By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 17, 2021
नयी दिल्ली| सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का कार्यकाल और तीन साल तक बढ़ाने संबंधी दो अध्यादेशों के खिलाफ एक जनहित याचिका मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गयी। केंद्र ने दोनों अध्यादेश 14 नवंबर को जारी किए।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश संविधान के खिलाफ हैं।
याचिका में दोनों अध्यादेशों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। वकील एमएल शर्मा द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत प्रदत्त अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है।
यह अनुच्छेद संसद के सत्र में नहीं होने के दौरान अध्यादेश जारी करने की राष्ट्रपति के अधिकार से संबंधित है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि अध्यादेशों का मकसद उस जनहित याचिका पर फैसले में सर्वोच्च अदालत के निर्देश को दरकिनार करना है जिसमें 2018 में संजय कुमार मिश्रा की ईडी निदेशक के रूप में नियुक्ति के आदेश में बदलाव को चुनौती दी गयी थी।
याचिका में दावा किया गया है, ‘‘सरकार को दो एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को दो साल से बढ़ाकर अधिकतम पांच साल तक करने का अधिकार देने वाले इन दो अध्यादेशों में इन एजेंसियों की स्वतंत्रता को और कम करने की आशंका है।’’
उच्चतम न्यायालय ने संजय कुमार मिश्रा को प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक नियुक्त करने के 2018 के आदेश में पूर्व प्रभावी बदलाव को चुनौती देने वाली एक गैर सरकारी संगठन की याचिका आठ सितंबर को खारिज कर दी थी। न्यायालय ने कहा था कि जिन मामलों की जांच चल रही है, उन्हें पूरा करने के लिए उचित सेवा विस्तार दिया जा सकता है।
पीठ ने हालांकि अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच चुके अधिकारियों के कार्यकाल में विस्तार दुर्लभ और अपवाद वाले मामलों में किया जाना चाहिए। न्यायालय ने यह भी कहा था कि मिश्रा के कार्यकाल को और नहीं बढ़ाया जा सकता।