भादो महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठौरी अमावस्या कहा जाता है। इस बार यह अमावस्या 30 अगस्त, शुक्रवार को पड़ रही है। इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। तो आइए हम आपको पिठौरी अमावस्या के बारे में कुछ जानकारी देते हैं।
पिठौरी अमावस्या के बारे में
पिठौरी अमावस्या न केवल उत्तर भारत में बल्कि दक्षिण भारत में भी मनाया जाता है। जहां उत्तर भारत में पिठौरी अमावस्या कुशोत्पाटिनी अमावस्या के नाम से जानी जाती है वहीं दक्षिण भारत में इसे पोलाला अमावस्या कहा जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन देवी पोलेरम्मा की पूजा होती है। पोलेरम्मा को पार्वती माता का ही एक रूप माना जाता है।
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पिठौरी अमावस्या का महत्व
पिठौरी अमावस्या का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। इस अमावस्या को पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने से घर में सुख-शांति आती है। साथ ही पिठौरी अमावस्या को दुर्गा माता की पूजा करने और व्रत रखने से पुत्र-रत्न की प्राप्ति होती है। अमावस्या तिथि 29 अगस्त को 7.55 से शुरू होकर 30 अगस्त को 4.07 बजे तक है। इसलिए पूजा-अर्चना से सम्बन्धित सभी क्रिया कलाप इसी समय अवधि में करना बेहतर होगा।
पूजा विधि
पिठौरी अमावस्या के दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। अमावस्या के दिन आटे की 64 प्रतिमाएं बनाएं। ध्यान रखें कि ये प्रतिमाएं छोटी हों। इन प्रतिमाओं को नए कपड़े पहनाएं और सजाएं। इसके बाद पूजा घर को फूलों से सजा कर इन प्रतिमाओं को रखें। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने इंद्र की पत्नी को पिठौरी अमावस्या की कथा सुनायी थी। साथ ही इस पार्वती माता को नई चूड़ियां, बिंदी और सुहाग का सामान चढ़ाएं।
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इसके अलावा पिठौरी अमावस्या के दिन शिव जी की अराधना से भी खास फायदा होता है। शाम को पूजा घर की साफ-सफाई करें। फिर एक थाली में आटे का दीपक सरसों के तेल से बनाएं और थाली में मिठाई, फल-फूल रखकर पूरे घर में घूमाएं। उसके उस दीपक को घर के पास किसी मंदिर में रख दें।
पिठौरी अमावस्या पर करें ये उपाय
पिठौरी अमावस्या के दिन सुख-समृद्धि पाने के लिए खास तरह के उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप सबसे पहले अपने घर के पास किसी नदी या तालाब में जाकर स्ननान करें। उसके बाद घर के पुरुष सफेद कपड़े पहन कर पितरों का तर्पण करें। उसके बाद घर में बने दाल, चावल या पका हुआ भोजन और कुछ पैसे गरीबों को दान दें। इसके अलावा अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए दाल और सब्जियां दक्षिणा में भी दे सकते हैं।
भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा विराजमान है इसलिए शिव जी की अराधना करें। एक लोटे में दूध, जल और सफेद फूल लेकर शिवजी को चढ़ाएं इससे भगवान प्रसन्न होकर वरदान देंगे। इसके अलावा मन की शांति के लिए चंद्रमा की पूजा करें। गरीबों को दान करें और चांदी पहनें। साथ ही तांबे की वस्तुओं को भी दान करें। अमावस्या के दिन चांदी दान करना विशेष फलदायी होता है। उसके बाद रात में चंद्रमा को प्रणाम कर मंत्र जाप करें।
प्रज्ञा पाण्डेय