मनु भाकर की पिस्टल की गड़बड़ी का मामला: बंदूक निर्माता कंपनी और कोच के बीच छिड़ा विवाद, NRAI ने भेजा नोटिस

By अभिनय आकाश | Jul 28, 2021

टोक्यो ओलंपिक में 25 जुलाई को भारतीय पदक की उम्मीद को उस समय झटका लगा जब मनु भाकर महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में जगह नहीं बना पाईं। फाइनल के लिए क्वालिफाई करने के लिए टॉप आठ में जगह बनानी थी। मनु भाकर 12वें स्थान पर रही। दुनिया की दूसरे नंबर की निशानेबाज 19 साल की मनु भाकर ने शुरुआत अच्छी और लग रहा था कि वो टॉप आठ में जगह बना लेंगी। लेकिन उनकी पिस्टल में तकनीकि खराबी आने का असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा। भारतीय निशानेबाज मनु भाकर के करीब 20 मिनट क्वालीफिकेशन के दौरान पिस्टल में तकनीकी खराबी आने के कारण बर्बाद हुए जिससे वह तोक्यो ओलंपिक में महिलाओं की दस मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल्स में जगह बनाने से मामूली अंतर से चूक गई। पिस्टल में आई खराबी के चलते उनका काफी समय बर्बाद हुआ। लेकिन अब पिस्टल की खराबी को लेकर स्विस गन निर्माता मोरिनी और भारतीय निशानेबाजी कोच रौनक पंडित के बीच नये विवाद ने जन्म ले लिया है। 

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महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के दौरान क्या हुआ?

क्वालिफिकेशन चरण के दौरान, 16वें शॉट के बाद भाकर की बंदूक में खराबी आ गई। जब उनकी पिस्टल में खराबी आई तब उन्हें 55 मिनट में 44 शॉट लेने थे। समस्या से उबरने के बाद वह लौटी तो उन्हें 38 मिनट में ये शॉट लेने पड़े जो किसी भी स्तर पर काफी मुश्किल था। उसके बाद चार पांच मिनट अभ्यास में यह जांचने में लग गए कि पिस्टल ठीक से काम कर रही है या नहीं। मानसिक एकाग्रता वाले इस खेल में किसी की भी लय खराब करने के लिए ये पांच मिनट काफी थे। जिस समय खराबी हुई उस समय भाकर चौथे स्थान पर थीं, मतलब - शीर्ष आठ ने फाइनल में जगह बनाई हुई थीं। पहली सीरीज में 98 के स्कोर के बाद मनु ने 95, 94 और 95 का स्कोर किया और शीर्ष 10 से बाहर हो गई। पांचवीं सीरीज में उन्होंने वापसी की कोशिश की लेकिन छठी और आखिरी सीरीज में एक 8 और तीन 9 के स्कोर के बाद वह शीर्ष आठ में जगह नहीं बना सकी । क्वालिफिकेशन राउंड में छह सीरीज या 60 शॉट होते हैं। ऐसे में ओलिंपिक के नियम खोए हुए समय की भरपाई नहीं करते। इस वाकिये से मनु इतनी निराश थीं कि वे अपने आंसुओं को नहीं रोक पाएं। बाद में उन्हें कोच के सहारे शूटिंग एरेना से वापस जाते देखा गया। वे काफी दुखी थीं।

निशानेबाज के पास क्या थे विकल्प?

भाकर या तो अपनी बैकअप पिस्तौल का उपयोग करना चुन सकती थी, जो उसी निर्माता द्वारा बनाई गई थी, या वह पिस्तौल की मरम्मत का विकल्प चुन सकती थी। अगर उसने पिस्तौल की मरम्मत कराना चुना, तो कुछ और विकल्प उपलब्ध थे, जो कि ताजा चर्चा का कारण बने। स्विट्जरलैंड की बंदूक निर्माता कंपनी मोरीनी ने मोरिनी के अनुसार भारतीय शिविर बंदूक को उस बंदूक में खराबी आने के बाद भारतीय टीम ने उसे शूटिंग रेंज के पास ही लगाए गए कंपनी के रिपेयरिंग एरिया में ले जाया जा सकता था। कंपनी ने फेसबुक पर एक पोस्ट डालते हुए कहा, "टोक्यो ओलंपिक खेलों में मोरिनी का रिपेयरिंग एरिया। उन लोगों के लिए जो नहीं जानते कि हम कहां हैं, हम हथियार जमा कार्यालय के बाईं ओर हैं। हालांकि निशानेबाजी कोच रौनक पंडित के अनुसार, यह एक व्यवहार्य विकल्प नहीं था। बाद में उन्होंने एक विस्तृत वीडियो अपलोड किया जिसमें दावा किया गया था कि रेंज और मरम्मत स्टेशन के बीच काफी दूरी थी जिसके परिणामस्वरूप अधिक समय बर्बाद हो जाता था। 

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गन कंपनी बहस में क्यों पड़ा

मोरिनी के अनुसार, अगर बंदूक उनके पास लाई जाती तो मरम्मत बहुत तेजी से होती। एक फेसबुक पोस्ट में, मोरिनी के फ्रांसेस्को रेपिच ने कहा कि उन्होंने इंडोनेशियाई न्यायाधीश से बात की थी जिन्होंने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी। उस जज के अनुसार, पिस्तौल ने "चार्ज स्क्रू को थोड़ा ढीला कर दिया था" और भारतीय कोच को इस मुद्दे को ठीक करने में 10 मिनट का समय लगा, जबकि अधिक योग्य लोग कम समय ले सकते थे। रेपिच ने यह भी लिखा कि भारतीय टीम ने बाद में पिस्टल की जांच के लिए कोई भी शॉट लेने से इनकार कर दिया।

एनआरएआई ने भेजा नोटिस

रेपिक के पोस्ट को लेकर एनआरएआई ने उसे कारण बताओ नोटिस भेजा है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेपिक के फेसबुक पोस्ट और बयानों के लिए रेपिक को कारण बताओ नोटिस भेजा है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद रेपिक ने अपने फेसबुक पोस्ट डिलीट कर दिए हैं। इससे पहले सौरभ चौधरी के पुरुषों के 10 मीटर एयर पिस्टल में मजबूत दावेदार होने के बावजूद फाइनल में सातवें स्थान पर रहने के बाद 24 जुलाई को रेपिक ने पोस्ट किया था कि एक संभावित गोल्ड मेडल टीम को कैसे बर्बाद किया जाए, इसके लिए भारतीय शूटिंग फेडरेशन से सीखना चाहिए।

निशानेबाजी कोच रौनक पंडित ने क्या कहा?

रौनक पंडित ने बाद में एक वीडियो शूट किया और घटना के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करते हुए इसे अपने फेसबुक पेज पर अपलोड कर दिया। 

पहला- गली 52 से दूरी, उपकरण मरम्मत कक्ष प्रतिस्पर्धा क्षेत्र से बहुत दूर था, जहां से भाकर शूटिंग कर रही थी। 

दूसरा- एथलीट को किस स्थिति में वहां छोड़ दिया जाता अगर वह निर्माता द्वारा बंदूक की मरम्मत करने का फैसला करती। उन्होंने जसपाल राणा की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘आपको लगता है कि पिस्टल की मरम्मत के लिए इतना चलने के बाद उसकी हृदय गति स्थिर हो गई होगी। कौन मूर्ख ऐसा कह रहा है?’’ 

तीसरा- राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले कोच पंडित ने स्पष्ट किया कि भाकर ने उस रिजर्व पिस्टल का उपयोग क्यों नहीं किया जो उनके पास इस आयोजन के लिए थी।  उन्होंने कहा कि उसके पिछले कोच ने उस पिस्टल की ग्रिप बदल दी थी, वह उसमें सहज नहीं थी और इसीलिए वह उसी पिस्टल का इस्तेमाल करना चाहती थी जो खराब हुई थी।

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खराब शूटिंग प्रदर्शन की वजह?

पांच साल पहले रियो दि जिनेरियो में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ओलंपिक चैंपियन अभिनव बिंद्रा के नेतृत्व में पैनल गठित की गई थी। जिसने कई सुझाव दिए थे। वहीं एनआरएआई ने मनु भाकर का जूनियर राष्ट्रीय कोच जसपाल राणा के साथ मनमुटाव होने के बाद भारत के पूर्व निशानेबाज और कोच रौनक पंडित को उन्हें प्रशिक्षित करने का जिम्मा दिया।  सिंह ने कहा कि उन्होंने उन दोनों के बीच चीजों को सुलझाने की कोशिश की थी।

कोचिंग स्टाफ में होगा बदलाव

ओलंपिक निशानेबाजी में एक बार फिर शीर्ष खिलाड़ियों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने कोचिंग स्टाफ को ‘पूरी तरह’ से बदलने का वादा किया है। रियो ओलंपिक (2016) की तरह टोक्यो में भी भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन अब तक निराशाजनक रहा है। भारत के रिकार्ड 15 निशानेबाजों ने इन खेलों का टिकट कटाया था लेकिन भारतीय दल अब गलत कारणों से सुर्खियों में है जिसमें टीम में गुटबाजी की खबरें भी सामने आ रही हैं। इस बीच एनआरएआई के प्रमुख रनिंदर सिंह ने कोचिंग और सहायक कर्मचारियों में बड़ा बदलाव करने का वादा किया। एनआरएआई के प्रमुख सिंह ने का कहना है कि निश्चित रूप से प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं है और मैंने कोचिंग और सहयोगी सदस्यों में बदलाव की बात कही है।’’ उन्होंने यह बातें राइफल और पिस्टल निशानेबाजों द्वारा मिश्रित टीम स्पर्धाओं के क्वालीफिकेशन चरणों को पार करने में विफल रहने के बाद कही। इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं कि निशानेबाज आईएसएसएफ विश्व कप के अपने शानदार प्रदर्शन को ओलंपिक में दोहराने में नाकाम क्यों रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि हमारे निशानेबाजों को इन बड़े मौकों के लिए तैयार करने में कुछ कमी है, क्योंकि स्पष्ट रूप उनमें प्रतिभा है और हमने इसे यहां भी देखा है।’’-अभिनय आकाश

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