि आज, कारगिल विजय दिवस पर हम उन सभी को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने हमारे देश की रक्षा करते हुए कारगिल में अपनी जान गंवाई। उनकी बहादुरी हमें हर एक दिन प्रेरित करती है। इसके साथ ही उन्होंने पिछले साल की 'मन की बात' का एक अंश साझा किया।
कारगिल विजय दिवस के मौके पर तोलोलिंग, टाइगर हिल और अन्य शानदार लड़ाइयों को याद किया गया और लद्दाख के द्रास इलाके में स्थापित कारगिल युद्ध स्मारक पर 559 दीप जलाए गए। इस मौके पर शीर्ष सैन्य अधिकारी, सैन्य कर्मियों के परिवार के सदस्य और अन्य लोग मौजूद रहे। यह कार्यक्रम 22वें कारगिल विजय दिवस के मौके पर आयोजित किया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी सोमवार को द्रास आने का कार्यक्रम हैं जहां वह तोलोलिंग पहाड़ी की तलहटी में स्थापित युद्ध स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। ऑपरेशन विजय के दौरान कई प्रेरणादायक कहानियों को याद करने के लिए विशेष कार्यक्रम सेना ने द्रास के नजदीक लोमोचेन में रविवार सुबह आयोजित किया था जिसमें कारगिल युद्ध के कई वीरता पुरस्कार प्राप्त सैनिकों और उनके परिजनों सहित बड़ी संख्या में सैनिकों ने हिस्सा लिया। रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क अधिकारी कर्नल इमरॉन मुसावी ने बताया कि इस दौरान तोलोलिंग, टाइगर हिल, प्वाइंट 4875 और अन्य प्रमुख लड़ाई और भारतीय सेना के सैनिकों की बहादुरी का वर्णन इन स्थानों की पृष्ठभूमि मेंश्रोताओं के सामने किया गया और बाद में उन्हें स्मारक पथ पर ले जाया गया। उन्होंने बताया कि स्मारक पर देश के लिए प्राणों की आहुतियां देने वाले जवानों की याद में सांकेतिक रूप से 559 दीप जलाए गए।
समापन समारोह सैन्य धुन के साथ हुआ। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने मौन रहकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। कर्नल मुसावी ने बताया कि कैप्टन विक्रम बत्रा की जिंदगी पर बन रही फिल्म ‘शेरशाह’ का ट्रेलर भी जारी किया गया जिसका निर्माण धर्मा प्रोडक्शन कर रहा है। इस मौके पर ‘मा तेरी कसम गाना’ भी रिलीज किया गया जिसकी परिकल्पना उत्तरी कमान ने की है। गौरतलब है कि कैप्टन बत्रा ने वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लड़ते हुए मात्र 24 साल की उम्र में शहादत दी थी और उन्हें मरणोपरांत युद्धकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।