By धरमलाल कौशिक | Sep 17, 2021
17 सितंबर को हम सभी ने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का 71वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर हर देशवासी ने प्रधानमंत्री के स्वस्थ व दीर्घायु होने की मंगलकामनाएं की। देश और दुनिया में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पश्चात कई लोकप्रिय नेता हुए हैं। हर नेता की अपनी विशिष्ट कार्यशैली और क्षमता का होना स्वाभाविक है। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के बाद जन्मे नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और विश्व समुदाय पर जिस प्रकार अपने नेतृत्व की छाप छोड़ी है, उसकी प्रेरक अनुगूंज आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। मानवीय स्वभाव अक्सर किसी एक व्यक्तित्व में अन्य श्रेष्ठ महात्म्य जनों की तलाश करता है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के चाहने वालों में वैश्विक नेता, समाज सुधारक, दार्शनिक और आध्यात्मिक आख्यानकर्ता तो हैं ही साथ ही मोदी जी के प्रशसंक अपने नेता को सर्वगुण संपन्न भी मानते हैं।
विगत चार दशक से सार्वजनिक जीवन में होने के कारण गांव-शहर, विभिन्न जाति वर्ग, क्षेत्र और वहां के लोगों से संवाद करने का मुझे अवसर मिलता रहा है। अपने राजनीतिक जीवन में मैंने जैसी आत्मीयता जनमानस में नरेंद्र मोदी जी के प्रति देखी वह, अनिर्वचनीय है। प्रधानमंत्री मोदी की 20 वर्ष लंबी चुनावी राजनीतिक यात्रा भारतीयता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ वैचारिक प्रतिबद्धता का अद्भुत संगम है। धारा 370 व 35-ए को समाप्त करने, सीमाओं की सुरक्षा, आतंकवाद उन्मूलन, नागरिकता संशोधन कानून समेत अनेक निर्णय पीएम की वैचारिक संकल्पबद्धता को पुष्ट करते हैं।
2014 में सेंट्रल हॉल में दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार गरीबों, वंचितों और शोषितों की सरकार होगी। यह सिर्फ भाषण के शब्द नहीं थे। श्रद्धेय मोदी जी के नेतृत्व में उनकी सरकार द्वारा लिए गए हर निर्णय में किसान, श्रमिक, दलित, महिलाएं और युवा अनिवार्य घटक हैं। 12 करोड़ किसानों को 6 हजार रुपये सम्मान निधि, 9 करोड़ से अधिक परिवारों में उज्ज्वला और 42 करोड़ जनधन खाते समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के सशक्तिकरण के यज्ञ से निकले आंकड़े हैं।
विकास का शायद ही कोई अभिकरण हो, जो प्रधानमंत्री के यशस्वी नेतृत्व से पोषित न हुआ हो। तीन दशक से अधिक समय के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाकर शिक्षा व्यवस्था को समय के साथ संस्कार और कौशल विकास से युक्त किया गया है। स्वभाषा के आधार पर राष्ट्र के विकास को नई दिशा दी जा रही है। आर्थिक सुधारों के इस क्रम में श्रम सुधारों के जरिए श्रमिकों को उनके अधिकार प्राप्त हों, यह व्यवस्था कारगर रूप से संचालित हो रही है। सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए हर भारतीय के जीवन स्तर को गुणवत्ता प्रदान करने का कार्य हो रहा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी जी का दो दशक का कार्यकाल जनकल्याण व सुराज की दृष्टि से मील का पत्थर साबित हुआ है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शासन संभालते ही सुशासन का सर्वस्पर्शी मॉडल उन्होंने प्रस्तुत किया, जिसे देशभर की राज्य सरकारों ने अलग-अलग रूपों में अपनाया है। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अब वह न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के दर्शन से सुशासन को नया सोपान दे रहे हैं। देश के 130 करोड़ नागरिकों के प्रति उनकी सेवा भाव को इस बात से ही समझा जा सकता है कि वह स्वयं को प्रधान सेवक मानते हैं।
छत्तीसगढ़ के प्रति पीएम मोदी का विशेष लगाव रहा है। नवंबर 2018 में बिलासपुर के साइंस कॉलेज मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम ने छत्तीसगढ़ महतारी के विकास प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी। इस अवसर पर राज्य के प्रति अपने भावनात्मक लगाव को दोहराते हुए उन्होंने कहा था कि जिस राज्य को हमने जन्म दिया, पाला-पोसा उसके विकास की जिम्मेदारी भी हमारी है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व ने 17 सितंबर से 7 अक्टूबर तक बीस दिन सेवा और समर्पण अभियान के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
आज देश विश्व की महाशक्ति बनने की राह पर है। जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा का न्याय, आतंकवाद, शांति-सद्भाव, गरीबी, कुपोषण समेत मानवता के समक्ष उत्पन्न तमाम चुनौतियों के समाधान के लिए दुनिया भारत की ओर देख रही है। इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मानवतावादी दृष्टि है, जिसके आधार पर वह वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र को चरितार्थ कर रहे हैं। कोरोना कालखंड की वैश्विक आपदा के दौरान दुनिया ने इस महान मानवतावादी नेता के साहसिक और संवेदनशील व्यक्तित्व का एक साथ दर्शन किया है।
-धरमलाल कौशिक
(लेखक छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं)