Breaking: Gyanvapi case में SC का आदेश- जहां शिवलिंग मिला, उस जगह की सुरक्षा की जाए, 19 जून को अगली सुनवाई

By अंकित सिंह | May 17, 2022

सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के सर्वेक्षण के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसे कुछ मुद्दों पर उनसे मदद की जरूरत है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा है कि जहां शिवलिंग मिला है उस जगह की सुरक्षा की जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि सुरक्षा व्यवस्था की वजह से नमाज बाधित नहीं होनी चाहिए। 19 जून को अगली सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर हिंदू याचिकाकर्ता और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया गया था। 19 मई तक जवाब दाखिल करना है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि डीएम वाराणसी सुनिश्चित करें कि जिस क्षेत्र में शिवलिंग पाए जाने की सूचना है, उसकी विधिवत रक्षा की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जिस क्षेत्र में शिवलिंग पाए जाने की सूचना है, उस क्षेत्र की रक्षा के लिए निर्देश दें। लेकिन यह मुसलमानों की नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश में बाधा नहीं बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मुस्लिम बगैर किसी अवरोध के ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करना जारी रख सकते हैं। शीर्ष न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े वाद की वाराणसी दीवानी अदालत के समक्ष सुनवाई की आगे की कार्यवाही पररोक लगाने से इनकार कर दिया।

अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी ने दलीलें शुरू कहते हुए कहा कि वाराणसी की अदालत में हिंदू पक्ष द्वारा दायर की गई प्रार्थनाएँ स्पष्ट रूप से संरचना के चरित्र को बदलने की बात करती हैं, जो कि एक मस्जिद है। वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी कहते हैं- हम अधिवक्ता-आयुक्त की नियुक्ति से आशंकित थे। हुज़ेफ़ा अहमदी कहा कि शनिवार और रविवार को कमिश्नर सर्वे करने गए और कमिश्नर को पूरी तरह से पता था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। मस्जिद समिति के वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने निचली अदालत के एक आयुक्त की नियुक्ति सहित सभी आदेशों पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं और यथास्थिति का आदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि ये आदेश अवैध हैं और संसद के कानून के खिलाफ हैं।


न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्ह की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को जारी लिखित आदेश में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था। हालांकि, पिछले शुक्रवार को, पीठ ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर धार्मिक परिसर केसर्वेक्षण के खिलाफ यथास्थिति के किसी भी अंतरिम आदेश को पारित करने से इनकार कर दिया था। लेकिन, प्रधान न्यायाधीशकी अगुवाई वाली पीठ सुनवाई के लिए याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हो गई थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुज़ेफ़ा अहमदी द्वारा उल्लेख किए जाने पर, हम रजिस्ट्री को निर्देश देना उचित समझते हैं कि वह मामले को डॉ. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करे।’’ पीठ में न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और हिमा कोहली भी शामिल हैं। 

 

मस्जिद समिति की ओर से पेश हुए अहमदी ने पीठ को बताया था कि स्थल पर किए जा रहे सर्वेक्षण के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है और मामले में तत्काल अंतरिम आदेश की मांग की गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था,‘‘हमने एक सर्वेक्षण के संबंध में याचिका दायर की है जिसे वाराणसी संपत्ति के संबंध में आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। यह (ज्ञानवापी) प्राचीन काल से एक मस्जिद रही है और यह पूजा स्थल अधिनियम द्वारा स्पष्ट रूप से निषिद्ध है।’’ मुस्लिम पक्ष पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 और इसकी धारा 4 का जिक्र कर रहा है, जो किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के रूपांतरण के लिए किसी भी मुकदमे को दायर करने या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगाता है। वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने 12 मई को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त को बदलने के लिए दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था और 17 मई तक कार्य पूरा करने का आदेश दिया था। जिला अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त को मस्जिद का सर्वेक्षण करने में मदद करने के लिए दो और वकीलों को भी नियुक्त किया है जो प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है। इसने पुलिस को आदेश दिया कि यदि कार्रवाई को विफल करने का प्रयास किया जाता है तो प्राथमिकी दर्ज करें। स्थानीय अदालत का 12 मई का आदेश महिलाओं के एक समूह द्वारा हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगने वाली याचिका पर आया, जिनकी मूर्तियां मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं। 

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