केन्द्र सरकार ने सशस्त्र बलों को आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए सशस्त्र बल विशेष सुरक्षा कानून (अफस्पा) के अंतर्गत मिला संरक्षण वापस लेने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ आज शीर्ष अदालत में सुधारात्मक याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष आठ जुलाई में अपने फैसले में उन स्थानों पर जहां यह कानून लागू है वहां कथित मुठभेड़ के मामलों में सशस्त्र बलों की भूमिका की जांच के अधिकार राज्य पुलिस को दे दिए थे।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ क्रेन्द्र की सुधारात्मक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई है। इस याचिका में कहा गया है कि सेना और अर्धसैनिक बल लड़ाकू बल हैं और आतंकवाद रोधी अभियानों में उन पर इस तरह की बेड़ियां नहीं लगायी जानी चाहिए। केन्द्र की ओर से आटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत के उस आदेश पर एतराज जताया जिसमें राज्य की पुलिस को आतकंवाद विरोधी अभियानों में सशस्त्र बलों की भूमिका की जांच के अधिकार दिए गए थे। शीर्ष अदालत ने यह फैसला उस याचिका पर दिया था जिसमें मणिपुर में उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में सशस्त्र बल पर इस कनून के तहत मिले संरक्षण का दुरुपयोग करने के आरोप लगाये गये थे।